(तस्वीरों के साथ)
श्रीनगर/जम्मू, 18 सितंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में बुधवार को पहले चरण का विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण रहा और करीब 59 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।
अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे पहले विधानसभा चुनाव में पहले चरण में कोई अप्रिय घटना नहीं घटी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पोले ने कहा कि यह जम्मू-कश्मीर में पिछले सात लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक मतदान है।
उन्होंने कहा कि वैसे यह आंकड़ा अंतरिम है और सुदूर क्षेत्रों तथा डाक मतपत्रों से मतदान के संबंध में अंतिम रिपोर्ट मिलने के बाद इसमें वृद्धि हो सकती है।
मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ। मतदान केंद्रों पर पुरुष, महिला, युवा, बुजुर्ग और यहां तक कि मुश्किल से चल-फिर पा रहे मतदाता धैर्य से वोट डालने की बारी का इंतजार करते नजर आए।
जम्मू-कश्मीर की 90 में से 24 विधानसभा सीट पर आज पहले चरण में मतदान हुआ। इनमें से 16 सीट कश्मीर घाटी और आठ जम्मू क्षेत्र की हैं। इस चरण में 23 लाख से अधिक मतदाता मतदान के लिए पात्र थे, जबकि 219 उम्मीदवार मैदान में थे। इनमें 90 निर्दलीय प्रत्याशी भी शामिल हैं।
मतदान शुरू होने के दो घंटे बाद सुबह नौ बजे तक 11.11 प्रतिशत वोट पड़े। दोपहर एक बजे तक 26.72 प्रतिशत और दोपहर तीन बजे तक 50.65 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। शाम पांच बजे तक यह आंकड़ा बढ़कर 58.19 प्रतिशत हो गया।
छह बजे मतदान समाप्त हो जाने के बाद पोले ने संवाददाताओं से कहा कि मतदान प्रतिशत करीब 59 रहा, जो पिछले सात लोकसभा चुनावों और विधानसभा चुनावों में सबसे अधिक है।
अगस्त 2019 में अनुच्छेद-370 के समाप्त होने और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र-शासित प्रदेश (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बंटने के बाद से इस केंद्र-शासित प्रदेश की 90 सदस्यीय विधानसभा के लिए यह पहला चुनाव है।
स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जगह-जगह सुरक्षाबल तैनात किए गए थे। बिजबेहरा और डीएच पुरा के कुछ क्षेत्रों में राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प की खबरों को छोड़कर मतदान शांतिपूर्ण रहा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत कई नेताओं ने मतदाताओं से बड़ी संख्या में ‘लोकतंत्र के इस पर्व’ में हिस्सा लेने का आह्वान किया था।
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में मोदी ने खासकर युवाओं और पहली बार के मतदाताओं से मतदान की अपील की थी।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी युवाओं की शिक्षा, रोजगार और महिला सशक्तीकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए अलगाववाद का मुकाबला करने वाली सरकार चुनने के लिए भारी मतदान का आग्रह किया था।
उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा था, ‘‘पहले मतदान , फिर जलपान।’
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी लोगों, खासकर युवाओं और महिलाओं से अपने लोकतांत्रिक अधिकारों का प्रयोग करने का आह्वान किया था।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मतदाताओं को संबोधित करते हुए उन्हें राज्य के दर्जे में बदलाव के निहितार्थों की याद दिलाई थी और उनसे अपने अधिकारों की रक्षा करने की अपील की थी। उन्होंने शांति, स्थिरता और विकास पर केंद्रित भविष्य के लिए मतदान में भागीदारी के महत्व पर जोर दिया था।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) के लिए समर्थन मांगा। उन्होंने चुनाव को मतदाताओं के लिए अपने अधिकारों को पुनः प्राप्त करने और क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देने का एक मौका बताया।
राहुल ने राज्य के दर्जे को घटाने संबंधी कदम को ‘संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन’ करार दिया और नागरिकों से समृद्ध भविष्य के लिए मतदान करने की अपील की।
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो हुआ, उसे हम भूले नहीं हैं, इसलिए यह हर लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण चुनाव है।’’
विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत 25 सितंबर को और तीसरे एवं अंतिम चरण के तहत एक अक्टूबर को मतदान होगा। वोटों की गिनती आठ अक्टूबर को की जाएगी।
भाषा राजकुमार पारुल
पारुल
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