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Saturday, 2 November, 2024
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भारत ने कहा- WHO को दिया Covaxin संबंधी सारा डेटा, अगले हफ्ते बैठक में पॉजिटिव रिजल्ट की उम्मीद

कोवैक्सीन की आपातकालीन-उपयोग सूची के लंबे इंतजार ने कई लोगों को हैरान कर दिया है. मंगलवार को डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक के साथ स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की बैठक के दौरान इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई.

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नई दिल्ली: भारत को विश्वास है कि उसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को भारत बायोटेक के कोवैक्सीन को मंजूरी देने के लिए आवश्यक सभी सूचनाओं को दे दिया है और भारत अगले सप्ताह डब्ल्यूएचओ के तकनीकी सलाहकार समूह (टीएजी) की बैठक में सकारात्मक परिणाम की उम्मीद कर रहा है.

उच्च पदस्थ सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि अनुमोदन के लिए लंबे इंतजार ने कई लोगों को हैरान कर दिया है और इस मुद्दे पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक (डीजी) डॉ. टेड्रोस अदनोम घेब्रेयेसस के बीच मंगलवार को बातचीत हुई थी.

वर्चुअल मीटिंग के एक दिन बाद डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वह कोवैक्सीन को मंजूरी देने के लिए जल्दबाजी नहीं करेगा. सोमवार को जारी एक बयान में, डब्ल्यूएचओ ने यह भी कहा कि वे इसके निर्माता, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक से वैक्सीन पर ‘एक अंतिम सूचना’ की प्रतीक्षा कर रहे थे. टैग की अगली बैठक 26 अक्टूबर को होनी है.

सूत्रों ने कहा कि मंडाविया ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण और संयुक्त सचिव लव अग्रवाल के साथ मिलकर टेड्रोस और दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक डॉ पूनम खेत्रपाल सिंह को बताया कि सभी क्लीनिकल ​​जानकारी, गैर- क्लीनिकल ​​जानकारी, रसायन विज्ञान, निर्माण जानकारी और नियंत्रण के बारे में जानकारी 16 अगस्त और 14 अक्टूबर के बीच आठ कम्युनिकेशन के बीच डब्ल्यूएचओ के साथ शेयर किया गया है.

एक सूत्र ने बताया, ‘कोई अन्य जानकारी नहीं है जो डब्ल्यूएचओ को ईयूएल (इमरजेंसी यूज़ लिस्टिंग, आपातकालीन उपयोग सूची) के लिए चाहिए. वास्तव में, ईयूएल का एक निर्धारित प्रारूप है और इस तरह सभी डेटा जमा किए गए थे और उन आठ कम्युनिकेशन सहित बाद के सभी कम्युनिकेशन के तुरंत उत्तर दिए गए थे और इसके बाद जिस भी डेटा की मांग की गई थी, उन्हें भी उपलब्ध कराया गया था. तो, हमें नहीं पता कि कोवैक्सीन पर डब्ल्यूएचओ किस सूचना का इंतजार कर रहा है. हम वही करेंगे जो डीजी ने हमारे मंत्री से कहा था और वह यह है कि उनके पास वह है जो उन्हें चाहिए. हम यहां मुद्दे में शामिल नहीं हो रहे हैं या डब्ल्यूएचओ प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश नहीं कर रहे हैं, लेकिन चूंकि यह एक भारतीय टीका है, इसलिए हम इसका पालन कर रहे हैं.’

सूत्र ने कहा, भारत सरकार के शीर्ष पदाधिकारियों का कहना है कि वर्चुअल बैठक सभी के साथ सौहार्द्रपूर्ण तरीके से हुई और दोनों पक्ष संतुष्ट थे. हम डब्ल्यूएचओ के साथ मुद्दे में शामिल नहीं हो रहे हैं, अगर हम होते, तो हम कहते कि सिनोफार्म (चीनी वैक्सीन कंपनी) को एक्स दिनों में ईयूएल दिया गया था और हम वाई दिनों की प्रतीक्षा कर रहे हैं. हमने बस अपने पक्ष का प्रतिनिधित्व किया है.

मंत्री मंडाविया ने मंगलवार को बैठक के बारे में ट्वीट किया था, जिसमें कोवैक्सीन के बारे में चर्चा का उल्लेख नहीं किया गया था.

दिप्रिंट ने डब्ल्यूएचओ द्वारा मांगी गई जानकारी की प्रकृति के बारे में जानने के लिए ईमेल द्वारा भारत बायोटेक से संपर्क किया, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी. डब्ल्यूएचओ से भी जब इस बारे में मेल के जरिए पूछा गया तो उन्होंने अपने सोमवार के बयान का संदर्भ दिया.

महामारी के बीच, कई देशों ने केवल डब्ल्यूएचओ-समर्थित टीके लगवाने वाले लोगों को ही प्रवेश की अनुमति दी है, कोवैक्सीन के लिए ईयूएल में किसी भी देरी से इस लगवाने वालों की यात्रा योजनाओं में बाधा होने का खतरा है. बुधवार तक, भारत में कोवैक्सीन की 11.36 करोड़ से अधिक खुराक दी जा चुकी थी.

‘वैज्ञानिक नहीं बल्कि कूटनीतिक रोक’

डब्ल्यूएचओ ने सोमवार को अपने बयान में कहा कि इसकी ईयूएल प्रक्रिया की समय सीमा इस बात पर निर्भर करती है कि वैक्सीन बनाने वाली कंपनी कितनी जल्दी मध्यम आय वाले देश की वैक्सीन की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभावकारिता और इसकी उपयुक्तता का मूल्यांकन करने के लिए डब्ल्यूएचओ के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करने में सक्षम है.

यह भी कहा कि ‘हम जानते हैं कि बहुत से लोग कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की सिफारिश की प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन हम जल्दबाजी नहीं कर सकते हैं – आपातकालीन उपयोग के लिए किसी उत्पाद की सिफारिश करने से पहले, हमें यह सुनिश्चित करने के लिए इसका अच्छी तरह से मूल्यांकन करना चाहिए कि यह सुरक्षित और प्रभावी है.

भारत बायोटेक ने आगे कहा, ‘वह लगातार डब्ल्यूएचओ को डेटा जमा करा रहा है और 27 सितंबर को डब्ल्यूएचओ के अनुरोध पर अतिरिक्त जानकारी भी उपलब्ध कराया.’

डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों ने अब इन आंकड़ों की समीक्षा की है और आज एक आखिरी जानकारी की उम्मीद कर रहे हैं. यदि प्रदान की गई जानकारी सभी प्रश्नों का समाधान कर पाती है, तो डब्ल्यूएचओ और तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) मूल्यांकन पूरा करेंगे और अंतिम रूप से सिफारिश करेंगे कि क्या वैक्सीन को ईयूएल दिया जा सकता है.

हालांकि, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद का मानना ​​​​है कि स्वदेशी कोविड वैक्सीन, कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी में रोक ‘वैज्ञानिक नहीं बल्कि कूटनीतिक’ है.

नाम न बताने की शर्त पर आईसीएमआर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘कोवैक्सीन के अधिकांश सुरक्षा और प्रभावकारिता संबंधी डेटा पहले से ही सार्वजनिक डोमेन में हैं. वे उत्पादन क्षमता के बारे में भी जानना चाहते हैं. हालांकि, डब्ल्यूएचओ को अपनी मंजूरी देने के लिए, एक महत्वपूर्ण मानदंड भी वैक्सीन की गुणवत्ता है और क्या यह वैश्विक अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (जीएमपी) का पालन करता है. ‘मेरी समझ में, रुकावट वैज्ञानिक नहीं है बल्कि राजनयिक है. इसलिए हमारी अपनी नियामक प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई कारण नहीं है. हालांकि, अधिकारी ने यह नहीं बताया कि राजनयिक रुकावट से उनका क्या मतलब है.

आईसीएमआर अधिकारी ने कहा, ‘यह अच्छा है कि वे जल्दीबाजी नहीं चाहते. हम अनावश्यक रूप से परेशान नहीं हैं.


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कोवैक्सीन के लिए प्रभावकारिता डेटा अभी तक एक पीयर-रिव्यू जर्नल में प्रकाशित नहीं किया गया है. जुलाई में एक प्रेस बयान में, भारत बायोटेक ने दावा किया कि पूरे विषाणु-निष्क्रिय कोविड-19 वैक्सीन ने भारत में अब तक के सबसे बड़े कोविड के तीसरे चरण के क्लीनिकल ​​​​परीक्षण में 77.8 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई है.

आईसीएमआर के अधिकारियों ने कोवैक्सीन के पुराने वैक्सीन प्लेटफॉर्म पर आधारित होने की चिंताओं को भी खारिज कर दिया. ‘यह कोई समस्या नहीं है. यह मैकाले मानसिकता है जब हम देश में विकसित किसी भी चीज पर संदेह करते हैं और सोचते हैं कि बाकी सब कुछ बहुत अच्छा है. अब एक पूरे विरिऑन से एक फ्रेंच वैक्सीन भी विकसित की जा रही है.’

इस मामले में फ्रांसीसी कंपनी वालनेवा द्वारा विकसित किए जा रहे टीके का संदर्भ दिया जा रहा है जिसका अभी क्लीनिकल ​​परीक्षण पूरा नहीं हुआ है.

डब्ल्यूएचओ से ईयूएल प्राप्त करने वाले टीकों में फाइजर/बायोएनटेक, एस्ट्राजेनेका-एसके बायो, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, जेनसेन, सिनोफार्मा और मॉडर्ना शामिल हैं.

ईयूएल क्या है?

वर्तमान में जारी कोविड महामारी की तरह सार्वजनिक स्वास्थ्य की आपात स्थितियों के दौरान डब्ल्यूएचओ उन दवाओं और चिकित्सीय प्रभावकारिता का आकलन करता है जिन्हें अभी भी लाइसेंस प्राप्त होना है. इसके बाद यह निर्णय लिया जाता है कि सकारात्मकता और संभावित दुष्प्रभावों का मूल्यांकन करने के बाद उनका उपयोग किया जाए या नहीं.

ईयूएल का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि दुनिया के सबसे गरीब और सबसे कमजोर लोगों की इन उत्पादों तक जल्दी पहुंच बने.

डब्ल्यूएचओ की वेबसाइट पर उपलब्ध ईयूएल जानकारी के अनुसार, ‘जब ईयूएल के लिए प्रस्तुत उत्पाद का मूल्यांकन डब्ल्यूएचओ-सूचीबद्ध प्राधिकरण द्वारा अन्य आपातकालीन तंत्रों के माध्यम से किया जाता है, तो डब्ल्यूएचओ का उद्देश्य होता है कि एक ही काम की पुनरावृत्ति न हो. हालांकि, डब्ल्यूएचओ वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य के नजरिए से उत्पादों की उपयुक्तता का आकलन करेगा और हर मामले के आधार पर उत्पादों की गुणवत्ता, सुरक्षा, प्रभावकारिता और प्रदर्शन के पहलुओं का आकलन कर सकता है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )


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