नई दिल्ली: वियतनाम को भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि दोनों देशों के बीच सहयोग हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में योगदान दे सकता है.
वियतनाम के प्रधानमंत्री गुयेन जुआन फुक के साथ एक डिजिटल शिखर सम्मेलन में मोदी ने कहा कि भारत वियतनाम के साथ अपने संबंधों को दीर्घकालिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से देखता है.
उन्होंने कहा, ‘वियतनाम भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है.’ उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी का दायरा काफी विस्तृत है.’
मोदी ने कहा, ‘हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि हमारा साझा उद्देश्य है. हमारा सहयोग क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में योगदान दे सकता है.’
सम्मेलन के दौरान भारत और वियतनाम के बीच संयुक्त दृष्टि दस्तावेज और 2021 से 2023 तक द्विपक्षीय भागीदारी के लिए एक कार्ययोजना भी जारी की गई.
Addressing the India-Vietnam Virtual Summit. https://t.co/EJoqxllN6Q
— Narendra Modi (@narendramodi) December 21, 2020
मोदी ने कहा, ‘शांति, समृद्धि और लोगों के लिए जारी इस संयुक्त दृष्टि से विश्व को हमारे संबंधों की गहराई का एक मजबूत संदेश जायेगा.’
सम्मेलन में दोनों देशों के बीच रक्षा, वैज्ञानिक शोध, परमाणु ऊर्जा, पेट्रो रसायन, नवीकरणीय ऊर्जा तथा कैंसर के इलाज जैसे विविध विषय पर सात महत्वपूर्ण समझौतों पर भी हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘हम अपने विकास सहयोग और सांस्कृतिक संरक्षण के क्षेत्र में भी नई पहल कर रहे हैं. ये सभी हमारे बढ़ते आपसी सहयोग और क्षमता को दर्शाती हैं.
Held a Virtual Summit H.E. Nguyen Xuan Phuc, PM of Vietnam. We reviewed our cooperation on bilateral, regional and multilateral issues, and adopted a ‘Joint Vision for Peace, Prosperity and People’ to give direction to our Comprehensive Strategic Partnership.
— Narendra Modi (@narendramodi) December 21, 2020
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कई चुनौतियों के बारे में, और क्षेत्र के भविष्य के बारे में तथा विचारों में समानता है और हम साथ मिल कर साझा मूल्यों को आगे बढ़ा सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘अगले साल हम दोनों संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में एक साथ सदस्य होंगे और इसलिए वैश्विक मंच पर हमारे सहयोग का महत्व और भी बढ़ जाता है.’
उन्होंने कोरोनावायरस महामारी से निपटने के लिए वियतनाम की सराहना की और हाल ही में वहां बाढ़ और भूस्खलन के कारण हुई क्षति के मद्देनज़र देशवासियों की तरफ से संवेदनाएं भी प्रकट की. उन्होंने उम्मीद जताई कि इस परिस्थिति से निपटने में भारत द्वारा भेजी गई राहत सामग्री वियतनाम के काम आएगी.
भारत और वियतनाम ने 2016 में अपने द्विपक्षीय संबंधों को समग्र रणनीतिक साझेदारी तक विस्तारित किया और रक्षा सहयोग तेजी से बढते इन द्विपक्षीय संबंधों में सबसे महत्वपूर्ण स्तभों में से एक रहा.
दोनों ही देशों का हिंद-प्रशांत क्षेत्र में काफी कुछ दांव पर है और उनका लक्ष्य इस क्षेत्र के लिए अपने-अपने दृष्टिकोण के आधार पर वहां सहयोग बढ़ाने की संभावनाएं तलाशने का हैं.
पिछले साल बैंकॉक में पूर्व एशिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने समुद्री क्षेत्र के संरक्षण और सतत इस्तेमाल तथा सुरक्षित समुद्री क्षेत्र के निर्माण के वास्ते सार्थक प्रयास करने के लिए हिंद-प्रशांत महासागर पहल की स्थापना का प्रस्ताव दिया था.
दस सदस्यीय आसियान ने ‘आसियान आउटलुक ऑन इंडो पैसफिक (एओआईपी)’ नामक दस्तावेज में इस क्षेत्र के वास्ते अपना दृष्टिकोण सामने रखा है.
आसियान के अहम सदस्य देश वियतनाम का दक्षिण चीन सागर क्षेत्र
में चीन के साथ क्षेत्रीय विवाद है. भारत की वहां वियतनाम की समुद्री सीमा में तेल उत्खनन परियोजनाएं हैं.
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