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गुरूवार, 5 जून, 2025
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संभल में बीमा घोटाला : ईडी ने पुलिस से मांगे दस्तावेज

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संभल (उप्र), पांच जून (भाषा) उत्तर प्रदेश के संभल जिले में बीमा राशि के दावे की रकम हड़पने के लिए बीमित व्यक्तियों की हत्या कराने से जुड़े मामले की जांच के लिये प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने स्थानीय पुलिस से सम्बन्धित दस्तावेज और दर्ज मुकदमों की प्रतियां मांगी है।

अधिकारियों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक यह गोरखधंधा 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का है।

अपर पुलिस अधीक्षक (दक्षिणी क्षेत्र) अनुकृति शर्मा ने संवाददाताओं को बताया कि घोटाले में शामिल गिरोह पर जनवरी से ही नजर रखी जा रही थी और इस मामले के सिलसिले में अब तक 52 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि 50 से अधिक आरोपी अब भी फरार हैं तथा तीन आरोपियों ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया है।

उन्होंने पुष्टि की कि ईडी ने पुलिस से इस मामले से जुड़े दस्तावेज, दर्ज मुकदमों की प्रतियां और अन्य जानकारी मांगी थी जो उसे दे दी गयी है।

शर्मा ने बताया कि गिरोह के सदस्य आमतौर पर नौजवानों को निशाना बनाते थे और कुछ मामलों में जीवन बीमा राशि का दावा करने के लिए उनकी हत्या कर देते थे।

अधिकारी ने बताया कि वे कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियों से पीड़ित लोगों और यहां तक कि मृत लोगों के नाम पर बीमा पॉलिसी लेते थे और दस्तावेजों में हेराफेरी एवं जालसाजी करके स्वास्थ्य और जीवन बीमा कंपनियों से बीमे की रकम ऐंठने की साजिश रचते थे।

शर्मा ने कहा कि इस घोटाले के तार कम से कम 12 अलग-अलग राज्यों से जुड़े हैं और इस मामले में अब तक 17 मुकदमे दर्ज किये गये हैं। इनमें हत्या के चार मामले शामिल हैं।

उन्होंने कहा, ”हत्या के मामलों में बीमा भुगतान प्राप्त करने के लिए मौतों को अज्ञात वाहनों की वजह से हुई सड़क दुर्घटना बताकर पेश किया जाता था। इन मामलों में दर्ज प्राथमिकियों पर पहले अंतिम रिपोर्ट लगा दी गई थी लेकिन गड़बड़ियां मिलने पर पुलिस ने उनकी फिर से जांच की।

उन्होंने बताया, “अब तक की पड़ताल में पता चला है कि गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए 29 मृत्यु प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी थे, जबकि कुछ अन्य असली थे मगर बीमा दावों से मिलान कराने के लिए उनकी तारीखों में छेड़छाड़ की गई थी।”

शर्मा ने बताया कि गिरोह का संचालन केवल संभल जिले तक ही सीमित नहीं है और अमरोहा, बदायूं और मुरादाबाद जैसे आस-पास के जिलों में भी मामले सामने आए हैं।

अधिकारी के मुताबिक, अब तक की जांच से पता चला है कि यह 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला है तथा जांच आगे बढ़ने पर यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

उन्होंने बताया कि पुलिस ने विभिन्न बीमा कंपनियों से विस्तृत आंकड़े मांगे हैं और वर्तमान में अन्य संदिग्ध दावों की पहचान करने के लिए रिकॉर्ड की जांच की जा रही है।

अधिकारी ने बताया कि संदिग्ध डेटा को आगे की जांच और कार्रवाई के लिए बीमा कंपनियों के साथ साझा किया जाएगा।

शर्मा के अनुसार, शुरुआती जांच के नतीजे आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य क्षेत्र में काम करने वाले व्यक्तियों और बीमा फर्मों के कर्मचारियों की संलिप्तता की ओर इशारा करते हैं।

उन्होंने बताया कि जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और इस मामले में कई और गिरफ्तारियां होने की संभावना है।

भाषा सं. सलीम नोमान

नोमान

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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