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Sunday, 3 November, 2024
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भारत-चीन लद्दाख शांति फॉर्मूले पर काम कर रहे- सीमा से पीछे हटने के बाद, एक सप्ताह छोड़कर करेंगे पेट्रोलिंग

एक हफ्ता छोड़कर गश्त करना उत्तर-पूर्व में स्थापित परंपरा रही है, और कभी-कभार के टकराव को छोड़कर, इसने अच्छी तरह काम किया है.

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नई दिल्ली: भारत और चीन एक ऐसे फार्मूले पर काम कर रहे हैं, जिसमें उनकी सेना हर वैकल्पिक सप्ताह पर आगे की जगहों पर नजर रखेंगी, ताकि जमीन पर सैनिकों के बीच हिंसक टकराव से बचा जा सके.

सरकार के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा कि यह देश की सीमा पर उत्तर-पूर्व में स्थापित परंपरा रही है और इसने कभी-कभार टकराव को छोड़कर अच्छी तरह काम किया है. हालांकि, सूत्रों ने कहा गया है कि भारत द्वारा योजना के अनुसार उस क्षेत्र के भीतर गतिविधियों के अच्छी तरह नियंत्रित होते ही, एलएसी से लगी सीमा पर ढांचागत विकास को जारी रखा जाएगा.

एक सूत्र ने कहा, ‘उत्तर-पूर्व में दोनों पक्ष हर सप्ताह अपने पेट्रोलिंग पॉइंट पर गश्त कर रहे हैं. जब चीनी आ रहे हैं तब हम पता होता है और हमारे जाने पर उन्हें पता होता है. यह सुनिश्चित करते हैं कि सेना आमने-सामने न आए. यह ऐसा कुछ है जो लद्दाख के आगे के क्षेत्रों में भी किया जा सकता है.’

सूत्र ने कहा कि उत्तर-पूर्व के स्थानीय कमांडर नियमित रूप से एक-दूसरे से बात करते हैं- एक प्रैक्टिस जो लद्दाख गतिरोध के दौरान भी जारी रही, चीनी यह भी कह रहे हैं कि दोनों पक्षों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उत्तरी क्षेत्र में जो कुछ हुआ, वह यहां न हो.

सूत्र ने कहा, ‘हालांकि, हम कोई मौके देना नहीं चाह रहे. हमारी सख्त सतर्कता एलएसी के साथ जारी है. उत्तर-पूर्व में चीनियों द्वारा किसी भी प्रकार की आक्रामकता नहीं पैदा की गई है.’

हालांकि, सूत्रों ने रेखांकित किया कि फार्मूले पर एक अच्छे नतीजे के लिए काम किया जा रहा है. यह तब प्रभाव में आएगा जब एलएसी को खाली कराने का काम पूरा हो जाएगा.

जैसा कि 22 सितंबर को दिप्रिंट ने खबर दी थी, भारत इस बात पर जोर देता है कि चीन को पहले क्षेत्र को खाली करने का कदम उठाना चाहिए क्योंकि यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) का काम था जो आगे बढ़ा है.


यह भी पढ़ें: चीन ने डोकलाम के बाद से LAC पर अपने सैन्य ठिकानों को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाया : रिपोर्ट


डोकलाम के बाद चीन ने आक्रामक गश्त शुरू की

सूत्रों ने कहा कि पिछले भारत-चीन समझौतों के अनुसार, प्रत्येक पक्ष ने माना था कि गश्त के लिए 15-20 सैनिक हों. हालांकि, 2017 के डोकलम गतिरोध बाद, जब भारत भूटानी क्षेत्र में गया और चीन की अवैध सड़क निर्माण गतिविधि को रोक दिया तो पीएलए ने एलएसी के साथ बड़ी गश्त को बढ़ाना शुरू कर दिया था.

एक सूत्र ने कहा, ’15-20 से यह संख्या बढ़कर 30 हो गई है और ये चलता रहा. यह एक समयवधि में हुआ है. यह ऐसे पॉइंट पर हुआ जब वे सामूहिक रूप से आए और हमारे जवानों को घेरने लगे. इसका नतीजा हाथापाई, और पत्थर फेंकना शुरू हुआ और फिर चीनियों ने मैचेट्स (चाकू-छूरा) जैसे धारदार हथियारों को लाना शुरू कर दिया.’

सूत्र ने कहा कि ऐसा 15 जून को गलवान घाटी में हुआ था.

सूत्र ने कहा, ‘यह तो एक हाथापाई थी. हम गोलीबारी नहीं कर सकते थे, क्योंकि यह हमारे अपनों की जान ले सकती थी.’

भारत ने चीन को यह स्पष्ट कर दिया है कि उसके सैनिक अपनी रक्षा के लिए गोलीबारी करेंगे और वे ‘संहारक हथियारों के इस्तेमाल’ तो सहन नहीं किया जाएगा.

चीन ने डोकलाम के बाद से एलएसी के पास अपने हवाई अड्डे, वायु रक्षा ठिकाने और हेलीपोर्ट्स दोगुने कर लिए हैं.

‘ऐसा प्रतीत होता है कि 2017 के डोकलाम संकट ने चीन के रणनीतिक उद्देश्यों को बदल दिया है और बीते तीन सालों में चीन अपने कुल हवाई अड्डों, हवाई ठिकानों, और हेलीपोर्ट्स दोगुने से ज्यादा कर रहा है.’ एक अग्रणी वैश्विक भू-राजनीतिक खुफिया प्लेटफार्म स्ट्रैटफोर की रिपोर्ट ने जानकारी दी है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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