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Saturday, 21 December, 2024
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भारत ने पूर्वी लद्दाख के शेष क्षेत्रों से सैनिकों को पीछे हटाने की वकालत की

भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था . इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी .

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नई दिल्ली: भारत ने शुक्रवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वर्तमान हालात लम्बे समय तक बने रहना किसी के हित में नहीं है तथा उसे उम्मीद है कि चीनी पक्ष शेष क्षेत्रों से सैनिकों की पूरी तरह जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए उसके साथ मिलकर काम करेगा.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आनलाइन प्रेस वार्ता में यह बात कही .

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के हटने से ही सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बहाल हो सकती है और द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति का माहौल बन सकता है .

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों की वापसी एक महत्वपूर्ण कदम था और इसने पश्चिमी सेक्टर में अन्य मुद्दों के समाधान के लिये अच्छा आधार प्रदान किया.

उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों द्वारा शेष मुद्दों का तेजी से समाधान करने पर सहमति बनी है. दोनों पक्ष सैन्य एवं राजनयिक चैनलों के माध्यम से संपर्क में हैं.

बागची ने विदेश मंत्री एस जयशंकर के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर वर्तमान हालात लम्बे समय तक बने रहना किसी के हित में नहीं है.

उन्होंने उम्मीद जतायी, ‘ चीनी पक्ष शेष क्षेत्रों से सैनिकों की पूरी तरह जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए हमारे साथ मिलकर काम करेगा. ’

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पैंगोग झील क्षेत्र से सैनिकों के पीछे हटने के बाद वरिष्ठ सैन्य कमांडरों के 10वें दौर की वार्ता हुई और विदेश मंत्री (एस जयशंकर) की उनके चीनी समकक्ष से टेलीफोन पर बातचीत हुई . इसके बाद चीन सीमा मामलों पर विचार विमर्श एवं समन्वय पर कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 12 मार्च को बैठक हुई .

उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के शीर्ष कमांडरों की बैठक और डब्ल्यूएमसीसी की बैठक में शेष मुद्दों के समाधान को लेकर विचारों का विस्तार से आदान प्रदान हुआ.

बागची ने कहा, ‘ इस बात के लेकर सहमति है कि दोनों पक्षों को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों का तेजी से समाधान निकालना चाहिए .’

गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग सो इलाके में पिछले वर्ष पांच मई को हिंसक संघर्ष के बाद सीमा गतिरोध उत्पन्न हो गया था . इसके बाद दोनों पक्षों ने हजारों सैनिकों एवं भारी हथियारों की तैनाती की थी .

सैन्य एवं राजनयिक स्तर की वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने इस वर्ष फरवरी में पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था.

इसके बाद ही 20 फरवरी को सैन्य स्तर की वार्ता हुई थी . समझा जाता है कि इसमें भारत ने देपसांग, हाटस्प्रिंग और गोगरा समेत अन्य लंबित मुद्दों के समाधान पर जोर दिया था.

वहीं, पिछले सप्ताह सेना प्रमुख एम एम नरवणे ने कहा था कि पैंगोंग सो झील क्षेत्र से सैनिकों के पीछे हटने से भारत के लिये खतरा केवल कम हुआ हैं, खत्म नहीं.

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