नई दिल्ली: ब्रिटेन की नयी यात्रा नीति के तहत कोविशील्ड टीका लगाने वालों के टीकाकरण को मान्यता नहीं दिए जाने पर नाराजगी जताते हुए विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने मंगलवार को कहा कि अगर इस बारे में चिंताओं का निवारण नहीं किया गया तो उस स्थिति में उसी तरह के कदम उठाना भारत के भी अधिकार क्षेत्र में होगा. श्रृंगला ने ब्रिटेन की इस नीति को भेदभावपूर्ण बताया.
श्रृंगला के इस बयान से कुछ घंटे पहले विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कोविशील्ड टीका लगवाने वालों के संबंध में देश की चिंताओं से ब्रिटेन की नवनियुक्त विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रस को न्यूयॉर्क में हुई बैठक में अवगत कराया.
दरअसल ब्रिटेन के नये यात्रा नियम के अनुसार, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा बनाए गए कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक लेने वाले लोगों के टीकाकरण को मान्यता नहीं दी जाएगी और ब्रिटेन पहुंचने पर उन्हें 10 दिनों के पृथकवास में रहने की जरुरत होगी.
अधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अगर चार अक्टूबर तक भारत की चिंताओं का समाधान नहीं किया गया तो ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के संबंध में वैसे ही कदम उठाये जाएंगे. गौरतलब है कि यात्रा संबंधी ब्रिटेन का नया नियम चार अक्टूबर से प्रभावी हो रहा है.
पत्रकारों के साथ बातचीत में श्रृंगला ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि ब्रिटेन द्वारा कुछ आश्वासन दिया गया है कि इस समस्या का समाधान किया जाएगा.
श्रृंगला ने कहा, ‘हमने कुछ साझेदार देशों को एक-दूसरे के टीकाकरण प्रमाणपत्र को मान्यता देने का विकल्प भी दिया है. लेकिन ये कदम एक-दूसरे के फैसले पर निर्भर करते हैं. हमें देखना होगा कि आगे क्या होता है. अगर हम संतुष्ट नहीं होते हैं तो उसी तरह के कदम उठाना हमारे अधिकार क्षेत्र के भीतर होगा.’
वह इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे.
श्रृंगला ने कहा, ‘यहां मुख्य मुद्दा यह है कि, एक टीका है कोविशील्ड, जो ब्रिटिश कंपनी का लाइसेंसी उत्पाद है, जिसका उत्पादन भारत में होता है और ब्रिटिश सरकार के अनुरोध पर हमने ब्रिटेन को इसकी 50 लाख खुराक भेजी है.’
उन्होंने कहा, ‘हम समझते हैं कि इसका उपयोग राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रणाली (एनएचएस) के तहत हो रहा है और ऐसे में कोविशील्ड को मान्यता नहीं देना भेदभावपूर्ण नीति है और इससे ब्रिटेन की यात्रा करने वाले हमारे नागरिक प्रभावित होते हैं.’
विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को बेहद जोरदार तरीके से ब्रिटेन की विदेश मंत्री के समक्ष उठाया है और परस्पर हित में जल्दी इसके संतोषजनक समाधान की बात कही है.
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