नई दिल्ली: जम्मू और कश्मीर में डिलिमिटेशन प्रक्रिया पर पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में पास किए गए एक प्रस्ताव को भारत ने ‘हास्यास्पद’ बताया है.
मंगलवार को विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हम स्पष्ट रूप से हास्यास्पद प्रस्ताव को खारिज करते हैं… ‘
मंत्रालय ने पाकिस्तान की फटकार लगाते हुए कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का उसका (पाकिस्तान का) कोई अधिकार नहीं हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा.’
बागची ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों के संबंध में बयान देने या इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें उसके (पाकिस्तान के) अवैध और बलपूर्वक कब्जे वाला भारतीय क्षेत्र भी शामिल है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हम इस बात पर जोर देते हैं कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ सीमापार से आतंकवाद और आतंकी आधारभूत ढांचे को बंद करे, अपने कब्जे वाले कश्मीर और लद्दाख (पीओजेकेएल) में मानवाधिकारों का लगातार किए जा रहे हनन को रोके.’
बागची ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर और लद्दाख में यथास्थिति में बदलाव करने से दूर रहे और अपने (पाकिस्तान के) अवैध और बलपूर्वक कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली करे.
उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में परिसमीन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जो पक्षकारों की सहभागिता और परामर्श के सिद्धांत पर आधारित है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘यह खेदजनक है कि अपने देश को व्यवस्थित करने के बजाए पाकिस्तान का नेतृत्व लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है, आधारहीन और उकसाने वाले भारत विरोधी दुष्प्रचार में लगा हुआ है.’
गौरतलब है कि पाकिस्तान की संसद ने पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर में डिलिमिटेशन प्रक्रिया के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव में आरोप लगाया गया था कि इस भारतीय कदम का लक्ष्य मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी वाले जम्मू्-कश्मीर की चुनावी जनसांख्यिकी में कृत्रिम तरीके से बदलाव करना है.
एक दिन पहले, भारत ने जम्मू कश्मीर में डिलिमिटेशन पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ‘अवांछित’ टिप्पणियों की अलोचना की थी और उसे एक देश की शह पर ‘साम्प्रदायिक एजेंडा’ चलाने से दूर रहने को कहा था.
भाषा के इनपुट से
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