नई दिल्ली: भारतीय नौसेना को इस महीने के अंत में दो MH-60 रोमियो एंटी-सबमरीन युद्धक हेलीकॉप्टर मिलने जा रहे हैं. दिप्रिंट को पता चला है कि इन रोमियो एंटी सबमरीन को INS विक्रमादित्य पर तैनात किया जाएगा, जो पूरी तरह से रिफिट होने के बाद लगभग ढाई साल एक्शन में आया है.
रक्षा और सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि दो हेलीकॉप्टरों को अमेरिकी सरकार द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचने के दौरान भारत को दिया जाएगा.
इन दोनों के मिलने के बाद भारतीय नौसेना के पास कुल पांच अत्याधुनिक हेलीकॉप्टर होंगे, जिन्हें भारत के एकमात्र ऑपरेशनल एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य पर तैनात करेगा.
जबकि नौसेना ने पिछले साल सितंबर में स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को चालू किया था, यह अभी तक चालू नहीं हुआ है और इस महीने के अंत से इसे चार-पांच महीने के लिए ‘गारंटी रिफिट’ से गुजरना होगा. इस गारंटी अवधि के दौरान इसे किसी नए जहाज की तरह ही इसकी मशीनरी की जांच की जाएगी.
सूत्रों ने कहा कि इस साल के अंत तक इसके चालू होने की उम्मीद है.
नौसेना ने इस सप्ताह के अंत में आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत दोनों ने अपने बेड़े के साथ अपनी क्षमता और शक्ति का प्रदर्शन किया था और इस अभ्यास के समाप्ति की घोषणा की थी. इस दौरान इसमें अरब सागर में 35 से अधिक विमानों के समन्वित तैनाती भी शामिल थी.
आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत, अभ्यास के केंद्रबिंदु, ‘फ्लोटिंग सॉवरेन एयरफील्ड्स’ के रूप में काम करते हैं, जो मिग-29के फाइटर जेट्स, एमएच60आर, कामोव, सी किंग, चेतक और एएलएच हेलीकॉप्टरों सहित विमानों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए एक लॉन्च प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं.
दिप्रिंट ने पिछले साल नवंबर में रिपोर्ट दी थी कि नौसेना के एलीट लड़ाकू पायलट लगभग दो साल से किसी विमानवाहक पोत पर नहीं उतरे हैं.
INS विक्रमादित्य, कोविड के बाद
INS विक्रमादित्य मूल रूप से एक रूसी वाहक एडमिरल गोर्शकोव था – जिसे 1996 में डिकमीशन किया गया था और बाद में 2004 में भारत द्वारा खरीदा गया था. इसे 2013 में नवीनीकरण के बाद कमीशन किया गया था.
2021 की शुरुआत में, यह एकबार फिर “सामान्य मरम्मत” के लिए भेजा गया, लेकिन इसकी प्रक्रिया में देरी हुई. सूत्रों ने कहा कि इसका एक कारण महामारी था. पिछले साल इसके बोर्ड में आग लग गई, जिसने वाहक के ब्लोअर और ईंधन पाइप को प्रभावित किया था जिसकी वजह से इसमें और देरी हुई.
2018 में भी इस वाहक की पांच महीने तक मरम्मत की गई थी. जिसकी लागत 700 करोड़ रुपये से अधिक आई थी. 2013 के अंत में चालू होने के बाद से यह दूसरा रिफिट था जिससे जहाज गुजरा.
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2025 तक 24 रोमियो की उम्मीद
इस बीच, सूत्रों ने कहा कि अमेरिकी प्रमुख लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित हेलीकॉप्टर रोमियो की डिलीवरी किए जाने की तैयारी पूरी कर ली गई है. और यह 2025 तक पूरी हो जाएगी.
भारत ने 2020 में अमेरिकी सरकार से इनमें से 24 हेलीकॉप्टरों का ऑर्डर दिया था. नौसेना को अब तक इनमें से तीन मिल चुके हैं.
हेलीकॉप्टरों को भारत की आवश्यकताओं के अनुसार उपकरणों और हथियारों के साथ संशोधित किया गया है, जिसमें हेलफायर एयर-टू-सरफेस मिसाइल और मार्क 54 एंटी-सबमरीन टॉरपीडो शामिल हैं.
ये हेलीकॉप्टर नौसेना की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए हैं – वे पनडुब्बी रोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, जिसके लिए फोर्स वर्तमान में अपने P-8I विमान पर निर्भर है.
रोमियो पुराने ब्रिटिश निर्मित सी किंग हेलीकॉप्टरों के नौसेना के बेड़े की जगह लेगा, जो अब ज्यादातर अपनी वास्तविक भूमिका के बजाय पनडुब्बी रोधी युद्ध परिवहन के लिए उपयोग किए जाते हैं .
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
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