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Friday, 22 November, 2024
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बब्बर खालसा के आतंकी लखबीर ‘लांडा’ के माता-पिता की कैसी है जिंदगी, जिसके नाम से डरता है पंजाब का हरिके

लखबीर सिंह 'लांडा' एनआईए के रडार पर है. वर्षों से समाज से कटे हुए, उनके माता-पिता अब गुरपतवंत पन्नून और हरदीप निज्जर की संपत्तियों को जब्त करने के बाद इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं.

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हरिके (तरनतारन): पंजाब के फिरोजपुर जिले के ज़ीरा कस्बे में गुरुवार की शाम सामान्य थी. राजकुमार सिंह नाम के एक दुकानदार रात 9 बजे ग्राहकों की भीड़ को सामान दे रहा था, तभी बाइक पर दो लोग आए और कथित तौर पर उस पर गोली चला दी.

वह गोलियों से बचने में कामयाब रहा, लेकिन पड़ोसियों ने दिप्रिंट को बताया कि उसने तब से अपनी दुकान नहीं खोली है.

ज़ीरा पुलिस स्टेशन में दर्ज अपनी एफआईआर में, जिसे वहां के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को पढ़कर सुनाया, राजकुमार ने आरोप लगाया है कि एक खतरनाक ‘गैंगस्टर’ और संदिग्ध लखबीर सिंह ‘लांडा’ द्वारा उसे 15 लाख रुपये की रंगदारी के लिए कॉल करने के बाद गोलीबारी हुई. सिख आतंकवादी संगठन, बब्बर खालसा इंटरनेशनल का संचालक लखबीर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की “गैंगस्टर-आतंकवादी” नेटवर्क में चिह्नित किए गए प्रमुख लोगों की सूची में शामिल है.

एनआईए ने लखबीर सिंह के ठिकाने के बारे में जानकारी देने वाले व्यक्ति के लिए 10 लाख रुपये के नकद इनाम की भी घोषणा की है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह इस समय कनाडा में है.

उसकी कथित आपराधिक गतिविधियों की सूची लंबी है. हरिके पुलिस स्टेशन से प्राप्त आंकड़ों से पता चलता है कि उसके खिलाफ पंजाब के विभिन्न जिलों में 2011 से 2023 के बीच 30 से अधिक मामले दर्ज हैं.

पंजाब के तरनतारन शहर के सीमावर्ती जिले हरिके के मूल निवासी, लखबीर का नाम शहरवासियों के मन में डर पैदा करता है.

शनिवार को जब दिप्रिंट अपने मैंग्रोव वनों के लिए मशहूर छोटे शहर में पहुंचा तो हरिके के एक निवासी ने कहा, ”अगर मैं आपको बताऊंगा कि उसके परिवार का घर कहां है तो मुझे पहचान लिया जाएगा और संभवतः मुझे क्षति पहुंचाई जाएगी.”

आज तक लोग दावा करते हैं कि उन्हें उसके नाम पर फोन आते हैं और पैसे की मांग की जाती है. पुलिस सूत्रों ने दावा किया कि उसका गिरोह अभी भी यहां काम कर रहा है, लखबीर कनाडा से गिरोह चला रहा है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,“बहुत से लोगों को धमकी भरे फोन कॉल आते हैं और वे आरोप लगाते हैं कि यह कॉल लखबीर सिंह की ओर से आया था. हालांकि, स्थानीय आपराधिक तत्वों की भी कभी-कभी खूंखार गैंगस्टरों के नाम पर पैसे की उगाही करने की संभावना होती है.”

दिप्रिंट ने लखबीर पर टिप्पणी के लिए हरिके पुलिस के स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ) केवल सिंह से संपर्क किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.

इस बीच, उसके वृद्ध माता-पिता, जो हरिके में ही रहते हैं, कहते हैं कि वे पुलिस के विज़िट दौरे और सवालों से मज़बूत हो गए हैं.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के जून में चरमपंथी हरदीप निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप और इसके परिणामस्वरूप दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद के बाद विदेशों से संचालित होने वाले सिख चरमपंथियों के बारे में पिछले हफ्ते की खबरों ने, हालांकि, उन्हें अपने बेटे के बारे में थोड़ा ज़्यादा चिंतित कर दिया है.

शनिवार को निज्जर और एक अन्य सिख चरमपंथी गुरपतवंत सिंह पन्नून की संपत्तियों को एनआईए द्वारा जब्त किए जाने के बाद उन्हें अपनी जमीन का भी डर सता रहा है.


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लखबीर सिंह के घर पर

अब 85 वर्ष के हो चुके नरंजन सिंह एक पूर्व सैन्यकर्मी हैं, जिनके शरीर का दाहिना आधा हिस्सा लकवाग्रस्त है – जो पाकिस्तान के खिलाफ भारत के युद्धों में उनकी सेवा का प्रमाण है. हालांकि, उनके बेटे की चरमपंथी गतिविधियों में कथित संलिप्तता ने उन्हें अपनी देशभक्ति दोहराने के लिए मजबूर किया है.

उनके घर की दीवारों की अलमारियों पर सेना में सिंह की पुरानी तस्वीरें, उनके बच्चों की शादी की तस्वीरें, साथ ही उनके बचपन की तस्वीरें भी हैं.

यादों की दीवार से गायब एकमात्र बच्चा है लखबीर सिंह. नरांजन ने दिप्रिंट को बताया, ”वहां उनकी तस्वीर देखकर हमें केवल दुख होगा.”

वह आज अपनी पत्नी 75 वर्षीय परमिंदर कौर के साथ अलग रहते हैं. आउटिंग या बाहर जाने के नाम पर एक मात्र अमृतसर के अस्पतालों में इलाज के लिए जाना होता है.

दोनों का दावा है कि जब से उनके बेटे की पहचान एक ‘खूंखार गैंगस्टर’ के रूप में की जाने लगी है, वे अपने घर पर पुलिस की छापेमारी और स्थानीय अधिकारियों की घंटों लंबी पूछताछ के आदी हो गए हैं, उनका कहना है कि वर्षों तक मीटिंग की वजह से उनके मन में थोड़ो सहानुभूति हो गई है.

वे फ़ोन का उपयोग नहीं करते और उनके रिश्तेदार उनसे मिलने नहीं आते. परमिंदर कौर ने कहा, “उनके (लखबीर सिंह) नाम के मात्र उल्लेख से ही मेरे दिल की धड़कन तेज हो जाती है, मैं अस्वस्थ महसूस करने लगती हूं.”

उनका कहना है कि उन्होंने आसान जीवन नहीं जिया है. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उनका बेटा 16 साल की छोटी उम्र में हेरोइन तस्करी में शामिल हो गया था और उसके बाद से चीजें पहले जैसी नहीं रहीं.

उन्होंने आगे कहा, 2016 में वह कनाडा भाग गया और तब से उन्होंने उसे नहीं देखा या उसके संपर्क में नहीं हैं. लेकिन उनका कहना है कि लखबीर सिंह “एक अच्छा लड़का था जो कि बुरी संगति और शक्तिशाली स्थानीय नेताओं की वजह से अपराध के रास्ते पर बढ़ गया.”

उसकी मां ने आरोप लगाया, “उन्होंने एक निर्दोष लड़के को गैंगस्टर बना दिया.”

उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा कि इसकी वजह से उन्होंने केवल एक बेटे को नहीं खोया, बल्कि अपना पूरा परिवार खो दिया.

परमिंदर ने बताया, “हमारे बच्चे [वे चार बच्चों के माता-पिता हैं], खासकर हमारे बड़े बेटे को डर है कि अगर वे हमसे मिलने आएंगे तो परेशानी में पड़ जाएंगे. हम साल में केवल दो या तीन बार ही उनसे एक या दो मिनट के लिए बात कर पाते हैं.”

जबकि लखबीर के माता-पिता ने दावा किया कि उनके सभी बच्चे विदेश में रहते हैं, स्थानीय निवासी और मीडिया रिपोर्ट्स उनके ठिकाने के बारे में अलग-अलग जानकारी देती हैं.

इस साल कनाडा में गैंगस्टर हरदीप सिंह निज्जर और सुखदूल सिंह दल्ला की हत्या के बाद, माता-पिता को अब लखबीर की जान का डर है. उनके पिता ने कहा, “कुछ भी हो सकता है, लेकिन हमें कभी पता नहीं चलेगा. वह हमारे संपर्क में नहीं है,”

अमेरिका और कनाडा स्थित सिख चरमपंथी गुरपतवंत सिंह पन्नून, जो एनआईए के रडार पर हैं, की भारत में संपत्तियों को एजेंसी द्वारा शनिवार को जब्त किए जाने के बाद उन्हें सरकार द्वारा उनकी कृषि भूमि जब्त किए जाने का भी डर है.

पंजाब में 16 से अधिक आपराधिक मामलों का सामना कर रहे, जिनमें तीन देशद्रोह के, कुछ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत दर्ज हैं, पन्नून के बारे में माना जाता है कि वह कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका से सारी गतिविधियों को अंजाम देता है. सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि वह फिलहाल अमेरिका में हैं और प्रतिबंधित सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) संगठन का चेहरा और उसका कानूनी सलाहकार है.

एनआईए की मोहाली अदालत ने शनिवार को जालंधर में निज्जर की संपत्ति जब्त करने का भी आदेश दिया.

परमिंदर ने कहा, “हम अपनी ज़मीन और सरदार जी की पेंशन पर जीवित हैं. अगर यह हमसे छीन लिया गया तो हमारे पास जाने के लिए कहीं नहीं बचेगा,”

‘हम सब बहुत डरे हुए हैं’

लखबीर को 2011 से लेकर अब तक के विभिन्न कथित आपराधिक कृत्यों के लिए पुलिस आरोपों का सामना करना पड़ता है. इनमें शस्त्र अधिनियम 1959 और नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक्स अधिनियम, 1985 के तहत आरोप शामिल हैं.

हरिके पुलिस स्टेशन में उपलब्ध रिकॉर्ड के अनुसार, उसे जून और दिसंबर 2015 के बीच चार बार गिरफ्तार किया गया और उसने छह महीने जेल में बिताए.

उसके माता-पिता ने दिप्रिंट को बताया कि जमानत पर रिहा होने के तुरंत बाद ‘वह’ कनाडा भाग गया.

पुलिस ने कहा कि जनवरी 2011 से जून 2015 के बीच उसके खिलाफ दर्ज नौ मामलों में से तीन में उसे बरी कर दिया गया है, जबकि एक में रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की गई थी.

2016 के बाद से उनके खिलाफ 18 और एफआईआर दर्ज की गई है. उस पर अमृतसर, तरनतारन, मोगा और फिरोजपुर जिलों में हत्या, हत्या के प्रयास और नशीली दवाओं की तस्करी के आरोप हैं. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उस पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम के साथ-साथ एनडीपीएस अधिनियम के तहत आरोप दर्ज किया गया है.

2022 में, उसे मोहाली में पंजाब पुलिस के खुफिया मुख्यालय पर रॉकेट-चालित ग्रेनेड हमले में मुख्य साजिशकर्ता के रूप में नामित किया गया था, जिसके लिए एसएफजे के पन्नून ने एक वीडियो में कथित तौर पर जिम्मेदारी का दावा किया था.

पुलिस अधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में कम से कम चार लोगों को कथित तौर पर लखबीर सिंह से जबरन वसूली के फोन आए हैं, और उसका आतंक पंजाब के गांवों में सबसे ज्यादा है, जहां निडर और बेहद मददगार सरदार स्वीकार करते हैं कि वे डरे हुए हैं और किसी भी तरह की मदद करने से इनकार करते हैं.

यहां तक कि राजकुमार ने अपने ऊपर हुए हमले के बारे में दिप्रिंट से बात करने से भी इनकार कर दिया. उन्होंने अपने घर के दरवाजे बंद करते हुए कहा, “मैं दिल का मरीज हूं और इस घटना ने मेरी हालत खराब कर दी है. प्लीज़, मैं इस पर चर्चा नहीं कर सकता कि क्या हुआ.”

उनके ठीक बगल के दुकानदार, जो गोलीबारी के समय मौके पर थे, ने कहा कि उन्होंने कुछ भी नहीं देखा या कुछ भी नहीं सुना क्योंकि वह काम में व्यस्त थे. घटना के अन्य सभी गवाहों ने भी यही बात दोहराई.

एक किराना दुकानदार ने कहा, ”मैं केवल एक ही बात कह सकता हूं. पहले, जबरन वसूली मुख्य बाजार तक ही सीमित थी, लेकिन अब यह गांवों तक पहुंच गई है. हम सब बहुत डरे हुए हैं.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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