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Monday, 17 June, 2024
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बर्मिंघम में ट्रैक एंड फील्ड में चमके भारतीय सितारे, लेकिन पदकों की संख्या CWG 2006 के बाद से सबसे कम

टीम इंडिया ने कुल 61 पदक जीते, जिनमें से 22 स्वर्ण, 16 रजत और 23 कांस्य पदक हैं. 1974 के बाद पहली बार निशानेबाजी प्रतिस्पर्द्धा न होना पदक तालिका में भारत के पीछे रहने का प्रमुख कारण माना जा रहा है.

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नई दिल्ली: भारतीय दल ने बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अपने अभियान का अंतिम दिन शानदार प्रदर्शन के साथ समाप्त किया, और सोमवार को हुई छह प्रतिस्पर्धाओं में से प्रत्येक में एक पदक जीता. इनमें चार स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य पदक शामिल हैं.

टीम इंडिया ने इस पूरे आयोजन के दौरान कुल 61 पदक जीते हैं, जिनमें 22 स्वर्ण—2006 के बराबर—16 रजत और 23 कांस्य हैं. हालांकि, इन पदकों ने 43 पदक विजेता देशों में भारत को शीर्ष चार में स्थान दिलाया है, लेकिन 2006 के बाद से इस बार कॉमनवेल्थ गेम्स में टीम के पदकों की संख्या सबसे कम है.

ऑस्ट्रेलिया (178), इंग्लैंड (176) और कनाडा (92) के बाद चौथे स्थान पर रहे भारत का प्रदर्शन 2010 की तुलना में काफी कमतर रहा है, जब दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के साथ भारतीय खिलाड़ियों ने 38 स्वर्ण सहित कुल 101 पदक जीते थे. इसमें 27 रजत और 36 कांस्य पदक थे.

स्वर्ण पदकों की संख्या के लिहाज से यह 1998 के बाद से भारत के सबसे खराब प्रदर्शनों में से एक रहा, जब उसने कुल 18 पदकों में से केवल सात स्वर्ण जीते थे. भारत ने 2006 में इसी बार की तरह 22 स्वर्ण पदक जीते थे.

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
ग्राफिक: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

पदकों की संख्या में गिरावट का एक प्रमुख कारण 1974 के बाद पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में निशानेबाजी का शामिल नहीं होना माना जा रहा है. 2022 से पहले, भारत हर चार साल में होने वाले इस खेल आयोजन में अपने कुल पदकों का 27 प्रतिशत यानी एक चौथाई हिस्सा निशानेबाजी से ही हासिल करता रहा है.

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भारोत्तोलक सैखोम मीराबाई चानू के 49 किग्रा वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के संदर्भ में उनके कोच और द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता विजय शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘मीराबाई चानू का लक्ष्य अगला ओलंपिक है और यह केवल उसी कड़ी में एक परीक्षा थी. इसके अलावा, भारत के 10 पदक भी एक बड़ी उपलब्धि हैं. हालांकि, कुछ में रजत पदक से संतोष करना पड़ा. इसने थोड़ा निराश किया है.’


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एथलेटिक्स, जंपिंग, वॉकिंग इवेंट्स

पदक तालिका में पीछे रहने के बावजूद बर्मिंघम में एथलेटिक्स में भारत का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा हैं, जिसमें राष्ट्रीय टीम ने आठ पदक जीते.

इस मामले में 2010 के एकमात्र अपवाद को छोड़ दें तो भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में एथलेटिक्स में कभी भी कुल तीन पदक से अधिक नहीं जीते थे.

हालांकि, ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज चोपड़ा चोट के कारण प्रदर्शन नहीं कर पाए, अन्नू रानी एक कांस्य के साथ भाला फेंकने में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गईं.

जंपिंग इवेंट एक और क्षेत्र था जहां भारतीय दल ने चार पदक जीत अपने प्रदर्शन में एक बड़े सुधार का संकेत दिया. तेजस्विन शंकर ने हाई जंप में कांस्य और मुरली श्रीशंकर ने लांग जंप में रजत जीता.

सबसे आश्चर्यजनक प्रदर्शन रहा एल्धोस पॉल और अब्दुल्ला अबूबकर का, जिन्होंने ट्रिपल जंप में क्रमशः एक स्वर्ण और एक रजत जीता.

भारत ने वॉकिंग इवेंट्स में न केवल एक बल्कि दो पदक जीते—प्रियंका गोस्वामी ने 10,000 मीटर पैदल दौड़ में रजत जीता, जबकि संदीप कुमार ने 10,000 मीटर पुरुषों की पैदल दौड़ में कांस्य जीतकर इतिहास रचा. इसने कई लोगों को 2010 की याद दिला दी जब हरमिंदर सिंह ने कांस्य जीता था और यह 2022 तक वॉकिंग इवेंट में भारत के लिए पहला और एकमात्र पदक कांस्य था.

क्रिकेट, जिसे पहली बार 1998 में कॉमनवेल्थ गेम्स में शामिल किया गया था, में भी भारतीय महिला टीम ने रजत पदक जीता.

वहीं, भारत के अविनाश सेबल ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में अपने शानदार प्रदर्शन से सभी का दिल जीत लिया, जिन्होंने इस प्रतिस्पर्द्धा में रजत पदक दिलाया. कॉमनवेल्थ में पहली बार हिस्सा ले रहे सेबल ने 8:11.20 का समय निकाला, जो केन्या के अब्राहम किबिवोट से केवल पांच सेकंड पीछे था.

सेबल ने नौवीं बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ा, पहली बार 2018 में उन्होंने 37 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ा था.

सेबल को बधाई देते हुए केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने ट्विटर पर लिखा, ‘राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की 3,000 मीटर स्टीपलचेज दौड़ में अविनाश के तनावपूर्ण अंतिम क्षणों को देखते हुए मेरी धड़कन लगभग रुक गई थी.’

1998 के बाद पहली बार किसी गैर-केन्याई एथलीट ने स्टीपलचेज स्पर्धा में पदक जीता है.


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कुश्ती, भारोत्तोलन, निशानेबाजी

भारत ने कुश्ती में कुल 12 पदक जीते जो आंकड़ा 2018 के बराबर है और 2014 की तुलना में एक पदक कम है.

भारोत्तोलन में भारत ने 3 स्वर्ण सहित 10 पदक जीते जो 2014 की टैली से चार कम और 2018 की टैली से एक अधिक है.

निशानेबाजी के साथ-साथ भारोत्तोलन और कुश्ती में भारतीय टीम हमेशा से ही मजबूत स्थिति में रही है.

यही कारण है कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में निशानेबाजी का न होना भारत की पदक तालिका को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारण हो सकता है. 1934 और 2018 के बीच कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत ने कुछ 503 पदक जीते उनमें से 135 अकेले निशानेबाजी में हुए थे.

पिछले तीन आयोजनों की बात करें तो निशानेबाजी का 2010 में भारत के कुल पदकों में 30 प्रतिशत, 2014 में 26.5 प्रतिशत और 2018 में 24.2 प्रतिशत योगदान रहा है. टीम इंडिया ने इन आयोजनों में निशानेबाजी में कुल 63 पदक हासिल किए हैं.

निशानेबाजी कॉमनवेल्थ गेम्स में एक वैकल्पिक खेल के तौर पर शामिल है. हालांकि, मेजबान देश वैकल्पिक खेलों की सूची में से केवल सात को चुन सकता है. 2022 के कॉमनवेल्थ गेम्स के मेजबान इंग्लैंड ने ‘लॉजिस्टिक कारणों’ का हवाला देते हुए शूटिंग का विकल्प नहीं चुना था.

यही नहीं, 2022 में पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टी20 क्रिकेट, बास्केटबॉल 3×3, व्हीलचेयर बास्केटबॉल 3×3, और मिक्स्ड सिंक्रोनाइज़्ड डाइविंग को शामिल किया गया था.

निशानेबाजी, कुश्ती 2026 की सूची में नहीं

भारत के लिए चिंता का एक विषय यह भी है कि कॉमनवेल्थ गेम्स 2026 में 16 खेल प्रतिस्पर्द्धाओं की शुरुआती सूची में न तो निशानेबाजी ही शामिल है और न कुश्ती. हालांकि इस सूची में क्रिकेट भी शामिल है.

अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति की वेबसाइट ओलंपिक डॉट कॉम के मुताबिक, ‘शूटिंग और कुश्ती शुरुआती सूची में जगह नहीं बना पाई हैं. हालांकि, 2026 के राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खेलों की सूची को इस साल बाद में अपडेट किया जाएगा.

2022 से पहले, भारत के कॉमनवेल्थ गेम्स में हासिल 503 पदकों में से 135 पदक निशानेबाजी में और 102 कुश्ती में जीते थे.

ओलम्पिक डॉट कॉम ने आगे बताया, ‘भारत ने कॉमनवेल्थ गेम्स में कुल पदकों में आधे इन दोनों प्रतिस्पर्द्धाओं में ही हासिल किए हैं.’

2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की पदक तालिका पर बात करते हुए मीराबाई चानू के कोच विजय शर्मा ने दिप्रिंट को बताया, ‘भारत का 61 पदक जीतना एक शानदार उपलब्धि है. हमें यह ध्यान रखना होगा कि यह टैली निशानेबाजी और तीरंदाजी इवेंट न होने के बावजूद है, जिसमें भारत हमेशा अच्छा प्रदर्शन करता रहा है. इसलिए, यह निश्चित तौर पर गर्व की बात है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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