भोपाल/सीधी: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में रामपुर नैकिन थाना क्षेत्र में यात्रियों से भरी एक बस मंगलवार सुबह पुल से नहर में गिर गई, जिससे 37 लोगों की मौत हो गई है. वहीं, हादसे के बाद सात लोग तैरकर नदी से बाहर आ गए.
सीधी जिले के पुलिस अधीक्षक पंकज कुमावत ने ‘भाषा’ को बताया, ‘अब तक बाणसागर नहर से 37 शवों को बाहर निकाला गया है.’
उन्होंने कहा कि बस को भी नहर से बाहर निकाल लिया गया है और इसमें अब एक भी शव नहीं है.
कितने यात्री अब भी लापता हैं, इस बारे में पूछे जाने पर कुमावत ने कहा, ‘इस बारे में फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता है.’
उन्होंने बताया कि हादसे के बाद सात लोग तैरकर सुरक्षित नदी से बाहर आ गये हैं. हादसा सुबह करीब साढ़े आठ बजे हुआ.
कुमावत ने बताया कि बचाव अभियान जारी है.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना पर दुख व्यक्त किया है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘सीधी की दुर्भाग्यपूर्ण घटना को लेकर मैं लगातार प्रशासन से और राहत कार्य में जुटे लोगों के संपर्क में हूं. मन बहुत व्यथित है.’
उन्होंने कहा कि बचाव कार्य लगातार जारी है. जिलाधिकारी, आयुक्त, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक एवं राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई है.
चौहान ने कहा कि राज्य के मंत्री तुलसीराम सिलावट और रामखेलावन पटेल तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना हो गये हैं. उन्होंने कहा कि हादसे के वक्त यह बस सीधी से सतना जा रही थी.
उन्होंने कहा, ‘इस दुर्घटना में हमारे जो भाई-बहन नहीं रहे, उनके परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता राशि तत्काल दी जाएगी. मेरी अपील है कि सभी धैर्य रखें.’
चौहान ने कहा, ‘नहर के जलस्तर को कम करने के लिए बाणसागर की ओर से आने वाले पानी को भी रोक दिया गया है.’
इससे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया, ‘प्रदेश में सीधी से सतना जा रही बस के नहर में गिर जाने की दुखद ख़बर सामने आयी है. कई यात्रियों के हताहत होने की जानकारी सामने आयी है. मैं सरकर से मांग करता हूं कि तत्काल राहत कार्य प्रारंभ कर बस में फंसे यात्रियों को बचाने के लिये प्रयास हो. पीड़ित परिवारों की हर संभव मदद की जाए.’
वहीं, प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब यह हादसा हुआ तो इस बस में करीब 50 यात्री सवार थे. यह बस नहर में पूरी तरह से पानी में डूब गई थी और दिखाई भी नहीं दे रही थी.
यह भी पढ़ें: सिविल सर्विसेज़ के इंटरव्यू में जातिगत उपनाम, धार्मिक प्रतीक उजागर नहीं करना चाहिए- रिपोर्ट