रायपुर, 21 मार्च (भाषा) छत्तीसगढ़ के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टीएस सिंहदेव ने महात्मा गांधी रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना के तहत कार्यों में अनियमितता बरतने के आरोप में 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करने की सोमवार को घोषणा की।
विधानसभा में सिंहदेव ने कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो के ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में जिला पंचायत के तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी (सीईओ) समेत 15 अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा की।
कमरो ने अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के अंतर्गत मरवाही वन मंडल में मनरेगा योजना के तहत पुलिया और स्टॉपडेम के निर्माण में अनियमितता का आरोप लगाया था।
कमरो ने कहा कि बिना कार्य किए ही सामाग्री की राशि आहरण कर वित्तीय अनियमितता किए जाने की शिकायत मिली थी जिसपर कलेक्टर ने जांच की थी और यह सही पाई गई थी। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद शासन ने अब तक जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं की है।
कमरो ने सवाल किया कि इस अनियमितता में कितने अधिकारी और कर्मचारी शामिल थे तथा उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है?
जवाब में मंत्री सिंहदेव ने कहा कि यह सत्य है कि इस मामले की शिकायत प्राप्त हुई है और मामले की जांच के दौरान जानकारी मिली कि मरवाही वन मंडल के वन मंडल अधिकारी समेत वन विभाग के 15 अधिकारी व कर्मचारियों ने नियमों का उल्लंघन किया है। वन मंडल अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
मंत्री ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों के अलावा तत्कालीन जिला पंचायत के सीईओ की भी इस मामले में प्रथम दृष्टया गलती पाई गई है।
सिंहदेव ने कहा कि वह सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को तत्कालीन सीईओ को निलंबित करने के लिए पत्र लिखेंगे। उन्होंने सेवानिवृत्त वन मंडल अधिकारी के खिलाफ भी उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी और सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मंत्री से मांग की कि वह अनियमितताओं के लिए दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित करने की घोषणा करें।
इसके बाद सिंहदेव ने वन विभाग के 14 अधिकारियों-कर्मचारियों और तत्कालीन जिला पंचायत सीईओ को निलंबित करने की घोषणा की। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरी होने पर अनियमितता में शामिल लोगों के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज कराई जाएगी।
भाषा संजीव संजीव नोमान
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