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Monday, 6 May, 2024
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चीन ने डोकलाम के बाद से LAC पर अपने सैन्य ठिकानों को दोगुना से भी ज्यादा बढ़ाया : रिपोर्ट

स्ट्रैटफोर की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन भारत के साथ अपनी सीमाओं के पास कम से कम 13 नए सैन्य ठिकानों का निर्माण कर रहा है, जिसमें 3 हवाई अड्डे और 5 हेलीपोर्ट शामिल हैं.

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नई दिल्लीः चीन ने 2017 के डोकलाम संकट के बाद से अपने हवाई ठिकानों, हवाई रक्षा स्थितियों और नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास हेलीपोर्ट्स को दोगुना कर लिया है, जिसका उद्देश्य भविष्य में भारत के साथ सीमा विवाद में सैन्य तैनाती को बढ़ाना है, एक प्रमुख वैश्विक भू-राजनीतिक खुफिया प्लेटफार्म ने मंगलवार को एक नई रिपोर्ट में ये कहा है.

स्ट्रैटफोर की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग की सैन्य गतिविधि में तेजी हाल में पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के कारण भारत के साथ क्षेत्रीय तनाव लंबा खिंचने की वजह से हो रही है.

इसे अ मिलिट्री ड्राइव स्पेल्स आउट चाइना इंटेंट एलांग दि इंडियन बॉर्डर नाम दिया गया है, इस रिपोर्ट के स्ट्रैटफोर के वरिष्ठ वैश्विक विश्लेषक, सेटेलाइट चित्रकार, सेटेलाइट चित्र विशेषज्ञ @डेट्रेस्फा नाम से ट्विटर यूजर सिम टैक ने लिखा है.

रिपोर्ट कहती है कि भारत की सीमा पर चीन के व्यापक सैन्य ढांचे का विकास क्षेत्रीय विवादों के संबंध में बीजिंग के दृष्टिकोण में बदलाव को दिखाती है.

यह कहती है, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि 2017 के डोकलाम संकट ने चीन के सामरिक उद्देश्यों को बदल दिया है, चीन अपने कुल हवाई अड्डों, हवाई रक्षा स्थितियों, और पिछले तीन सालों के दौरान भारतीय सीमा के नजदीक हेलीपोर्ट्स को दोगुना से ज्यादा किया है.’

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इसमें जिक्र है कि चीन की सैन्य सुविधा में खौस तौर से पिछले दो वर्षों में ‘तीव्र वृद्धि’ हुई है जिससे गलवान घाटी में 15 जून की जानलेवा भिड़त हुई.

चीन इस आक्रामक नीति का पालन क्यों कर रहे इस बारे में टैक टिप्पणी करते हैं कि उनका मानना है कि इस इजाफे के पैमाने और समय सीमा, जो कि हाल के वर्षों में स्पष्ट रूप से तेज हुई है, बीजिंग की एक सुविचारित रणनीति है.

उन्होंने कहा, ‘बीजिंग ताकत के साथ इस रणनीति को अंजाम दे रहा है और भविष्य के राजनीतिक या सैन्य विवादों के परिणाम की भविष्यवाणी करना मुश्किल है, लेकिन वह उन सपोर्ट ढांचे का बना रहा है जो उन्हें चारों तरफ से मजबूत स्थिति में पहुंचा देंगे.’

टैक ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि डोकलम संकट के बाद से, चीन ने भारत की सीमा के पास कम से कम 13 पूरी तरह से नई सैन्य ठिकानों का निर्माण शुरू किया है, जिसमें तीन हवाई अड्डे, पांच स्थायी हवाई रक्षा पॉजिशंस और पांच हेलीपोर्ट्स शामिल हैं. मई में वर्तमान लद्दाख संकट की शुरुआत के बाद ही उनमें से चार नए हेलीपोर्ट्स का निर्माण शुरू हुआ है. रिपोर्ट में कहा गया है.

दिप्रिंट ने इससे पहले बताया था कि चीन डोकलाम के नजदीक सहित क्षेत्र में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है.

चीन की रणनीति एससीएस के समान

अपनी रिपोर्ट में, टैक ने देखा कि इन दीर्घकालिक घटनाक्रमों का चीन का भारत के साथ पिछले सीमा गतिरोध से ज्यादा महत्व है.

उन्होंने नोट किया कि चीन की रणनीति का उद्देश्य बड़े सपोर्ट ढांचे पर बल देकर भारत का मुकाबला करने के लिए है, जो बीजिंग को विवादित सीमा क्षेत्रों में सैन्य ताकतों को एकजुट करने की जबर्दस्त क्षमता प्रदान करता है.

टैक ने लिखा है कि चीन की इस तरह की रणनीति दक्षिण चीन सागर में समान तौर पर है, जहां स्थायी रक्षा सुविधाओं में तेज निर्माण से चीन की स्थानीयकृत सैन्य श्रेष्ठता को बल मिलता है.

उन्होंने आगे कहा, ‘भारतीय सीमा पर इसी नीति को लागू करने में चीन का उद्देश्य भावी सीमा विवादों के दौरान भारतीय प्रतिरोध या सैन्य कार्रवाई को कमजोर करना है.’

रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि चीन का मुख्य ध्यान LAC के साथ अपने हवाई आक्रामण और रक्षात्मक स्थितियों में सुधार करने पर था.

सीधे टकराव की संभावना

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि नई दिल्ली भी एलएसी के साथ-साथ प्रमुख ढांचों पर काम कर रही है.

भारत और चीन दोनों द्वारा इन क्षमताओं को भावी सीमा विवाद के दौरान प्रभाव जमाने की स्थिति में प्रत्यक्ष टकराव की संभावना बढ़एगा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि और फ्रंटलाइन सैन्य के ताकतों के सपोर्ट में दोनों तरफ से मजबूत लॉजिस्टिक संरचनाएं, इस तरह की घटनाएं दो परमाणु-सशस्त्र पड़ोसियों के बीच अधिक से अधिक सैन्य गतिविधियों में बदल सकती हैं.

पिछले सप्ताह खबर दी थी कि पूर्वी लद्दाख में तनाव के परिणामस्वरूप अंततः क्षेत्र में फोर्स की स्थायी तैनाती बढ़ सकती है, जो एलएसी के ‘एलओसी-आइजेशन’ के रूप में हो सकता है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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