नई दिल्ली: देश आज दो बड़े इतिहास रचने जा रहा है, जिसमें भारत का तीसरा चंद्रयान मिशन है जो शाम को 6 बजकर चार मिनट पर चांद की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करेगा और दूसरी तरफ भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञाननंदा हैं जो फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल में अपने टैलेंट का दम भरने जा रहे हैं.
प्रज्ञान ने मंगलवार को फिडे वर्ल्ड कप शतरंज टूर्नामेंट के फाइनल की पहली क्लासिकल बाजी में दुनिया के नंबर एक खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन को बराबरी पर रोक लिया था.
18-वर्षीय ग्रैंडमास्टर ने अपने से ज्यादा अनुभवी और बेहतर रैंकिंग वाले खिलाड़ी के खिलाफ प्रभावशाली प्रदर्शन किया और सफेद मोहरों से खेलते हुए विरोधी खिलाड़ी को 35 चाल के बाद ड्रॉ के लिए राज़ी किया.
बुधवार को दो क्लासिकल मैच के मुकाबले की दूसरी बाज़ी में कार्लसन सफेद मोहरों से शुरुआत करेंगे और फायदे की स्थिति में रहेंगे.
प्रज्ञान ने सेमीफाइनल में दुनिया के तीसरे नंबर के खिलाड़ी फाबियानो करूआना को 3.5-2.5 से हराकर उलटफेर करते हुए फाइनल में जगह बनाई थी.
इससे पहले भी भारतीय ग्रैंडमास्टर कार्लसन को ऑनलाइन ब्लिट्ज/रेपिड बाजी में हरा चुके हैं, जिससे सनसनी फैल गई थी.
वहीं, भारत आज चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ‘साफ्ट लैंडिंग’ करके इतिहास रचने को तैयार है. बता दें कि दुनिया का कोई भी देश चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना परचम नहीं लहरा सका है. चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत चौथा देश होगा.
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हर टूर्नामेंट में साथ रहती हैं मां
विश्वनाथन आनंद की लगभग साढ़े तीन दशक पुरानी तस्वीर आज भी प्रशंसकों को याद है जिसमें वो 64 खानों के इस खेल को अपनी मां सुशीला के साथ खेल रहे हैं.
भारतीय शतरंज के नए सितारे आर प्रज्ञाननंदा वर्ल्ड कप में जब नया इतिहास रच रहे थे, तो कोने में खड़ी उनकी मां नागलक्ष्मी की आंखों में चमक और चेहरे पर सुकून भरी मुस्कान थी.
टूर्नामेंट के दौरान भारतीय खिलाड़ी की मां की मौजूदगी ने एक्स प्लेयर गैरी कास्पारोव को अपने खेल के दिनों की याद दिला दी. कास्परोव ने कहा कि जब वो खेलते थे तब उनकी मां भी उनके साथ मौजूद रहती थीं और इसने उनके खेल में काफी मदद की.
प्रज्ञाननंदा की सोमवार को वर्ल्ड में तीसरे नंबर के खिलाड़ी फैबियानो कारुआना के खिलाफ जीत से प्रभावित पूर्व वर्ल्ड चैंपियन कास्पारोव ने इस 18-वर्षीय भारतीय खिलाड़ी और उनकी मां की कोशिशों की जमकर तारीफ की.
कास्पारोव ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘‘प्रज्ञाननंदा और उनकी मां को बधाई. मैं उन खिलाड़ियों में शामिल था जिनकी मां हर प्रतियोगिता में उनके साथ में होती थीं. चेन्नई के रहने वाले भारतीय खिलाड़ी ने न्यूयॉर्क के दो खिलाड़ियों को हराया. वो विषम परिस्थितियों में भी मजबूत बना रहा.’’
प्रज्ञाननंदा के पिता रमेश बाबू इन सभी सफलताओं का क्रेडिट अपनी पत्नी को देते हैं.बैंक कर्मचारी रमेशबाबू को शतरंज के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी, उन्होंने बच्चों का ध्यान टीवी से भटकाने के लिए इस खेल का सहारा लिया. एक इंटरव्यू में रमेश ने बताया था कि अब उनके घर में शायद ही कभी टीवी देखा जाता है.
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे अपनी पत्नी को क्रेडिट देना चाहिए, जो टूर्नामेंट में बच्चों के साथ जाती हैं और साथ देती हैं. वो दोनों बच्चों का बहुत ख्याल रखती हैं.’’
रमेशबाबू ने कहा, ‘‘हमने वैशाली को शतरंज से परिचित कराया था, ताकि बचपन में उसकी टीवी देखने की आदत कम हो सके. इसके बाद दोनों बच्चों को यह खेल पसंद आया और उन्होंने इसे जारी रखने का फैसला किया.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें खुशी है कि दोनों शतरंज खेलने का आनंद ले रहे हैं और शतरंज के प्रति अपने जुनून के कारण अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे हैं.’’
प्रज्ञाननंदा की बहन, वैशाली महिला ग्रैंडमास्टर है और अंतरराष्ट्रीय सर्किट में सबसे बेहतरीन युवा खिलाड़ियों में से एक हैं.
पिता ने कहा, ‘‘मुझे इस खेल के बारे में ज्यादा नहीं पता लेकिन मैं हर टूर्नामेंट पर नज़र रखता हूं.’’
उन्होंने बताया था कि नागलक्ष्मी का पूरा जीवन प्रज्ञाननंद और उनकी बहन वैशाली को अपने वर्गों में विश्व ग्रैंडमास्टर बनने में मदद करने के इर्द-गिर्द घूमा है.
नागलक्ष्मी ने कहा था, ‘‘प्रज्ञाननंद के अखाड़े इतने शांत होते हैं कि मैं डर जाती हूं कि लोग मेरे दिल की तेज़ धड़कनों को सुन न लें. मैं अपने बेटे से किसी भी गेम के दौरान आंखें नहीं मिलाती, क्योंकि मैं नहीं चाहती कि उसे पता लगे कि मैं उसके मन की बात जानती हूं.’’
उन्होंने कहा कि हालांकि, खिलाड़ियों को बिना किसी भाव के रहने की ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन एक मां के रूप में मैं बता सकती हूं कि वह कब कॉन्फिडेंट है या निराश.
चेन्नई स्थित ब्लूम चेस अकादमी के एस थियागराजन, जो प्रज्ञानंद के पहले कोच थे, बताते हैं कि सात साल की उम्र से बच्चों की ट्रेनिंग के दौरान उनकी मां पूरा टाइम साथ रहती थीं और रात 10 बजे तक ट्रेनिंग पूरी होने के बाद अपने काम निपटाती थीं.
कईं खबरों के मुताबिक, पिता ने बताया कि युवा ग्रैंडमास्टर की मां किसी भी टूर्नामेंट पर बच्चों के साथ जाती हैं और घर के बर्तन और मसाले साथ लेकर जाती हैं, ताकि वो उनके लिए चावल और रसम बना सकें. उनका मानना है कि घर के खाने से खेल में आपको मदद मिलती है.
कैंडिडेट्स टूर्नामेंट भी किया क्वालीफाई
प्रज्ञानानंदा महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद के बाद वर्ल्ड कप फाइनल में जगह बनाने वाले सिर्फ दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं. दो मैचों की क्लासिकल सीरीज 1-1 से बराबरी पर समाप्त होने के बाद प्रज्ञानानंदा ने बेहद रोमांचक टाईब्रेकर में अमेरिका के दिग्गज ग्रैंडमास्टर को पछाड़ दिया था.
प्रज्ञानानंद की उपल्बधि पर विश्वनाथन आनंद ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘प्रैग (प्रज्ञानानंदा) फाइनल में पहुंच गया! उसने टाईब्रेक में फाबियानो करूआना को हराया और अब उसका सामना मैग्नस कार्लसन से होगा. क्या शानदार प्रदर्शन है!’’
प्रज्ञान 2024 में होने वाले कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए भी क्वालीफाई कर चुके हैं. इससे पहले भारत की तरफ से अभी तक पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद ही इस प्रतियोगिता में खेले हैं.
इस बीच, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विश्वकप के सेमीफाइनल में जीत पर ग्रैंडमास्टर को बधाई दी और कहा कि एक अरब से अधिक भारतीय उनके लिए जयकारे लगा रहे हैं.
‘एक्स’ पर एक पोस्ट में गांधी ने कहा, ‘‘फिडे शतरंज विश्व कप के फाइनल तक की शानदार यात्रा के लिए प्रज्ञानानंद को बधाई. मैग्नस कार्लसन के खिलाफ खिताबी मुकाबले के लिए मेरी शुभकामनाएं. एक अरब से अधिक भारतीय आपकी जय-जयकार कर रहे हैं.’’
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी फाइनल में जगह बनाने के लिए प्रज्ञानानंद को बधाई दी. उन्होंने कहा, ‘‘आगामी बड़े मैच के लिए शुभकामनाएं.’’
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भारत में शतरंज तेज़ी से बढ़ रहा
प्रज्ञानानंद के कोच ग्रैंडमास्टर एम श्याम सुंदर ने भी अपने शिष्य की तारीफ करते हुए बताया कि उनमें दबाव की स्थिति में सहजता से बचाव करना और अपने प्रतिद्वंद्वी की कमज़ोरी को तुरंत भांपने की क्षमता है जो कि एक विश्व स्तरीय खिलाड़ी की पहचान है.
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी सबसे बड़ी ताकतों में से एक सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों के खिलाफ भी मुश्किल स्थिति में बचाव करने की उनकी क्षमता है. उनकी गणना करने की क्षमता उत्कृष्ट है और वह आत्मविश्वास के साथ बेहतर स्थिति को जीत में बदल सकता है.’’
कोच का मानना है कि उनका शिष्य सभी फॉर्मेट्स में अच्छा है. प्रज्ञाननंदा की प्रगति को शानदार करार देते हुए ग्रैंडमास्टर सुंदराजन किदांबी ने कहा कि उनक प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि भारत में चेस कैसे तेज़ी से बढ़ रहा है.
किदांबी ने कहा, ‘‘उन्होंने कार्लसन को ऑनलाइन ब्लिट्ज/रेपिड बाजी में हराया है जिससे सनसनी फैल गई थी और एक साल के भीतर वर्ल्ड कप फाइनल में उनसे मुकाबला करने के लिए क्वालीफाई कर लिया. यह प्रगति आश्चर्यजनक है.’’
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