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Friday, 26 April, 2024
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जम्मू-कश्मीर में 43 कंपनियों ने 13,700 करोड़ रुपए के निवेश की दिखाई रुचि

कंपनियों ने जिन क्षेत्रों में निवेश के लिए रुचि दिखाई हैं उनमें मैन्युफैक्चरिंग, रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक, सूचना तकनीक, शिक्षा, ऊर्जा और हॉस्पिटैलिटी शामिल हैं.

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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए अभी तीन महीने से भी कम समय ही हुए हैं और 43 निजी फर्मों ने क्षेत्र में 13,700 करोड़ रुपए के निवेश के लिए अपनी रुचि दिखाई है.

इस बारे में जानकारी रखने वाले एक सरकारी अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘जिन कंपनियों ने क्षेत्र में निवेश के लिए रुचि दिखाई है उनमें डालमिया सीमेंट, श्री सीमेंट, जैक्सन ग्रुप, सीवीके ग्रुप, पेपरबोट डिजाइन स्टूडियोस प्राइवेट लिमिटेड सहित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस शामिल हैं. 43 फर्मों ने 62 एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट अभी तक जमा किए हैं.

जिन कंपनियों ने क्षेत्र में निवेश के लिए रुचि दिखाई हैं उनमें मैन्युफैक्चरिंग, रक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर, तकनीक, सूचना तकनीक, शिक्षा, ऊर्जा और हॉस्पिटैलिटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं.

ये कंपनियां कैसे क्षेत्र में अपने सेटअप स्थापित करेंगी वो सरकरा द्वारा मिलने वाली सुविधाओं के आधार पर तय होगा. बहुत सारी फर्म्स 15 साल के लिए टैक्स में छूट और यातायात पर इनसेंटिव मांग रही हैं.

जम्मू-कश्मीर प्रमोशन आर्गेनाइजेशन (जेकेटीपीओ) इन कंपनियों से मिलने वाले ईओआई की जांच करेगा और इन कंपनियों से अंतिम समझौतों पर हस्ताक्षर करेगी. वर्तमान में इस क्षेत्र में 6500 छोटे-बड़े औद्योगिक ईकाई काम कर रही है. इसके अलावा 20 हजार से ज्यादा छोटी इंडस्ट्रियल ईकाई संगठित और असंगठित क्षेत्र में काम कर रही हैं.

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सरकार को पुरानी औद्योगिक नीतियों को फिर से देखना पड़ेगा

सरकार ने पहले ही जम्मू-कश्मीर में अक्टूबर में ग्लोबल इन्वेस्टर समिट का ऐलान किया था लेकिन सरकार ने इसे अगले साल के लिए टाल दिया है.


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जम्मू-कश्मीर स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एमडी रविंदर कुमार ने दिप्रिंट को बतया कि हम ईओआई को देख रहे हैं और अगले साल होने वाले इन्वेस्टर समिट में कंपनियों के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर होंगे.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन में इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स के मुख्य सचिव नवीन कुमार चौधरी ने दिप्रिंट को बताया कि बहुत सारी कंपनियों ने घाटी में बिजनेस करने के लिए रुचि दिखाई है. उन्होंने बताया कि हमारे पास काफी सारी समस्याएं आईं हैं और हम बहुत सारी कंपनियों से अभी संपर्क में हैं. इस सिलसिले में अभी ज्यादा कुछ कहना मुश्किल होगा.

चौधरी ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में ज्यादा से ज्यादा उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार 2016 के इंडस्ट्रियल पॉलिसी की समीक्षा कर रही है.’ उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में उद्योग ज्यादा से ज्यादा लगें.’

सरकार उन कंपनियों को सब्सिडी देने पर विचार कर रही है जो अपना कच्चा माल बाहर से लाएंगी. 2016 के इंडस्ट्रियल पॉलिसी के तहत सरकार 3 चीजों पर छूट देती है. उनमें फ्लोरीकल्चर, एलोमेटिक एंड मेडिकल प्लांट्स और तेल पर 5 लाख तक की छूट देने का प्रावधान है.

नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने कहा, ‘फूड प्रॉसेसिंग, खेती और हार्टिकल्चर जैसे क्षेत्रों में ज्यादा इन्सेंटिव मिल सकता है. जो कंपनियां अपना कच्चा माल जम्मू-कश्मीर के बाहर से लाएंगी उन्हें दूसरी कंपनियों के मुकाबले ज्यादा छूट दी जाएगी.’

एसआईडीसीओ के एमडी कुमार ने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर में एक बैंक खोलने के विचार पर काम कर रही है. हम 1250 एकड़ में लैंड बैंक बनाने की योजना बना रहे हैं.

कुमार का बयान उस दिन आया है जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्मू-कश्मीर में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पॉलिसी की जल्द घोषणा की बात कही थी.

हाल ही में यूएई संबंधित एलयूएलयू ग्रुप ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया था और सेब, वॉलनट, केसर और मसालों के 10 कंटेनर का ऑर्डर दिया था.

एलयूएलयू ग्रुप के निदेशक अनंथ ए वी ने कहा, ‘हमारी पहली खेप कश्मीर से गल्फ देशों को शुक्रवार को भेज दी गई है. इस क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. हम अपने शिपमेंट को 100 कंटेनर तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. सबसे पहले तो हम जम्मू-कश्मीर में अपना दफ्तर खोलने की कोशिश में हैं.’

एलयूएलयू ग्रुप 22 देशों में काम करता है जिनमें मध्य पूर्व, एशिया, यूएस और यूरोप शामिल हैं. इस ग्रुप की वार्षिक कमाई 7.4 बिलियन डॉलर है.

स्थानीय व्यवसायियों में डर का माहौल

जम्मू-कश्मीर में बाहर से आकर बिजनेस करने वाली कंपनियों को मदद करने के सरकार के प्रयासों के कारण स्थानीय व्यवसायियों में डर है.

कश्मीर चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष शेख आशिक ने कहा, ‘हम देखना चाहते हैं कि जो बाहर से आकर यहां बिज़नेस करेंगे उन्हें किस तरह की कर में छूट मिलेगी और उन्हें कैसी सुविधाएं दी जाएंगी.’


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उन्होंने कहा, ‘सरकार को भूमि की कमी का भी सामना करना पड़ेगा. कश्मीर में 60 फीसदी क्षेत्र जंगल से घिरा हुआ है. इसके अलावा जगह है कहां? सरकार उद्योगों के लिए जगह कहां से लाएगी?

जम्मू-कश्मीर में उद्योगों को स्थापित करने के सरकार के पुराने प्रयास सफल नहीं हो पाए थे. 2012 में कांग्रेस के तत्कालीन महासचिव राहुल गांधी एक प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर ले गए थे. इसके पीछे क्षेत्र में बिजनेस को प्रमोट करना था. इस प्रतिनिधिमंडल में टाटा ग्रुप के चेयरपर्सन रतन टाटा, आदित्य बिरला ग्रुप के चेयरपर्सन कुमार मंगलम बिरला, एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारीख सहित और भी लोग शामिल थे. लेकिन इसके बाद ज्यादा कुछ नहीं हुआ.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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