लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भिखारियों के पुनर्वास के लिए नए सिरे से प्रयास कर रही है. इस संबंध में जल्द ही एक पायलट प्रोजेक्ट लखनऊ में शुरू किया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ नगर निगम (एलएमसी) को निर्देश दिए हैं कि वह राज्य की राजधानी में भिखारियों की पहचान करे और उन्हें आश्रयगृहों में ले जाएं.
शारीरिक रूप से अक्षम भिखारियों को आश्रयगृहों में रखा जाएगा, जबकि सक्षम को नागरिक कर्तव्य सौंपे जाएंगे, ताकि उन्हें जीविकोपार्जन कर सकें.
नगर आयुक्त इंद्रमणि त्रिपाठी ने सभी जोनल अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र में रहने वाले भिखारियों की पहचान करें और उन्हें आस-पास के आश्रयगृहों में भिजवाएं.
आयुक्त ने कहा, ‘हम एक सर्वेक्षण कराने की प्रक्रिया में हैं और एक बार यह पूरा हो जाए तो हम भिखारियों को 45 आश्रयगृहों में भिजवा देंगे.’
उन्होंने कहा कि शारीरिक रूप से स्वस्थ पाए जाने वालों को शहर के 5.8 लाख घरों से कचरा इकट्ठा करने और इसके बदले उपयोगकर्ता शुल्क वसूलने का काम सौंपा जाएगा. इनमें से कुछ को दैनिक स्वच्छता कार्यो में प्रतिनियुक्त किया जाएगा, जैसे कि कचरा एकत्र करना, नालियों की सफाई और सड़कों की सफाई आदि.
लखनऊ नगर निगम ने निर्णय लिया है कि पुनर्वासित भिखारियों को उनके द्वारा वसूले गए यूजर चार्ज का 10 से 20 प्रतिशत तक रकम दी जाएगी. दैनिक स्वच्छता कार्यो में लगाए गए बाकी लोगों को 300 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मजदूरी दी जाएगी. यह वही राशि है, जो संविदाकर्मियों को दी जाती है.
मुख्यमंत्री ने लखनऊ नगर निगम को 45 दिनों के अंदर भिखारियों का पुनर्वास करने को कहा है. नगरपालिका आयुक्त ने कहा कि लखनऊ नगर निगम इन भिखारियों के लिए आश्रयगृहों में पानी, बिस्तर की चादर और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेगा, जिसके लिए शायद सरकार से अतिरिक्त वित्तीय सहायता लेनी पड़ सकती है.