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नयी दिल्ली/रामनगर/पटना, 29 जुलाई (भाषा) भारत में बाघों की संख्या 2018 में 2,967 से बढ़कर 2022 में 3,682 हो गई है। इस तरह बाघों की संख्या में छह प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है। शनिवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस पर जारी नवीनतम सरकारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने उत्तराखंड के रामनगर में 2022 के आंकड़े जारी करते हुए कहा कि इसके साथ ही भारत में बाघ की आबादी वैश्विक आंकड़ों का 75 प्रतिशत हो गया है।
जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अप्रैल में ‘‘प्रोजेक्ट टाइगर’’ के 50 साल पूरे होने के मौके पर ‘‘बाघों की स्थिति 2022’’ जारी की थी तो सरकार ने कहा था कि भारत में कम से कम 3167 बाघ हैं।
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘देश में अधिकतम 3925 बाघ हैं। औसत संख्या 3,682 है।’’
आंकड़ों के अनुसार, पिछले चार वर्षों में 50 प्रतिशत की वृद्धि के साथ देश में मध्य प्रदेश में बाघों की अधिकतम संख्या (785) है, इसके बाद कर्नाटक (563), उत्तराखंड (560), और महाराष्ट्र (444) हैं।
इस मौके पर अपने संदेश में, केंद्रीय वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने कहा, “बाघ संरक्षण में भारत के अनुकरणीय प्रयास और बाघों की संख्या में वृद्धि सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि राष्ट्र के दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।’’
उन्होंने ट्विटर पर भी मध्य प्रदेश को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी।
उन्होंने कहा, ‘‘नवीनतम बाघ आकलन कवायद के अनुसार 785 बाघों के साथ, मध्य प्रदेश भारत का अग्रणी बाघ राज्य है! यह स्थानीय समुदायों को शामिल करके गहन सुरक्षा और निगरानी के माध्यम से बाघों के संरक्षण के लिए मध्य प्रदेश की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’
आंकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में बाघों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है।
मंत्रालय ने इन राज्यों में बाघों की आबादी बढ़ाने में सहायता के लिए गंभीर संरक्षण प्रयासों का आह्वान किया है।
मंत्रालय ने कहा कि भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा किए गए डेटा विश्लेषण के अनुसार, बाघों की आबादी की ऊपरी सीमा 3925 और औसत संख्या 3682 बाघ होने का अनुमान है, जो 6.1 प्रतिशत प्रतिवर्ष की वार्षिक वृद्धि दर को दर्शाता है।
अपने संबोधन में चौबे ने कहा, ‘‘जो प्रकृति का संरक्षण करते हैं, प्रकृति उनकी रक्षा करती है। इसलिए, प्रकृति और वन्यजीवों की रक्षा किसी भी कीमत पर की जानी चाहिए।’’
अरुणाचल प्रदेश ने अपने लगभग 70 प्रतिशत बाघ खो दिए और राज्य में यह संख्या 2018 में 29 थी औरर 2022 में केवल नौ रह गई।
आंकड़ों के अनुसार ओडिशा में बाघों की संख्या 28 से घटकर 20, झारखंड में 5 से 1, छत्तीसगढ़ में 19 से 17 और तेलंगाना में 26 से घटकर 21 हो गई।
आंकड़ों के अनुसार मिजोरम में यह संख्या 2006 में छह से घटकर 2022 में शून्य हो गई और उत्तरी पश्चिम बंगाल में 2006 में 10 से घटकर 2022 में दो हो गई।
आंकड़ों के मुताबिक नागालैंड में भी अब कोई बाघ नहीं है।
इनके अनुसार ‘‘बाघ अभयारण्य के भीतर’’ बाघों की संख्या कॉर्बेट (260) में सबसे अधिक है, इसके बाद बांदीपुर में 150, नागरहोल में 141, बांधवगढ़ में 135, दुधवा में 135, मुदुमलाई 114, कान्हा में 105, काजीरंगा 104, सुंदरबन 100, ताडोबा 97, सत्यमंगलम (85) और पेंच-एमपी में 77 हैं।
अठारह बाघ अभयारण्यों में 10 से भी कम बाघ बचे हैं। ये उत्तर प्रदेश में रानीपुर हैं; छत्तीसगढ़ में अचानकमार, इंद्रावती और उदंती सीतानदी; झारखंड में पलामू; महाराष्ट्र में बोर और सह्याद्रि; ओडिशा में सतकोसिया; राजस्थान में मुकुंदरा और रामगढ़ विषधारी; तेलंगाना में कवल; तमिलनाडु में कलाकड़ मुंडनथुराई; असम में नामेरी; मिजोरम में डंपा; अरुणाचल प्रदेश में पक्के, कमलांग और नामदाफा और पश्चिम बंगाल में बक्सा हैं।
बाघों की संख्या में इस वृद्धि का श्रेय उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश के नए क्षेत्रों में बाघों को दिखाने वाले फोटोग्राफी साक्ष्यों को दिया गया है।
रामनगर में आयोजित एक कार्यक्रम में ऑनलाइन तरीके से शामिल होते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन जरूरी है।
उन्होंने मानव-पशु संघर्ष और जानवरों के अवैध शिकार को रोकने के लिए केंद्र से अधिक संसाधनों की भी मांग की।
पटना से मिली खबर के अनुसार बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान, वाल्मिकी बाघ अभयारण्य (वीटीआर) में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में बाघों की संख्या 31 से बढ़कर 2022 में 54 हो गई है। एक शीर्ष अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग (डीईएफसीसी) की सचिव, बंदना प्रियाशी ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा जारी, वीटीआर में बाघों की संख्या में 75 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में 31 से बढ़कर यह संख्या 2022 में 54 हो गई है। पिछले चार वर्षों में 23 बाघों की वृद्धि हुई है।’’
असम के पर्यावरण और वन मंत्री चंद्र मोहन पटोवारी ने शनिवार को बाघ संरक्षण प्रयासों के लिए मानस राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों की सराहना की।
उन्होंने कहा कि मानस राष्ट्रीय उद्यान लगातार प्रयासों से बाघों की आबादी को दोगुना कर सकता है और ग्लोबल टाइगर फोरम द्वारा 2020 में संरक्षण उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
पटोवारी ने कहा, ‘‘यह बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) और असम के लिए बहुत गर्व की बात है कि मानस में बाघों की संख्या 2018 में 28 से दोगुनी होकर 2022 में 57 हो गई है।’’
भाषा देवेंद्र माधव
माधव
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