श्रीनगर, 13 दिसंबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने शनिवार को इस बात पर दुख जताया कि पूर्ववर्ती सरकारों ने आतंकवाद के पीड़ितों के दर्द को नजरअंदाज किया और उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उनका प्रशासन अब ऐसे लोगों को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है।
उपराज्यपाल ने श्रीनगर स्थित लोक भवन में कश्मीर घाटी में आतंकी हमलों के 39 पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपने के बाद ये टिप्पणियां कीं।
सिन्हा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “आज कश्मीर संभाग में आतंकवाद के पीड़ितों के परिजनों को नियुक्ति पत्र सौंपे गए। इन परिवारों के लिए न्याय का लंबा इंतजार आज खत्म हुआ। पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाकर हमने उनकी गरिमा बहाल की और व्यवस्था में उनका विश्वास जगाया।”
उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने न केवल जानें लीं, बल्कि परिवारों को भी तबाह कर दिया और निर्दोष लोगों को “दशकों की चुप्पी, कलंक और गरीबी” में धकेल दिया।
सिन्हा ने कहा, “आतंकवादियों द्वारा की गई हर क्रूर हत्या के पीछे एक ऐसे परिवार की कहानी छिपी है, जो कभी उबर नहीं पाया, उन बच्चों की कहानी छिपी है, जो अभिभावक के बिना बड़े हुए। लंबे समय तक, प्रशासन ने इन परिवारों के दर्द और पीड़ा को नजरअंदाज किया।”
उन्होंने आरोप लगाया, “आतंकवाद के असली पीड़ितों और सच्चे शहीदों को आतंकी तंत्र के तत्वों द्वारा सताया गया। एक ओर, आतंकवादियों के सहयोगियों को सरकारी नौकरियों में नियुक्त किया गया, वहीं दूसरी ओर, आतंकवाद के पीड़ितों के परिजनों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया।”
उपराज्यपाल ने कहा कि पीढ़ियों से, “प्रशासन इन पीड़ितों के मामलों को वह प्राथमिकता न देकर उन्हें निराश करती रहा है, जिसके वे हकदार थे।”
उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों की आवाज को सशक्त बना रहे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्हें उनके हक और अधिकार मिलें।”
सिन्हा ने कहा कि अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बाद, आतंकी हमलों के पीड़ितों के परिवारों को नया साहस और आत्मविश्वास मिला है, और अब वे बिना किसी डर के आतंकी तंत्र के खिलाफ खुलकर बोल रहे हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखना एक ऐसा कार्य है, जिसे पूरे समाज को मिलकर करना होगा।
सिन्हा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में “आतंकवाद को कतई बर्दाश्त न करने की हमारी नीति स्पष्ट है।”
उपराज्यपाल ने चेतावनी दी, “जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने के लिए हर उपलब्ध संसाधन और साधन का इस्तेमाल किया जाएगा और जो लोग आतंकवादियों को शरण, पनाह या किसी भी तरह का समर्थन दे रहे हैं, उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
इस अवसर पर अनुकंपा नियुक्ति नियम एसआरओ-43 और पुनर्वास सहायता योजना (आरएएस) के तहत 39 अन्य लाभार्थियों को भी नियुक्ति पत्र सौंपे गए।
भाषा नोमान पारुल
पारुल
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