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Sunday, 2 November, 2025
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जीवनशैली संबंधी विकार के कारण गुर्दे से जुड़ी महामारी की ओर बढ़ रहा भारत: चिकित्सक

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(सुदीप्तो चौधरी)

कोलकाता, दो नवंबर (भाषा) देश में गंभीर गुर्दा रोग (सीकेडी) सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक के रूप में उभर रहा है। एक प्रख्यात चिकित्सक ने यह बात कही है।

उन्होंने कहा कि सीकेडी मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों के कारण होता है और पर्यावरणीय व व्यावसायिक वजहों से और भी जटिल हो गया है।

गुर्दा रोग विशेषज्ञ चिकित्सक ने कहा कि गुर्दे की बीमारियां अब केवल बुजुर्गों या शहरी अभिजात वर्ग तक ही सीमित नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो गुर्दे की बीमारी जल्द ही महामारी का रूप ले सकती है।

डॉ. एच. सुदर्शन बल्लाल ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए कहा, ‘जब मैं 1991 में अमेरिका से भारत लौटा, तो पूरे देश में केवल 800 गुर्दा रोग विशेषज्ञ थे। वास्तव में, भारत की तुलना में अमेरिका में ज्यादा भारतीय गुर्दा रोग विशेषज्ञ कार्यरत थे। हम खुद को लाखों में एक कहते थे।’

उन्होंने कहा कि तीन दशक बाद, निस्संदेह स्थिति में सुधार हुआ है, क्योंकि देश भर में हजारों विशेषज्ञ और उन्नत उपचार सुविधाएं उपलब्ध हैं।

बल्लाल ने कहा, ‘स्थिति 30 साल पहले की तुलना में कम गंभीर है। लेकिन हम अब भी उन सभी रोगियों का इलाज नहीं कर पाए हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता है। गुर्दे की बीमारी बहुत आम है। हर साल, लगभग दो लाख लोग गंभीर गुर्दा रोग का शिकार होते हैं, और दस गुना अधिक लोग हल्के गुर्दा रोग से पीड़ित हैं। दुर्भाग्य से, उनमें से 25 प्रतिशत से भी कम लोगों को किसी प्रकार का उपचार मिल पाता है।”

उन्होंने कहा कि देश में गंभीर गुर्दा रोग (सीकेडी) सबसे गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं में से एक के रूप में उभर रहा है।

बल्ला ने कहा कि सीकेडी मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी जीवनशैली संबंधी बीमारियों के कारण होता है और पर्यावरणीय व व्यावसायिक वजहों से और भी जटिल हो गया है।

भाषा

भाषा प्रचेता जोहेब

जोहेब

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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