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Thursday, 23 October, 2025
होमखेल'खेल की ईमानदारी': BCCI ने SC में मैच-फिक्सिंग को BNS के तहत 'चीटिंग' घोषित करने की अपील की

‘खेल की ईमानदारी’: BCCI ने SC में मैच-फिक्सिंग को BNS के तहत ‘चीटिंग’ घोषित करने की अपील की

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि भारतीय न्याय संहिता के तहत मैच फिक्सिंग ‘धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी’ है.

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नई दिल्ली: मैच फिक्सिंग में धोखाधड़ी के सभी तत्व मौजूद हैं क्योंकि इसमें खिलाड़ी दर्शकों और प्रायोजकों को यह विश्वास दिलाने की बेईमान कोशिश करते हैं कि खेल निष्पक्ष तरीके से खेला जाएगा. इसी तर्क के साथ भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) चाहता है कि सुप्रीम कोर्ट यह कहे कि मैच फिक्सिंग एक अपराध है, इसे दंड संहिता के तहत जांचा जा सकता है और आरोपी को धोखाधड़ी के अपराध में दोषी ठहराया जा सके.

पिछले सप्ताह, बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में एक पेंडिंग क्रिमिनल अपील में हस्तक्षेप के लिए आवेदन दाखिल किया और क्रिकेट में भ्रष्ट प्रथाओं की व्यापकता को स्वीकार किया.

अपने आवेदन में बोर्ड ने स्पष्ट रूप से कहा कि मैच फिक्सिंग भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 318 और पूर्व भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का अपराध है. BNS के तहत, धोखाधड़ी की सजा अपराध की गंभीरता के अनुसार 3, 5 या 7 साल तक हो सकती है.

BCCI के आवेदन में कहा गया कि क्रिकेट मैचों में भ्रष्ट प्रथाओं की व्यापकता खेल पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और खेल की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाती है. बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से अपील में सुनवाई करने का अनुरोध किया, जहां कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें मैच फिक्सिंग शिकायत के बाद दर्ज धोखाधड़ी के मामले को खारिज किया गया था.

2022 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने निर्णय दिया था कि मैच फिक्सिंग अनुशासनहीनता और मानसिक भ्रष्टाचार का कार्य है, लेकिन इसमें बेईमान प्रलोभन का तत्व नहीं था, इसलिए इसे धोखाधड़ी के बराबर नहीं माना जा सकता। इसी कारण कोर्ट ने कर्नाटक प्रीमियर लीग (KPL) की टीम के मालिक और अन्य के खिलाफ 2018 और 2019 में दर्ज धोखाधड़ी के मामले को खारिज कर दिया.

भ्रष्ट प्रथाओं को रोकने के लिए BCCI ने 2019 में प्रतिभागियों के लिए एंटी-करप्शन कोड तैयार और अपनाया था. लेकिन अब अपने आवेदन में बोर्ड चाहता है कि मैच फिक्सिंग को अपराध घोषित किया जाए ताकि इसे दंड संहिता के तहत जांचा जा सके.

BCCI ने पेंडिंग अपील में हस्तक्षेप करने का अनुरोध खेल के प्रशासक और भ्रष्टाचार विरोधी प्रवर्तन की जिम्मेदारी वाले क्रिकेट नियामक के रूप में किया.

BCCI का आवेदन भारत की कानून आयोग की 276वीं रिपोर्ट ‘लीगल फ्रेमवर्क: गैंबलिंग और स्पोर्ट्स बेटिंग इंक्लूडिंग इन क्रिकेट इन इंडिया’ का समर्थन करता है, जिसमें मैच फिक्सिंग और खेल में धोखाधड़ी को गंभीर सजा वाले अपराध के रूप में घोषित करने की सिफारिश की गई है.

BCCI के अनुसार, आम तौर पर दर्शक/खेल प्रेमी एक निष्पक्ष खेल की उम्मीद के साथ खेल देखते हैं. किसी टीम या फ्रेंचाइजी के निवेशक/प्रायोजक विभिन्न रूपों में निवेश करते हैं और टीम की लोकप्रियता के साथ अपने ब्रांड की पहचान बढ़ने की उम्मीद करते हैं.

आवेदन में विस्तार से बताया गया कि मैच फिक्सिंग BNS के तहत “धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी कराना” है.

धोखाधड़ी को साबित करने के लिए आवश्यक तत्व हैं: किसी व्यक्ति को धोखा देना और किसी व्यक्ति को धोखाधड़ी या बेईमानी से कोई संपत्ति देने के लिए प्रेरित करना.

BNS के अनुसार, बेईमानी का अर्थ है ऐसा कार्य करना जिसका इरादा किसी एक व्यक्ति को गलत लाभ पहुंचाना या किसी अन्य को गलत नुकसान पहुंचाना हो. गलत लाभ उस संपत्ति के अवैध माध्यम से होना चाहिए जिस पर लाभ पाने वाला कानूनी रूप से हकदार नहीं है. धोखाधड़ी स्थापित करने के लिए शुरू से ही धोखाधड़ी या बेईमानी का इरादा होना आवश्यक है.

BCCI का तर्क है कि मैच फिक्सिंग के पहले से किए गए समझौते को छिपाकर, और बेईमान इरादे से, खिलाड़ी दर्शकों को टिकट खरीदने और प्रायोजकों को टीमों में पैसा लगाने के लिए प्रेरित करते हैं.

इस प्रकार, यह कार्य बेईमानी के माध्यम से गलत लाभ पाने के इरादे से किया जाता है. बोर्ड ने कहा कि संबंधित जानकारी का खुलासा न करना भी तथ्यों का गलत प्रतिनिधित्व माना जाएगा, जिससे धोखा होता है.

धोखाधड़ी के आरोप के लिए आवश्यक तत्वों में से एक “संपत्ति की डिलीवरी” क्या होगी, इस पर BCCI ने कहा कि मैच फिक्सिंग में संपत्ति वह पैसा है जो दर्शक खेल देखने के लिए खर्च करते हैं और प्रायोजक लीग, टीम, मर्चेंडाइज आदि में निवेश करते हैं.

“इस प्रकार, मैच फिक्सिंग का कार्य स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी का अपराध है, क्योंकि इसमें धोखा, बेईमानी या धोखाधड़ी से प्रेरित करना, जानबूझकर ऐसा करना या न करना जिससे नुकसान या हानि हो, सभी तत्व मौजूद हैं,” BCCI ने सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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