नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा)भारत और फिजी ने सोमवार को रक्षा संबंधों को और प्रगाढ़ करने के लिए एक व्यापक कार्य योजना को अंतिम रूप दिया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके फिजी के समकक्ष सितवेनी लिगामामादा राबुका के बीच वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
प्रधानमंत्री मोदी ने राबुका से वार्ता के बाद कहा कि भारत और फिजी भले ही दूर हों, लेकिन ‘‘हमारी आकांक्षाएं समान हैं।’’
दक्षिण प्रशांत के द्विपीय राष्ट्र फिजी के प्रधानमंत्री राबुका रविवार को तीन दिवसीय यात्रा पर दिल्ली पहुंचे। उनका उद्देश्य समुद्री सुरक्षा, व्यापार, स्वास्थ्य, डिजिटल प्रौद्योगिकी और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में भारत के साथ फिजी के संबंधों को मजबूत करना है।
समुद्री सुरक्षा के क्षेत्र में फिजी भारत के लिए अहम राष्ट्र है। प्रशांत क्षेत्र में अपनी रणनीतिक पकड़ बढ़ाने के चीन के अथक प्रयासों की पृष्ठभूमि में, भारत फिजी के साथ अपने रक्षा संबंधों को बढ़ाने का प्रयास कर रहा है।
मोदी और राबुका के बीच वार्ता के बाद, दोनों पक्षों ने दवा, कौशल विकास, व्यापार और क्षमता निर्माण सहित विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक सहयोग के लिए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
मोदी ने मीडिया को दिए अपने बयान में कहा, ‘‘हमने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में अपने सहयोग को मजबूत करने का निर्णय लिया है। इसके लिए एक कार्य योजना तैयार की गई है। भारत, फिजी की समुद्री सुरक्षा में सुधार के लिए प्रशिक्षण और उपकरणों में सहयोग प्रदान करेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम साइबर सुरक्षा और डेटा संरक्षण में अपना अनुभव साझा करने के लिए भी तैयार हैं।’’
मोदी ने कहा कि भारत और फिजी के संबंध ‘‘विश्वास और सम्मान’’ पर आधारित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हिंद महासागर से लेकर प्रशांत महासागर तक, हमारी साझेदारी समुद्रों के बीच एक सेतु की तरह है।’’
मोदी ने कहा कि भारत, फिजी को प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ सहयोग के केन्द्र के रूप में देखता है। उन्होंने कहा, ‘‘दोनों देश एक स्वतंत्र, खुले, समावेशी, सुरक्षित और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र का पुरजोर समर्थन करते हैं। प्रधानमंत्री (फिजी का) का ‘शांति के महासागर’ का दृष्टिकोण बहुत ही सकारात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण है।’’
राबुका ने कहा कि दोनों देश हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं और फिजी को भारत के साथ अपने संबंधों से केवल लाभ हो सकता है।
मोदी ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर एकमत हैं कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए एक ‘‘बड़ी चुनौती’’ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई में सहयोग और समर्थन के लिए प्रधानमंत्री राबुका और फिजी सरकार के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।’’
मोदी और राबुका ने वार्ता के दौरान पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की और आतंकवाद के प्रति ‘कतई बर्दाश्त नहीं’ करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।
यहां जारी संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर ‘‘दोहरे मापदंड’’ को खारिज करते हुए इस समस्या से निपटने में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई।
मोदी ने ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए भारत के दृष्टिकोण का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, ‘‘हम ग्लोबल साउथ की विकास यात्रा में सहयात्री हैं। साथ मिलकर, हम एक ऐसी विश्व व्यवस्था को आकार देने में भागीदार हैं जहां वैश्विक दक्षिण की स्वतंत्रता, विचारों और पहचान को उचित सम्मान दिया जाए।’’
दोनों पक्षों ने रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए कई उपायों की भी घोषणा की, जिनमें इस वर्ष एक भारतीय नौसैनिक जहाज का फिजी बंदरगाह पर लंगर डालना, फिजी की राजधानी सुवा में भारतीय मिशन में रक्षा अताशे का पद सृजित करना तथा फिजी के सैन्य बलों को भारत द्वारा दो समुद्री एम्बुलेंस उपहार में देना शामिल है।
भारत ने फिजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए सुवा में 100 बिस्तरों वाला एक सुपर-स्पेशलिटी अस्पताल स्थापित करने की अपनी योजना की भी घोषणा की।
प्रधानमंत्री मोदी ने इसी के साथ फिजी को 12 कृषि ड्रोन और दो सचल मृदा परीक्षण प्रयोगशाला भी उपहार में देने की घोषणा की।
विदेश मंत्रालय में सचिव (दक्षिण) नीना मल्होत्रा ने प्रेस वार्ता में बताया कि फिजी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक ‘‘मूल्यवान साझेदार’’ है और यह इस क्षेत्र का एक क्षेत्रीय केंद्र है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रक्षा और सुरक्षा सहयोग क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण प्रदान करके फ़िजी की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है। उपकरणों के लिए कुछ अनुरोध प्राप्त हुए हैं, हम उन पर विचार कर रहे हैं।’’
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की बढ़ती प्रगाढ़ता को स्वीकार किया तथा क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि को आगे बढ़ाने में अपने साझा हितों के महत्व पर बल दिया।
संयुक्त वक्तव्य में कहा गया, ‘‘ दोनों नेताओं ने स्वतंत्र,खुले, सुरक्षित और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया।’’
इसमें कहा गया, ‘‘उन्होंने क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र की शांति और स्थिरता में सहयोग करने की अपनी इच्छा भी व्यक्त की।’’
संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार की तत्काल आवश्यकता पर सहमति जताई, जिसमें समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का विस्तार भी शामिल है।
फिजी ने बदलाव वाले एवं विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्य के रूप में भारत के प्रति अपने समर्थन को दोहराया। साथ ही 2028-29 के कार्यकाल के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अस्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया।
संयुक्त बयान के मुताबिक, दोनों नेताओं ने समकालीन वैश्विक चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए ‘‘साउथ-साउथ’’ सहयोग को निरंतर मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया तथा वैश्विक शासन के संस्थानों में बेहतर, न्यायसंगत प्रतिनिधित्व सहित ‘ग्लोबल साउथ’ के लिए साझा चिंता के मुद्दों पर मिलकर काम करने पर सहमति जताई।
प्रधानमंत्री राबुका ने ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन के आयोजन में भारत की पहल और नेतृत्व की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह विकासशील देशों की साझा चिंताओं, चुनौतियों और विकासात्मक प्राथमिकताओं पर विचार-विमर्श करने के लिए एक अहम मंच के रूप में कार्य करता है।
भाषा धीरज माधव
माधव
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