नयी दिल्ली, 31 मई (भाषा) भारतीय सेना कई अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों का ‘युद्ध जैसी परिस्थितियों में’ परीक्षण कर रही है, ताकि उनके प्रदर्शन का गहन मूल्यांकन किया जा सके। अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।
इन परीक्षणों का उद्देश्य सेना की तकनीकी क्षमता को मजबूत करना और इसकी परिचालन तत्परता को बढ़ाना है।
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मूल्यांकन के दौर से गुजर रहे सैन्य साजो सामान में मानव रहित हवाई प्रणाली (यूएएस), यूएवी लॉच्ड प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन (यूएलपीजीएम), रनवे इंडिपेंडेंट (आरडब्ल्यूआई) रिमोटली पायलटेड एरियल सिस्टम (आरपीएएस) और काउंटर-यूएएस समाधान शामिल हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘इन मूल्यांकनों के माध्यम से, भारतीय सेना का लक्ष्य अपनी तकनीकी बढ़त को विस्तार देना, परिचालन तत्परता को बढ़ाना और रक्षा क्षमता विकास में स्वदेशी नवाचार व आत्मनिर्भरता के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि करना है।’’
अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना वर्तमान में पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज, बबीना फील्ड फायरिंग रेंज और जोशीमठ सहित देश भर के प्रमुख स्थानों पर व्यापक क्षमता विकास प्रदर्शन कर रही है।
सेना प्रमुख जनरल उपेन्द्र द्विवेदी ने 27 मई को बबीना फील्ड फायरिंग रेंज का दौरा किया, प्रदर्शनों की समीक्षा की तथा सभी हितधारकों के साथ बातचीत की।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ये क्षेत्र आधारित परीक्षण लगभग युद्ध होने जैसी परिस्थितियों में आयोजित हो रहे हैं, जिनमें अत्याधुनिक रक्षा प्रणालियों के प्रदर्शन का बारीकी से आकलन किया जा रहा है।’’
बयान में कहा गया कि इन गतिविधियों में आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत विकसित उन्नत प्रौद्योगिकियों की विस्तृत श्रृंखला प्रदर्शित की गई है, जिसका उद्देश्य स्वदेशी क्षमता के विकास में तेजी लाना है।
बयान में कहा गया कि अगली पीढी के सैन्य साजो सामान में विशिष्ट वर्टिकल लॉन्च (एसवीएल) ड्रोन, सटीक बहु युद्धक सामग्री वितरण प्रणालियां, एकीकृत ड्रोन डिटेक्शन और इंटरडिक्शन सिस्टम (आईडीडीआईएस), निम्न स्तरीय हल्के वजन वाले रडार, वीएसएचओआरएडीएस (अगली पीढ़ी) आईआर सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (ईडब्ल्यू) प्लेटफॉर्म शामिल हैं।
बयान के अनुसार, इस रक्षा प्रदर्शन में बड़ी संख्या में रक्षा उद्योग साझेदार भाग ले रहे हैं, जो भारतीय सेना और घरेलू निर्माताओं के बीच बढ़ते तालमेल को प्रदर्शित करता है।
भाषा आशीष माधव
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