नई दिल्लीः जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सुरक्षा बलों पर हुए अब तक के सबसे भयानक हमले के चार दिन बाद, जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर और आईईडी विशेषज्ञ कामरान की सोमवार को उसी जिले में चल रहे मुठभेड़ में गोली मारकर हत्या कर दी गई है. वहीं इस मुठभेड़ में एक मेज़र सहित चार सैन्यकर्मी भी मारे गए हैं.
शीर्ष सुरक्षा सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि कामरान और एक अन्य आतंकवादी को सेना के 55 राष्ट्रीय राइफल्स के जवानों ने जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह और सीआरपीएफ की 182 और 183 बटालियन के जवानों के साथ मार गिराया.
जबकि अफगानी वेटरन कामरान को पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड होने का संदेह है, सूत्रों ने दोहराया कि यह संभव है कि वह यह व्यक्ति नहीं हो जो आईईडी एक साथ लगाया था.
इससे पहले, एक सूत्र ने बताया, ‘हमले में इस्तेमाल किए गए विस्फोटक शिथिल रूप से भरे हुए थे और यह एक ऐसी गलती है जो कामरान ने नहीं की होगी. जबकि उपयोग किए जाने वाले विस्फोटकों की सही मात्रा अभी निर्धारित नहीं की गई है, यह कम से कम 100 किलो का होगा.’
सूत्रों ने यह भी कहा था कि कश्मीर में केवल दो लोग ही आईईडी हमले में मास्टरमाइंड करने में सक्षम थे. एक कामरान था, वहीं दूसरे को पहचानने से इनकार करते हुए कहा कि उसे पकड़ने की कोशिशें जारी थीं. उनका पूरा ध्यान कामरान को ढूंढ़ने में था और इसके लिए उन्होंने व्यापक स्तर पर सर्च ऑपरेशन चलाया था.
पुलवामा में सर्च ऑपरेशन जारी
खुफिया सूत्रों को मिली जानकारी के आधार पर, रविवार देर रात एक कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया. जैसे ही घेरा डाला जा रहा था, आतंकवादियों ने सेना प्रमुख की अगुवाई वाली क्विक रिएक्शन टीम पर गोलियां चला दीं. घायल होने के बावजूद, सैनिकों ने वापस गोलीबारी की, सूत्रों ने कहा कि इस मुठभेड़ में सेना के चार जवान मारे गए. एक अन्य सैनिक जो घायल हो गया था, उसे सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया और उसकी हालत अभी नाजुक है.
गुरुवार के हमले के बाद दक्षिण कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा किए गए कई छापों के बाद सोमवार का कॉर्डन एंड सर्च ऑपरेशन लॉन्च किया गया था. पूछताछ के आधार पर, जेएम आतंकवादियों के एक समूह के बारे में एक इनपुट प्राप्त हुआ जिनके तार पिछले दिनों पुलवामा में हुए घातक हमले से जुड़े थे.
आईईडी विशेषज्ञ
ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि दिसंबर में कामरान ने भारत में घुसपैठ की थी और वह पुलवामा, अवंतीपोरा और दक्षिण कश्मीर के त्राल इलाके से अपना नेटवर्क संचालित करता था. उन्होंने दो अन्य आतंकवादियों के साथ कश्मीर में प्रवेश किया था, जिसकी जानकारी दिप्रिंट ने 3 जनवरी को दी थी.
उस समय के खुफिया इनपुट ने उसकी पहचान अब्दुल रशीद गाजी के रूप में की थी, लेकिन बाद में जानकारी मिली कि अफगान वेटरन को कामरान के नाम से जाना जाता था.
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