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Saturday, 23 November, 2024
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भारत उन 12 देशों में शामिल जहां पत्रकारों के हत्यारे बच निकलते हैं: CPJ’s 2021 Global Impunity Index

सीपीजे की इस रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं के मामले में सोमालिया दुनिया का सबसे खराब देश बना हुआ है. वहीं सीरिया, इराक और दक्षिण सूडान जैसे देश सोमालिया के पीछे हैं.

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नई दिल्ली: भारत उन 12 देशों में शामिल हैं जहां पत्रकारों की हत्या के बाद भी अपराधी खुलेआम घूमते हैं. कमिटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) द्वारा जारी की गए ग्लोबल इंप्युनिटी इंडेक्स 2021 के मुताबिक पिछले 10 सालों के दौरान पत्रकारों की हत्या के 81% मामलों में किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है.

दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई सीपीजे की इस रिपोर्ट के अनुसार पत्रकारों की अनसुलझी हत्याओं के मामले में सोमालिया दुनिया का सबसे खराब देश बना हुआ है. वहीं सीरिया, इराक और दक्षिण सूडान जैसे देश सोमालिया के पीछे हैं.

रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसमें अफगानिस्तान में पत्रकारों के सामने बढ़ती चुनौती को पूरी तरह से नहीं दर्शाया गया है क्योंकि रिपोर्ट के लिए लिया गया डेटा 1 सितंबर 2011 से 31 अगस्त 2021 की समयसीमा का है.

हालांकि इसमें कहा गया है कि तालिबान ने अगस्त के मध्य में अमेरिका और गठबंधन बलों की वापसी और राष्ट्रपति अशरफ गनी के देश से भागने के बीच अफगानिस्तान पर नियंत्रण कर लिया, जिसके डर से पत्रकार देश छोड़कर भाग गए क्योंकि उन्हें प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर तालिबान के पिछले क्रूर रिकॉर्ड का डर था.

सीपीजे द्वारा जारी की गई इस रिपोर्ट में अफगानिस्तान का पांचवा स्थान है जहां पत्रकारों की हत्या के 17 मामले अभी भी अनसुलझे हैं. वहीं मैक्सिको, फिलिपींस, ब्राजील, पाकिस्तान, रूस, बांग्लादेश, भारत क्रमश: छठे, सातवें, आठवें, नौवें, दसवें, ग्यारहवें और बारहवें स्थान पर है. भारत में पत्रकारों की हत्या से जुड़े 20 मामले अनसुलझे हैं.

रिपोर्ट में 10 साल की समयसीमा ली गई है जिसमें सीरिया का गृहयुद्ध, अरब सरकारों के खिलाफ व्यापक विरोध और चरमपंथी समूहों और संगठित अपराध सिंडिकेट द्वारा मीडिया कर्मियों के खिलाफ किए गए हमले शामिल हैं.


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81% मामले अब तक अनसुलझे

सीपीजे ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 10 सालों के भीतर 278 पत्रकारों की हत्या की गई है और उन मामलों में 226 या 81% मामलों में अपराधी को सजा नहीं मिल सकी.

मैक्सिको लगातार दूसरे साल सूचकांक में छठे स्थान पर रहा है.

वैश्विक स्तर पर 2020 में कम से कम 22 पत्रकारों की हत्या उनके द्वारा किए जा रहे काम के बदले में हुई है. यह आंकड़े 2019 के कुल मामलों से दोगुने से अधिक हैं.


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कैसे तैयार की गई रिपोर्ट

रिपोर्ट में ग्लोबल इंप्युनिटी सूचकांक को किस तरह तैयार किया जाता है, इसकी भी जानकारी दी गई है. इस सूचकांक को प्रत्येक देश की आबादी के प्रतिशत के रूप में पत्रकारों की हत्या के अनसुलझे मामलों की संख्या की गणना करता है.

इस सूचकांक में उन देशों को ही शामिल किया गया है जहां पांच या अधिक अनसुलझे मामले रहे हैं.

सीपीजे कत्ल को पीड़ित के काम के प्रतिशोध के रूप में एक विशिष्ट पत्रकार की जानबूझकर की गई हत्या के रूप में परिभाषित करता है. मामलों को तब अनसुलझा माना जाता है जब कोई दोष सिद्ध नहीं होता है, भले ही संदिग्धों की पहचान की गई हो और वे हिरासत में हों.

इस सूचकांक में पत्रकारों की मौत के मामले शामिल नहीं किए गए हैं जो युद्ध में या खतरनाक कार्य के दौरान मारे गए थे.

सीपीजे एक स्वतंत्र और नॉन प्रोफिट संगठन है जो विश्व भर में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए काम करता है.


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