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Friday, 3 May, 2024
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श्वास नली से सूक्ष्म बूंदों के फेफड़े में प्रवेश को नियंत्रित कर कोविड के गंभीर नतीजे की रोकथाम संभव

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चेन्नई, 20 फरवरी (भाषा) श्वसन नलिका की सतह पर मौजूद चिपचिपे पदार्थों को सूक्ष्म बूंदों का रूप लेने से रोक कर और टीकाकरण के जरिये कोरोना वायरस संक्रमण के गंभीर नतीजों को रोका जा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास, यादवपुर विश्वविद्यालय और अमेरिका के नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह दावा किया है।

शोधकर्ताओं ने यह प्रदर्शित करने के लिए गणितीय मॉडल का इस्तेमाल किया कि किस तरह से वायरस श्वसन नलिका की सतह पर स्थित चिपचिपे पदार्थ को संक्रमित कर सूक्ष्म बूंदों के रूप में फेफड़े में प्रवेश करते हैं, जिससे गंभीर बीमारी होती है और इसके प्रसार की रोकथाम के लिए तरीके सुझाये हैं।

सोमवार को संस्थान के एक बयान में कहा गया, ‘‘शोधकर्ताओं ने नाक और गले से लेकर श्वसन नलिका तक कोविड-19 के प्रसार के तंत्र को समझने के लिए अध्ययन किया। वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि वायरस चिपचिपे पदार्थ से होकर श्वसन तंत्र में प्रवेश कर सकता है लेकिन इसमें लंबा समय लगता है। एक अन्य निष्कर्ष यह निकाला गया कि वायरस रक्त प्रवाह में प्रवेश कर सकता है और फेफड़े तक जा सकता है, लेकिन यह संतोषजनक नहीं है।’’

बयान में कहा गया है, ‘‘एक अन्य सिद्धांत यह है कि वायरस को लेकर सूक्ष्म बूंदें सांस के जरिये नाक और गले से होते हुए फेफड़े में प्रवेश कर सकती हैं।’’

आईआईटी मद्रास में ‘अप्लाइड मेकेनिक्स’ विभाग के संकाय सदस्य एवं डीन (एलुमनी एंड कॉरपोरेट रिलेशंस) प्रोफेसर महेश पंचागनुला ने कहा, ‘‘हमने अंतिम सिद्धांत की गणितीय मॉडल के जरिये जांच की।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे मॉडल ने यह प्रदर्शित किया कि निमोनिया और फेफड़ा संबंधी अन्य समस्याएं कोविड संक्रमण के प्रथम लक्षण सामने आने के बाद 2.5 से सात दिनों के अंदर नजर आ सकते हैं। यह तब होता है जब संक्रमित चिपचिपे पदार्थ की सूक्ष्म बूंदे नाक और गले से होते हुए फेफड़े तक पहुंचती हैं।’’

भाषा सुभाष शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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