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Sunday, 22 December, 2024
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इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि ने IIT बॉम्बे को दिया 315 करोड़ रुपये का दान

नीलेकणि ने आगे कहा, ‘‘यह दान एक वित्तीय योगदान से अधिक है. यह उस जगह के लिए एक समर्पण है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है और उन छात्रों के प्रति प्रतिबद्धता है जो कल हमारी दुनिया को आकार देंगे.’’

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नई दिल्ली: इंफोसिस के सह-संस्थापक और चेयरमैन नंदन नीलेकणि ने संस्थान के साथ अपने 50 साल पूरे होने पर अपने अल्मा मेटर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे को 315 करोड़ रुपये का दान दिया है. वह यूआईडीएआई के संस्थापक चेयरमैन भी हैं.

नीलेकणी ने पहले संस्थान को 85 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जिससे संस्थान के लिए उनका कुल योगदान 400 करोड़ रुपये हो गया.

बेंगलुरु में मंगलवार को औपचारिक रूप से समझौता ज्ञापन पर नंदन नीलेकणी और आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रोफेसर सुभासिस चौधरी ने हस्ताक्षर किए.

नीलेकणि ने आईआईटी बंबई से 1973 इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री के लिए संस्थान में प्रवेश लिया था.

उन्होंने कहा, ‘‘इस राशि से संस्थान में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचा तैयार करने में मदद मिलेगी. इसके अलावा इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी के उभरते क्षेत्रों में शोध और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा मिलेगा.’’

संस्थान और नीलेकणि ने एक संयुक्त बयान में कहा कि यह देश में किसी पूर्व छात्र द्वारा दिए गए सबसे बड़े दान में से एक है. इससे आईआईटी-बंबई को इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच अग्रणी बनने में मदद मिलेगी.

नीलेकणि ने ट्विटर पर शेयर एक पोस्ट में कहा,‘‘आईआईटी-बंबई मेरे जीवन की आधारशिला रहा है. इसने मेरे प्रारंभिक वर्षों को आकार दिया है और मेरी यात्रा की नींव रखी है. मैं इस प्रतिष्ठित संस्थान के साथ अपने जुड़ाव के 50 साल पूरे कर रहा हूं और मैं इस जुड़ाव के आगे बढ़ने तथा इसके भविष्य में योगदान करने के लिए आभारी हूं.’’

नीलेकणि ने आगे कहा, ‘‘यह दान एक वित्तीय योगदान से अधिक है. यह उस जगह के लिए एक समर्पण है, जिसने मुझे बहुत कुछ दिया है और उन छात्रों के प्रति प्रतिबद्धता है जो कल हमारी दुनिया को आकार देंगे.’’

उन्होंने कहा, यह महत्वपूर्ण योगदान इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थानों के बीच आईआईटी बॉम्बे की एक वैश्विक नेता बनने और राष्ट्र निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए IIT बॉम्बे की महत्वाकांक्षी दृष्टि के लिए कार्य करेगा.

आईआईटी बॉम्बे के निदेशक प्रोफेसर सुभासिस चौधरी ने कहा कि इस दान से संस्थान के विकास में तेजी आएगी.

चौधरी ने कहा, ‘‘हम अपने शानदार पूर्व छात्र नंदन नीलेकणि को संस्थान में अपना मूलभूत और अग्रणी योगदान देते हुए देखकर बेहद खुश हैं. यह ऐतिहासिक दान आईआईटी बॉम्बे के विकास को महत्वपूर्ण रूप से गति देगा और इसे वैश्विक नेतृत्व के मार्ग पर मजबूती से स्थापित करेगा.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘IIT बॉम्बे अनुसंधान और अकादमिक उत्कृष्टता के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध है जो भारत को वैज्ञानिक खोज और इसके काम में मानव जाति के सामने आने वाली चुनौतियों को हल करने की दिशा में अग्रणी बना सकता है. नंदन का योगदान भारत में विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और विकास को आगे बढ़ाने की दिशा में परोपकारी योगदान को उत्प्रेरित करेगा.’’

आने वाले दशक के लिए IIT बॉम्बे की रणनीतिक योजना में रणनीतिक क्षेत्रों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हरित ऊर्जा, क्वांटम कंप्यूटिंग, कक्षा अनुसंधान, छात्रों और शिक्षकों के लिए शैक्षणिक सुविधाएं, अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्टता के विश्व स्तरीय केंद्र स्थापित करना, एक गहन तकनीक स्टार्ट-अप इको-सिस्टम का पोषण करना शामिल है.

पिछले 50 वर्षों में नीलेकणी कई भूमिकाओं में संस्थान से जुड़े रहे हैं.

उन्होंने 1999 से 2009 तक IIT बॉम्बे हेरिटेज फाउंडेशन के बोर्ड में सेवा की और 2005 से 2011 तक बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में रहे. नीलेकणि को 1999 में प्रतिष्ठित विशिष्ट पूर्व छात्र पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके बाद 2019 में IIT बॉम्बे के 57वें दीक्षांत समारोह के हिस्से के रूप में डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.

नीलेकणि 2009 से 2014 तक कैबिनेट मंत्री के पद पर भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के संस्थापक अध्यक्ष थे.

नंदन एकस्टेप फाउंडेशन के सह-संस्थापक और अध्यक्ष हैं, जो लाखों बच्चों के लिए बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता में सुधार के लिए शिक्षार्थी-केंद्रित, प्रौद्योगिकी-आधारित मंच बनाने का एक गैर-लाभकारी प्रयास है.

जनवरी 2023 में, उन्हें ‘‘आर्थिक परिवर्तन, वित्तीय समावेशन और विकास के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना पर G20 टास्क फोर्स’’ का सह-अध्यक्ष नियुक्त किया गया.

नीलेकणि ने को फॉर्च्यून मैगेज़ीन ने उन्हें ‘‘एशिया के व्यवसायी वर्ष 2003’’ से सम्मानित किया.

2005 में उन्हें अर्थव्यवस्था, आर्थिक विज्ञान और राजनीति में नवीन सेवाओं के लिए प्रतिष्ठित जोसेफ शुम्पीटर पुरस्कार मिला. 2006 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.

फोर्ब्स एशिया द्वारा उन्हें बिजनेसमैन ऑफ द ईयर भी नामित किया गया था.

टाइम मैगेज़ीन ने उन्हें 2006 और 2009 में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया. 2014 में, उन्होंने अपने नेतृत्व के लिए द इकोनॉमिस्ट सोशल एंड इकोनॉमिक इनोवेशन अवार्ड जीता था.

नंदन नीलेकणि ‘‘इमेजिनिंग इंडिया’’ के लेखक हैं. उन्होंने वायरल शाह के साथ अपनी दूसरी पुस्तक ‘‘रिबूटिंग इंडिया: रियलाइज़िंग ए बिलियन एस्पिरेशंस’’ के सह-लेखक हैं. तनुज भोजवानी के साथ अपनी तीसरी किताब ‘‘द आर्ट ऑफ बिटफुलनेस: कीपिंग कैलम इन’’ के सह-लेखक हैं. ‘‘द डिजिटल वर्ल्ड’’ जनवरी 2022 में रिलीज़ हुई थी.

(डिस्कलोज़र : यूआईडीएआई के पूर्व अध्यक्ष और इंफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि दिप्रिंट के विशिष्ट संस्थापक-निवेशकों में से एक हैं. निवेशकों की डिटेल्स के लिए कृपया यहां क्लिक करें.)


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