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Monday, 18 November, 2024
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भारत और ऑस्ट्रेलिया ने ऐसे समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र की मांग की जहां सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान हो

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नयी दिल्ली, 22 मार्च (भाषा)हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच भारत और ऑस्ट्रेलिया ने समावेशी तथा समृद्ध क्षेत्र की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया,जिसमें सभी देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान होता हो और देश सैन्य,आर्थिक तथा राजनीतिक दबाव से मुक्त हों।

दोनों देशों ने रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध पर भी चिंता जतायी और इसे तत्काल रोकने की जरूरत को भी रेखांकित किया।उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान पर आधारित है।

विदेश मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष स्कॉट मॉरिसन ने डिजिटल शिखर सम्मेलन के दौरान इस बात पर जोर दिया।

मॉरिसन ने मोदी के साथ डिजिटल शिखर वार्ता में कहा कि रूस को यूक्रेन में जानमाल के नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए तथा यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की ‘भयावह घटनाएं’ हिंद-प्रशांत क्षेत्र में कभी भी नहीं हों।

संयुक्त बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने स्वीकार किया कि आतंकवाद क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए खतरा बना हुआ है, और आतंकवाद के सभी रूपों की उन्होंने निंदा की।

बयान में कहा गया है कि उन्होंने सभी देशों के लिए तत्काल, ‘सतत, सत्यापन योग्य और अपरिवर्तनीय’ कार्रवाई करने की तत्काल आवश्यकता दोहराई ,ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके नियंत्रण वाला कोई भी क्षेत्र आतंकवादी हमलों के लिए उपयोग नहीं किया जाए, और इस तरह के हमलों के अपराधियों को शीघ्रता से न्याय के दायरे में लाया जाए।

भारत और ऑस्ट्रेलिया ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर चिंता जताते हुए शत्रुता को तत्काल खत्म किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया है तथा जोर दिया है कि मौजूदा वैश्विक व्यवस्था संयुक्त राष्ट्र ‘चार्टर’, अंतरराष्ट्रीय कानून एवं राज्यों की संप्रभुता के सम्मान और क्षेत्रीय अखंडता पर आधारित है।

संयुक्त बयान में कहा गया है कि शिखर बैठक में दोनों नेताओं ने आसियान को केंद्र में रखते हुए स्वतंत्र, खुले और नियम-आधारित हिंद-प्रशांत के लिए साझा प्रतिबद्धता जतायी।

बयान में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने ऐसे समावेशी और समृद्ध क्षेत्र के लिए अपनी प्रतिबद्धता जतायी जिसमें सभी देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान किया जाता हो और देश सैन्य, आर्थिक और राजनीतिक दबाव से मुक्त हों।

मोदी और मॉरिसन ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी समुद्रों और महासागरों में अधिकारों और स्वतंत्रता का प्रयोग करने में सक्षम होने के महत्व को भी रेखांकित किया, जो अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीएलओएस) के अनुरूप हो, जिसमें नौवहन की स्वतंत्रता भी शामिल है।

क्षेत्र के कई देशों के पूर्वी और दक्षिण चीन सागर में चीन के साथ समुद्री विवाद हैं, जबकि भारत इस क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती आक्रामकता से चिंतित है।

मोदी और मॉरिसन ने क्षेत्रीय स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के क्वाड के सकारात्मक और महत्वाकांक्षी एजेंडे को आगे बढ़ाने में भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के बीच सहयोग के लिए प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।

भाषा शोभना उमा

उमा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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