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Monday, 4 November, 2024
होमदेशब्लिंकन से मिले तिब्बती भिक्षु ने कहा- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का विस्तारवाद खत्म कर सकते हैं भारत-अमेरिका

ब्लिंकन से मिले तिब्बती भिक्षु ने कहा- चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का विस्तारवाद खत्म कर सकते हैं भारत-अमेरिका

तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल ने दिप्रिंट को दिए खास इंटरव्यू में कहा कि चीन की विस्तारवादी नीति विश्व शांति और लोकतंत्र के लिए ‘सबसे बड़ा खतरा’ है.

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नई दिल्ली: तिब्बत हाउस के निदेशक गेशे दोरजी दामदुल का कहना है कि भारत और अमेरिका सामूहिक तौर पर दुनिया में ‘सभ्यता का रोल मॉडल’ बनकर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की विस्तारवाद की रणनीति को ‘खत्म’ कर सकते हैं.

पिछले हफ्ते अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी जे. ब्लिंकन की यात्रा के दौरान आयोजित सिविल सोसाइटी राउंडटेबल सम्मेलन का हिस्सा रहे दोरजी ने दिप्रिंट को दिए एक खास इंटरव्यू में कहा कि यदि भारत ने तिब्बतियों को शरण नहीं दी होती, तो उन्हें ‘हर समय भय और संदेह के माहौल में जीना पड़ रहा होता.’

दोरजी ने कहा, ‘भारत सबसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र के नाते और अमेरिका सबसे पुराने लोकतंत्र के नाते सामूहिक तौर पर सीसीपी का विस्तारवाद रोकने में दुनिया के लिए सभ्य रोल मॉडल हो सकता है, जो कि विश्व शांति और लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है.’

सबसे पहले नई दिल्ली की यात्रा के जरिये जो बाइडन प्रशासन ने भारत से चीन को एक मजबूत संदेश भेजा है.

ब्लिंकन ने दोरजी के अलावा एक अन्य बैठक में तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के प्रतिनिधि और केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) या तिब्बती सरकार में निर्वासित सरकार के प्रमुख न्गोडुप डोंगचुंग से भी मुलाकात की.

दोरजी ने बताया कि अमेरिकी विदेश मंत्री के साथ बैठक के दौरान उन्होंने ‘समावेशीता’ और दलाई लामा की शिक्षाओं पर काफी बातें कीं, जिनका मानना है कि आधुनिक शिक्षा व्यवस्था में ‘खामियां’ हैं क्योंकि ‘यह मस्तिष्क के विकास पर तो जोर देती है लेकिन हृदय के विकास पर बिल्कुल भी नहीं.’

दोरजी ने कहा, ‘वह (दलाई लामा) सभी देशों से आधुनिक शिक्षा प्रणाली में ‘सार्वभौमिक नैतिकता’ को एक पाठ्यक्रम के तौर पर शामिल करने का आह्वान करते हैं.’

दोरजी ने आगे कहा, ‘यद्यपि हिज होलीनेस एक बौद्ध हैं, वे दुनिया में बौद्ध धर्म से ज्यादा ‘सार्वभौमिक नैतिकता’ ही सिखाते हैं, जिसमें किसी को भी पहले अच्छा इंसान बनने और उसके बाद ही कोई अन्य पहचान रखने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. उनका मानना है कि इससे दुनिया में समावेशी विकास होगा.’

दोरजी ने बताया कि राउंडटेबल बैठक के दौरान ब्लिंकन ने ‘समावेशी विकास’ पर एक भाषण दिया और कहा कि उन्हें इस ‘भाषण ने वास्तव में काफी प्रभावित किया… उन्होंने कोविड महामारी जैसे वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए सार्वभौमिक जिम्मेदारी की आवश्यकता बताई. उन्होंने साझा मूल्यों पर भी जोर दिया और कहा कि सभी को मिलकर आवाज उठानी चाहिए.’

तिब्बती नेताओं के साथ ब्लिंकन की इस बैठक ने बीजिंग को परेशान कर दिया, जिसने इस कदम का विरोध करते हुए कहा है कि यह ‘तिब्बत को चीन का हिस्सा मानने की अमेरिकी प्रतिबद्धता का उल्लंघन है.’


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‘सीसीपी पर रोक लगाने के तिब्बत के संदेश को अमेरिका का समर्थन’

दोरजी के अनुसार, यह बेहद जरूरी है कि अमेरिका तिब्बती मुद्दे का समर्थन करना जारी रखे क्योंकि इससे दुनिया को एक कड़ा संदेश मिलेगा. कई अहम मौकों पर दलाई लामा के लिए दुभाषिया की भूमिका निभाने वाले दोरजी ने कहा, ‘जो बाइडन प्रशासन तिब्बत के समर्थन के लिए जो कर रहा है, वह दुनिया के लिए वाकई एक बड़ा संदेश है कि जब तक दुनिया सीसीपी को नहीं रोकती, वास्तव में दुनिया में लोकतंत्र, कानून के शासन और सभ्यता के सिद्धांत को नष्ट किया जाता रहेगा.’

उन्होंने चेताया कि तिब्बत के साथ जो हुआ वह समय के साथ पूरी दुनिया में हो सकता है.

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच अप्रैल-मई 2020 से जारी गतिरोध का उल्लेख करते हुए दोरजी ने कहा कि सीसीपी ‘पड़ोसी देशों को धमकाने की रणनीति’ का उपयोग करती है.

उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘सीसीपी को केवल विस्तारवाद में भरोसा है. आज हम जो देख रहे हैं, वो यह कि सीसीपी पैसे का इस्तेमाल कुछ देशों को खरीदने के लिए करती है. और दूसरी तरफ, पड़ोसी देशों पर धमकाने की रणनीति अपनाती है. वे इस बात से एकदम अनभिज्ञ हैं कि उन्होंने तिब्बत के साथ क्या किया है और आज वे दुनियाभर में जो कर रहे हैं, वह वास्तव में उनका असली चेहरा सामने ला रहा है. अमेरिका और भारत सामूहिक रूप से मिलकर चीन यह बात अच्छी तरह समझा सकते हैं और उसे सभ्य तरीके से व्यवहार करने लायक बना सकते हैं.’


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‘तिब्बतियों के लिए बहुत कुछ कर रहा भारत’

दोरजी का मानना है कि अगर शांतिपूर्ण जीवन की तलाश में अपनी जमीन छोड़कर भागे तिब्बतियों को भारत ने यहां आश्रय नहीं दिया होता, तो वे गंभीर संकट में पड़ जाते.

उन्होंने कहा, ‘भारत पहले भी कर चुका है और अब भी यहां बसे तिब्बतियों के लिए बहुत कुछ कर रहा है. आखिरकार, भारत वह भूमि है जिसने सभ्यता, अहिंसा और मानवता के लिए प्रेम के बेहद अहम सिद्धांतों को जन्म दिया. मैं आज भी यह कल्पना कर सकता हूं कि अगर सीसीपी के क्रूर शासन से बचकर नहीं भागते तो तिब्बतियों को दुर्दशा का सामना करना पड़ रहा होता, उन्हें हर समय भय और संदेह के साये में जीना पड़ता.’

पिछले महीने, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत की तीन दिवसीय यात्रा की और तिब्बती सैन्य कमान के अधिकारियों से मुलाकात की. इस यात्रा को अमेरिका की तरफ से भारत के लिए एक खतरे के तौर पर देखा गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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