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Friday, 1 November, 2024
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विश्व का पहला ग्रीन रेलवे होगा भारत, कोलकाता में नदी के नीचे दौड़ेगी मेट्रो ट्रेन

पहले फेस के दौरान देश की पहली अंडर वॉटर मेट्रो ट्रेन सॉल्टलेक सेक्टर पांच से सॉल्टलेक स्टेडियम के बीच चलेगी.

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नई दिल्ली: भारतीय रेलवे नई दिशा की ओर छुक-छुक बढ़ रहा है. पर्यावरण की सुरक्षा से लेकर तकनीक की दिशा में नए आयाम गढ़ने को तैयार है. एक ओर रेलवे विश्व की पहली ग्रीन रेलवे की ओर बढ़ रही है जिसमें तेज गति विद्युतीकरण, सौर ऊर्जा का उपयोग से शीघ्र ही भारतीय रेलवे विश्व की पहली ग्रीन रेलवे बनने की ओर बढ़ रहा है. वहीं रेलवे नई दिशा में आगे बढ़ते हुए हुगली नदी के में चलने के लिए तैयार है.

यदि आप ट्रेन में सफर करते हैं और नदी के नीचे रेल यात्रा करना चाहते है तो जल्द ही आपकी यह इच्छा पूरी हो सकेगी. कोलकाता में हुगली नदी के नीचे चलने वाली पहली मेट्रो रेल का काम पूरा होने वाला है. पहली बार नदी के नीचे ट्रांसपोर्ट टनल तैयार की गई है. यह अप और डाउन सुरंगे होंगी. यह दोनों सुरंगे 520 मीटर लंबी और 30 मीटर गहरी है. इसके अंदर मेट्रो ट्रेन 80 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दौड़ेगी.

गुरुवार को रेलमंत्री पीयूष गोयल ने एक वीडियो ट्वीट कर इसकी जानकारी साझा की है. इसमें रेल मंत्री गोयल ने बताया कि भारत की पहली अंडर वाटर ट्रेन शीघ्र ही कोलकाता में हुगली नदी के नीचे चलना आरंभ होगी. उत्कृष्ट इंजीनियरिंग का उदाहरण यह ट्रेन देश में निरंतर हो रही रेलवे की प्रगति का प्रतीक है. इसके बनने से कोलकाता निवासियों को सुविधा, और देश को गर्व का अनुभव होगा.

इस वीडियों में जानकारी दी गई है कि देश की पहली अंडर वाटर मेट्रो ट्रेन कोलकाता के सॉल्टलेक सेक्टर पांच से हावड़ा मैदान तय की यात्रा करने के लिए तैयार हो रही है. दो फेस में से जल्द ही एक फेस जो सॉल्टलेक सेक्टर पांच से सॉल्टलेक स्टेडियम यात्रियों के लिए शुरू कर दिया जाएगा. अंडर वाटर ट्रेन को पानी से बचाने के लिए हाई कवालिटी के सुरक्षा कवज भी तैयार किए गए हैं. कोलकाता मेट्रो का प्रोजेक्ट 16 किमी लंबा है. सुरंग के अंदर पानी का रिसाव रोकने के लिए 3 स्तर के सुरक्षा कवच तैयान किए गए है.

जानकारी के अनुसार पहली अंडरवाटर टनल कोलकाता में हुगली नदी के नीचे बनाई जा रही दोहरी सुरंग की लंबाई 520 मीटर है. यह नदी की तलहटी से 13 मीटर नीचे है. मेट्रो के दूसरे चरण के तहत इस सुरंग का ​निर्माण जापान की मदद से भारतीय रेल द्वारा किया जा रहा है. गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट काम 2009 से चल रहा है.

सुरक्षा की दृष्टि से देखते हुए टनल के भीतर और बाहर यात्रियों की आपतकालीन निकासी के लिए रास्ते तैयार किए गए है. इसके अलावा वेंटिलेशन और ​अग्नि सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए जा रहे है.

क्लीन और ग्रीन रेलवे की दिशा में तेजी से काम शुरु

इधर, रेल मंत्रालय ने तेजी से विश्व की पहली ग्रीन रेलवे की दिशा में काम करना शुरु कर दिया है.पर्यावरण स्वच्छता के लिए प्रतिबद्ध नरेंद्र मोदी सरकार मानती है रेलवे की प्रगति के साथ साथ पर्यावरण सुरक्षा को भी महत्व देना अत्यंत आवश्यक है. इसलिए भारतीय रेल आने वाले 10 वर्षों में देशभर की रेल पटरियों का विद्युतीकरण कर विश्व की सौ प्रतिशत ग्रीन रेलवे बन जाएगी. विद्यत आपूर्ति के लिए भारतीय रेल ने सौर उर्जा को सशक्त माध्यम के रुप में चुना है.क्योंकि यह वह प्राकृतिक उर्जा है जो निर्वाद रुप से मिलती रहेगी. इसलिए सौर उर्जा यंत्र को विभाग की खाली पड़ी जमीन पर इसे लगाया जाएगा. प्रदूषण से मुक्ति के लिए डीजल इंजन के स्थान पर बायोडीजल इंजन का इस्तेमाल शुरु करेगी. ताकि रेल यात्रा पूरी तरह प्रदूषण मुक्त हो.

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