नयी दिल्ली, 20 नवंबर (भाषा) राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कहा है कि उत्तराखंड के अधिकारी अपने इस दावे को साबित करने में विफल रहे हैं कि तीर्थनगरी बद्रीनाथ में मलजल शोधन के लिए पर्याप्त सुविधाएं मौजूद हैं।
एनजीटी ने बद्रीनाथ में अपर्याप्त सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी) के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की, जिसके कारण गंगा नदी में बिना शोधन के मलजल छोड़ा जा रहा है।
एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने 13 नवंबर को पारित आदेश में कहा कि हालांकि राज्य के शहरी विकास सचिव हरित निकाय के समक्ष वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपस्थित हुए, लेकिन उन्होंने यह दिखाने के लिए कोई सामग्री प्रस्तुत नहीं की कि पर्याप्त सीवेज शोधन सुविधाएं हैं।
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरूण कुमार त्यागी और न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद भी शामिल थे।
अधिकरण ने संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि वे रिकॉर्ड में यह जानकारी रखें कि जब तीर्थयात्रियों की संख्या सबसे अधिक थी, तो प्रतिदिन कितना सीवेज उत्पन्न हुआ।
एनजीटी ने अधिकारी को चार मार्च को अगली सुनवाई पर उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
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