नई दिल्ली: भारत चीन के साथ कूटनीतिक वार्ता के माध्यम से भी बातचीत कर रहा है, क्योंकि उसने बीजिंग से संयम बरतने और 6 जून को कमांडर स्तर की बैठक के दौरान बनी सहमति का पालन करने का आग्रह किया है, जबकि सेना एक विस्तृत स्थितिगत रिपोर्ट पर काम कर रही है और एक उच्चस्तरीय बैठक भी कर रही है.
सोमवार रात को गलवान घाटी में सैनिकों के बीच हिंसक झड़प के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया, जिसके परिणामस्वरूप एक कमांडिंग अधिकारी सहित 20 भारतीय सैनिकों की मौत हो गई. मई की शुरुआत से ही लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों सेनाओं के बीच गतिरोध है.
चीन के साथ महीने भर के गतिरोध के बाद पहली बार भारत ने बुधवार को स्वीकार किया कि बीजिंग ‘एकतरफा स्थिति को बदलना चाहता है’, जबकि वह वरिष्ठ कमांडरों के स्तर की बैठक के दौरान ‘गलवान वैली में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करने के लिए सर्वसम्मति’ से माना था.
सेना एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट तैयार कर रही है और उच्च स्तरीय बैठक भी कर रही है.
एक शीर्ष अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘आने वाले दिनों में और अधिक कूटनीतिक गतिविधि होंगी.’ उन्होंने कहा कि नई दिल्ली ने पहले ही बीजिंग से ‘राजनयिक शुरुआत’ कर दी है.
हालांकि, विदेश मंत्रालय को आधिकारिक तौर पर घोषणा करना बाकी है कि क्या नई दिल्ली में चीनी राजदूत सुन वेइदॉन्ग को बुलाने की कोई योजना है.
इससे जुड़े सूत्रों ने कहा कि भारत 22 जून को रुस-भारत-चीन के साथ होने वाले त्रिपक्षीय बैठक को शायद स्थगित कर सकता है. ये पहले मार्च में होनी थी जो कोरोनावायरस महामारी के कारण नहीं हो सकी थी.
इस साल चीन के साथ राजनयिक संबंधों को भी 70 साल पूरे हो रहे हैं.
बातचीत जारी है लेकिन सीमा पर सतर्कता बढ़ी
सेना के सूत्रों ने बताया कि हिंसक झड़प के बीच जिसमें 20 भारतीय सैनिकों की जान चली गईं और कई घायल हुए, इसके बावजूद बुधवार को बातचीत जारी रहेगी.
एहतियातन तौर पर एलएसी के पास मौजूद टुकड़ियों को सावधानी रखने को कहा गया है और पहले से भी बड़ी संख्या में गश्त करने को कहा है.
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सूत्रों ने कहा कि ऐसे प्रयास इसलिए किए जा रहे हैं कि ऐसी हिंसक घटनाएं किसी और सेक्टर में न हो और कहा कि सोमवार शाम को हुई घटना के बाद ग्राउंड पर मौजूद सैनिक नाराज़ हैं.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सीडीएस जनरल बिपिन रावत और तीनों सेवा प्रमुखों के साथ समीक्षा बैठक कर रहे हैं.
सूत्रों ने कहा कि तीनों सेवा प्रमुख विभिन्न स्तरों पर किए जा रहे उपायों की समीक्षा करेंगे, ताकि कोई मोर्चा नहीं छोड़ा जा सके.
सूत्रों ने कहा कि सेना अभी भी घायलों का विवरण देने वाली अंतिम स्थितिजन्य रिपोर्ट बनाने की प्रक्रिया में है और जिनका अभी भी कोई पता नहीं है.
‘ऐसी घटनाएं और भी हो सकती हैं’
बुधवार को सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने कहा कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) द्वारा कई भारतीय सैनिकों को भी कथित रूप से बंदी बना लिया गया था, लेकिन उच्च स्तर पर बातचीत के बाद उन्हें वापस लौटा दिया गया.
पूर्व भारतीय खुफिया अधिकारी, जो अब चीन विश्लेषण और रणनीति केंद्र के अध्यक्ष हैं, जयदेव रानाडे ने कहा, ‘पहले से ही संकेत थे कि मामला हाथ से निकल रहा है. जो हुआ है वह असामान्य है, दोनों ही- निर्माण और साथ ही हिंसा भी. जब इस तरह की घटना हुई थी तब सीमित असंगति को देखने के लिए सैनिक वहां गए थे. इससे दोनों नेतृत्व पर तुरंत दबाव पड़ा है. हमें यह समझना होगा कि चीनी वास्तव में क्या चाहते हैं.’
दूसरी तरफ चीन ने आधिकारिक तौर पर हताहत की कोई जानकारी नहीं दी है.
रानाडे ने कहा, ‘इतना सब होने के बाद मुझे नहीं लगता कि वो आसानी से पीछे हटेंगे. यह बातचीत को और मुश्किल बनाएगा. डिसइंगेजमेंट के लिए प्रयास जारी हैं, हम इस तरह की और घटनाएं देख सकते हैं. यह एक भयावह स्थिति है. जबकि वे (चीन) बात कर रहे हैं कि सेना अभी भी है. यह चीनी सैनिकों के साथ कुछ खास तरह की आक्रामकता है. उन्होंने अपने क्षेत्रीय दावों का भी विस्तार किया है.’
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वैस्टर्न थिएटर कमांड ने गलवान घाटी को चीनी क्षेत्र के रूप में दावा किया है और भारत को फेस-ऑफ के लिए दोषी ठहराया है.
15 और 16 जून की दरम्यानी रात को हुआ हिंसक आमना-सामना पिछले 45 वर्षों में इस तरह की पहली घटना थी. आखिरी बार ऐसा संघर्ष 1975 में हुआ था.
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