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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशआधी रात से जम्मू-कश्मीर नहीं रहेगा राज्य, बनेंगे दो केंद्र शासित प्रदेश

आधी रात से जम्मू-कश्मीर नहीं रहेगा राज्य, बनेंगे दो केंद्र शासित प्रदेश

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियुक्ति का दिन 31 अक्टूबर होगा और ये केंद्र शासित प्रदेश आधी रात (बुधवार-गुरुवार) को अस्तित्व में आएंगे.

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नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को मिला राज्य का दर्जा गुरुवार को खत्म हो जाएगा और इसके साथ ही उसे औपचारिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियुक्ति का दिन 31 अक्टूबर होगा और ये केंद्र शासित प्रदेश आधी रात (बुधवार-गुरुवार) को अस्तित्व में आएंगे.

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के नए उपराज्यपाल (एलजी) क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर गुरुवार को पदभार ग्रहण करेंगे. इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा.

जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी.

ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में बदला गया हो या एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो, लेकिन ऐसा पहली बार है कि एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया.

इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात हो जाएगी.

नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी.

भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया. इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया.

कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने 72 साल पहले 26 अक्टूबर, 1947 को भारत के साथ विलय संधि की थी, जिसके बाद यह रियासत भारत का अभिन्न हिस्सा बन गई.

दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन अस्तित्व में आएंगे, जिन्हें देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है.

देश में 31 अक्टूबर का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मोदी और अमित शाह दोनों क्रमश: केवडिया (गुजरात) और नई दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे.

कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.

नेशनल कान्फ्रेंस की जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बरकरार रखने की अपील

वहीं नेशनल कान्फ्रेंस ने जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने की योजना छोड़ने की केंद्र से बुधवार को आखिरी समय में अपील की और उसका 200 वर्ष पुराना राज्य का दर्जा बरकरार रखने का आग्रह किया.

दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख बृहस्पतिवार को अस्तित्व में आ जाएंगे.

नेशनल कान्फ्रेंस ने इसके साथ ही राजनीतिक दलों, बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज, व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों का आह्वान किया कि वे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संसद से जम्मू कश्मीर को एक राज्य के तौर पर बरकरार रखने का अनुरोध करने के लिए साथ आयें और हाथ मिलायें.

नेशनल कान्फ्रेंस के प्रांतीय अध्यक्ष देवेंद्र सिंह राणा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसे में जब हम एक केंद्र शासित प्रदेश बनने के नजदीक आ रहे हैं, मनोवैज्ञानिक तौर पर हीनता की भावना हमें जकड़ रही है. हम यहां पर एक अपील करने के लिए आये हैं क्योंकि सभी कोनों से आवाजें उठी थी कि हमें प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए और इसके बजाय यह सुनिश्चित करने के लिए साथ मिलकर काम करना चाहिए कि महाराजा गुलाब सिंह द्वारा स्थापित 200 वर्ष पुराना राज्य एक राज्य के तौर पर बरकरार रहे.’

उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर भारत का मुकुट है और हम भारत का हिस्सा हैं और रहेंगे. हम भारतीय हैं और हमेशा भारतीय रहेंगे. जम्मू कश्मीर संविधान भी यह स्पष्ट करता है कि राज्य भारत का अभिन्न अंग है और रहेगा और हमें इसमें कोई संदेह नहीं है.’

उन्होंने कहा कि जम्मू क्षेत्र में लोगों के बीच यह भावना है कि उन्हें हाशिये पर डाला जा रहा है.

नेशनल कान्फ्रेंस के नेता ने कहा, ‘जम्मू की आवाज सुनी जानी चाहिए. क्षेत्र ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है, विशेष तौर पर 1990 के दशक के बाद से जब कश्मीर ने एक मुश्किल स्थिति (आतंकवाद उभरने के मद्देनजर) का सामना किया था. जम्मू ने हमेशा से राज्य दर्जा चाहा है, यद्यपि यह अलग मामला है कि हम मांग से राजनीतिक रूप से सहमत हों या नहीं हों. भाईचारे को बनाये रखने और तिरंगे को ऊंचा रखने के लिए इसका सम्मान किया जाना चाहिए था.’

राणा ने कहा, ‘मैं भाजपा, कांग्रेस, पैंथर्स पार्टी, माकपा, बसपा और अन्य दलों में अपने सहयोगियों से अनुरोध करता हूं कि हम अपने मतभेदों को त्याग कर साथ आयें और राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक संयुक्त अनुरोध करें. बुद्धिजीवियों, शिक्षाविदों, नागरिक समाज, व्यापारी और ट्रांसपोर्टरों को आगे आकर खुले दिल से अपना समर्थन देना चाहिए.’

उन्होंने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस जम्मू, कश्मीर और लद्दाख क्षेत्रों का समान विकास सुनिश्चित करने के लिए वादे से बंधी हुई है.

नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद हस्नैन मसूदी की कथित टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर कि अनुच्छेद 370 के प्रावधान समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर और देश के बीच संबंध समाप्त हो गए, राणा ने कहा कि यदि मसूदी ने कोई टिप्पणी की है तो उन्होंने पार्टी की ओर से नहीं अपनी निजी क्षमता में की होगी.

उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 (के प्रावधान) समाप्त होने के बाद क्या किया जाना है, इसके बारे में निर्णय हमारी पार्टी में किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया जा सकता. पार्टी नेतृत्व के हिरासत से बाहर आने के बाद कार्यकारी समिति बैठक करके पार्टी के आगे के कदम पर निर्णय करेगी.’

उन्होंने जम्मू क्षेत्र में छात्रों एवं व्यापारियों की सुविधा के लिए मोबाइल इंटरनेट सेवाएं तत्काल बहाल करने और टोल टैक्स समाप्त करने की मांग की जिससे वैष्णो देवी आने वाले श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा हो और क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिले.

यूरोपीय संघ के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की कश्मीर यात्रा पर उन्होंने कहा, ‘हमें नहीं पता कि क्या उनकी यात्रा से किसी का कोई भला होगा, कम से कम जम्मू कश्मीर के लोगों का तो नहीं.’

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