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Saturday, 4 May, 2024
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बालाकोट हमले की अंदर की कहानी- भारतीय वायुसेना अधिकारी जिसने योजना बनाई और अंजाम दिया

कुल 16 विमानों में से स्पाइस 2000 जेट और क्रिस्टल मेजे मिसाइलों से लैस छह ने पीओके में उड़ान भरी और बालाकोट के आतंकी शिविर पर हमला किया, जबकि 4 बैक-अप के रूप में भारतीय क्षेत्र में बने रहे.

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नई दिल्ली: 26 फरवरी, 2019 को लगभग रात एक बजकर 15 मिनट पर, ग्वालियर स्टेशन के रनवे और टैक्सीवे से, पूरी तरह से सशस्त्र 20 मिराज 2000 लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी और एक-एक करके तेजी से उतरे.

वे बरेली की ओर उड़ और मध्य हवा तक पहुंच कर, फिर जम्मू-कश्मीर की ओर बढ़ गए.

लगभग रात 3 बजकर 45 मिनट पर, लड़ाकू विमान, जो पहाड़ों से घिरी एरिया में एक ‘पाकिस्तानी एसएएबी एयरबोर्न वार्निंग और कांट्रोल एयरक्राफ्ट को खदेड़े और एलओसी पार 30,000 फीट तक गए.

जबकि एस्कॉर्ट ड्यूटी के लिए शामिल चार और चार अन्य बैक-अप के रूप में रहे 16 विमान पीओके में घुसे.

पांच इज़राइली निर्मित स्पाइस 2000 जेट ने पीओके में लगभग 15 किमी दूर बम दागे, जिसने बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के शिविर को क्षति पहुंचाई और फाइटर्स पश्चिमी सेक्टर के एक हवाई क्षेत्र में वापस आ गए.

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हालांकि, चार मिराज विमान- मीका आरएफ और आईआर एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस तब तक रुके रहे जब तक कि अन्य 12 विमान भारतीय वायु क्षेत्र में वापस नहीं आ गए.

संपूर्ण ऑपरेशन, विमान के पीओके में प्रवेश करने और वापस भारत में लैंड करने तक लगभग 21 मिनट तक चला.

बालाकोट हवाई हमले की योजना बनाने वाले और उसे अंजाम देने वाले शख्स एयर मार्शल हरि कुमार ने दिप्रिंट को बताया, ‘लक्ष्य और अंजाम देने का विकल्प बहुत सारी योजनाओं और खुफिया जानकारी के बाद चुना गया था. पाकिस्तान को यह संदेश देना ज़रूरी था कि भारत पुलवामा जैसे किसी भी हमले को और ज्यादा बर्दाश्त नहीं करेगा.’

14 फरवरी का फोन कॉल

14 फरवरी को लगभग 3 बजकर 15 मिनट पर, एक आत्मघाती हमलावर ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले में विस्फोटकों से भरी एसयूवी की टक्कर मार दी, जिससे 40 कर्मियों की मौत हो गई थी.

एयर मार्शल कुमार, जो कि महत्वपूर्ण पश्चिमी वायु कमान के तत्कालीन वायु अधिकारी कमांडिंग इन चीफ (AOC-IN-C) थे और 60 वर्ष के बाद महीने के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले थे, ने कहा, ‘लगभग 6 बजे, वायुसेना प्रमुख ने मुझे फोन किया और पूछा कि क्या मैं तैयार हूं. हम दोनों जानते थे कि सरकार इस दुस्साहसिक हमले पर कार्रवाई किए बिना नहीं रह सकती थी. ‘मैंने कहा तैयार हैं.’

बालाकोट हवाई हमले के बाद पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए, अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अगली सुबह वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ ने संभावित विकल्पों और योजनाओं पर चर्चा करने के लिए छावनी के पास पश्चिमी वायु कमान पहुंचे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 16 फरवरी को सुबह 9 बजे सुरक्षा पर कैबिनेट कमेटी की बैठक बुलाई.

फिर यह निर्णय लिया गया कि भारतीय सेना ने हमले को अंजाम दे क्योंकि पाकिस्तानी सेना ने जमीनी तत्वों द्वारा 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के दोहराए जाने के डर से खुद को हाई अलर्ट पर रखी थी.

18 फरवरी को महत्वपूर्ण बैठक

18 फरवरी की सुबह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक बैठक बुलाई जिसमें सेना, भारतीय वायुसेना, नौसेना और अनुसंधान और विश्लेषण विंग (रॉ) के प्रमुखों ने भाग लिया. बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख रॉ ऑपरेशनल मैन सामंत गोयल भी थे, जो अब बाहरी खुफिया एजेंसी के प्रमुख हैं.

बेहद विश्वसनीय खुफिया सूचनाएं थीं कि पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर लॉन्चपैड और प्रशिक्षण शिविरों से आतंकवादियों को निकाल लिया था और उन्हें ज्यादा चौकसी वाले केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया था.

एयर मार्शल कुमार ने कहा, ‘बालाकोट शिविर सही लक्ष्य था. यह एक पहाड़ी की चोटी पर था और आस-पास कोई नागरिक नहीं थे, जिसका मतलब था कि आस-पास कोई क्षति नहीं होगी. इसके अलावा, चूंकि यह कोई मदरसा नहीं था, लिहाजा कोई बच्चा भी नहीं होगा. केवल बड़ी संख्या में आतंकवादी थे.’

सेक्रेसी सबसे बड़ी चिंता थी

भारतीय वायुसेना में केवल कुछ ही लोग आसन्न हमले के बारे में जानते थे. पहली बार था जब भारतीय वायुसेना बालाकोट में हमला 1971 के युद्ध के बाद भारतीय क्षेत्र के बाहर हमले करने जा रही थी.

एयर मार्शल कुमार ने कहा, ‘सेक्रेसी सबसे महत्वपूर्ण बात थी क्योंकि आश्चर्य हमेशा हमले का सबसे बड़ा कारक होता है.’

उन्होंने कहा कि प्रारंभिक योजना में केवल चार अधिकारी शामिल थे, जिनमें वह और वायुसेना प्रमुख शामिल थे.

इस तरह की गोपनीयता थी कि भले ही विमान ग्वालियर बेस से उड़ान भरता, जो सेंट्रल एयर कमांड के अंतर्गत आता है, कमांड के एओसी-इन-सी को ऑपरेशन के बारे में पता नहीं था जब तक कि लड़ाकू विमानों ने वास्तव में उड़ान नहीं भर ली.

एयर मार्शल कुमार ने उस व्यक्ति को ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी, जो ग्वालियर में एक विदाई समारोह में खाने की आड़ में आया था.

एयर मार्शल कुमार ने कहा, ‘वायु कर्मचारी निरीक्षण निदेशालय (डीएएसआई) के कारण, किसी को भी ग्वालियर बेस में अचानक हुई गतिविधि में कुछ भी गलत नहीं लगा.’

पाकिस्तान का अनुमान लगाने के लिए, पश्चिमी वायु कमान ने एक अभ्यास के समय को भी उन्नत किया.

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