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शनिवार, 17 मई, 2025
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पिंपरी चिंचवड़ में नगर निगम अधिकारियों ने नदी किनारे बने 36 अवैध बंगले गिराये

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पुणे, 17 मई (भाषा) महाराष्ट्र के पुणे जिले के पिंपरी चिंचवड़ उपनगर में नगर निकाय अधिकारियों ने इंद्रायणी नदी के किनारे अवैध रूप से निर्मित 36 बंगलों को शनिवार को ढहा दिया। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के आदेश पर कार्रवाई करते हुए पिंपरी चिंचवाड़ नगर निगम (पीसीएमसी) के अधिकारी और कर्मचारी भारी पुलिस बल के साथ सुबह चिखली गांव में रिवर विला परियोजना स्थल पर पहुंचे।

नगर आयुक्त शेखर सिंह ने कहा कि नगर निकाय ने बंगलों को ढहा दिया गया है, क्योंकि मानसून के मौसम में ध्वस्तीकरण अभियान नहीं चलाया जा सकता।

परियोजना के खिलाफ एनजीटी में याचिका दायर करने वाले कार्यकर्ता तानाजी गंभीरे ने कहा कि विला का निर्माण इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़ रेखा के किनारे किया गया है, जहां निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध है। उन्होंने बताया कि नीली रेखा 25 साल में एक बार नदी में आने वाली बाढ़ के स्तर को दर्शाती है।

जुलाई 2024 में एनजीटी ने नगर निगम को छह महीने के भीतर इन सभी 36 अवसंरचनाओं को ध्वस्त करने के लिए कहा था। हरित निकाय ने यह भी आदेश दिया था कि बंगला मालिकों से पर्यावरण क्षति मुआवजे के रूप में सामूहिक रूप से पांच करोड़ रुपये वसूले जाएं।

इसके बाद पीसीएमसी ने प्रक्रिया शुरू की और बंगला मालिकों की सुनवाई शुरू की।

इस बीच, 29 बंगला मालिकों ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, लेकिन शीर्ष अदालत ने उनकी अपील खारिज कर दी।

अधिकारी ने बताया कि इसके बाद भूमि और बंगला मालिकों ने आदेश की समीक्षा के लिए एनजीटी का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, एनजीटी ने उनकी समीक्षा याचिका को भी खारिज कर दिया।

एनजीटी से कोई राहत नहीं मिलने के बाद, संपत्ति मालिकों ने फिर से उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

शीर्ष न्यायालय ने चार मई को अपील का निपटारा किया और फैसला सुनाया कि पीसीएमसी को बंगलों को गिराने के एनजीटी के आदेश को लागू करना चाहिए और पर्यावरण को हुए नुकसान के लिए पांच करोड़ रुपये वसूलने चाहिए।

पीसीएमसी आयुक्त शेखर सिंह ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि किसी ने भ्रम पैदा करने की कोशिश की है कि शीर्ष अदालत ने चार मई को निगम को कार्रवाई करने के लिए छह महीने का समय दिया था।

उन्होंने कहा, ‘‘शीर्ष अदालत ने चार मई के फैसले में एनजीटी के आदेश को फिर से दोहराया था। एनजीटी ने 2024 में ध्वस्तीकरण का आदेश देते हुए पीसीएमसी को छह महीने का समय दिया था। आज (17 मई को) आदेशों का पालन करते हुए हमने सभी 36 अवैध संरचनाओं को ध्वस्त कर दिया है।’’

नगर आयुक्त ने कहा कि नगर निकाय जल्द ही बंगला मालिकों से पर्यावरण क्षति मुआवजे के रूप में पांच करोड़ रुपये भी वसूलेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं शहर के सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे किसी भी खरीदारी से पहले उस क्षेत्र की जांच कर लें, जहां आवासीय परियोजना स्थित है, उसका लेआउट, अनुमोदन सबकी समुचित जांच पड़ताल करें।’’

एक बंगले के मालिक ने बताया कि उसने और अन्य लोगों ने 2018 में मेसर्स जारे वर्ल्ड और मेसर्स वी स्क्वायर से भूखंड खरीदे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने सरकार की पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करके भूखंड अपने नाम करवाये।’’

बंगले के मालिक ने दावा किया कि हालांकि कोई अनुमति नहीं थी, लेकिन पीसीएमसी के कुछ अधिकारियों ने उन्हें निर्माण कार्य जारी रखने के लिए कहा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने अपने बंगले के निर्माण में एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं और मैं आज भी 68,000 रुपये की ‘ईएमआई’ का भुगतान कर रहा हूं। अगर पीसीएमसी ने निर्माण के बाद पहले बंगले के खिलाफ कार्रवाई की होती, तो आज यह स्थिति पैदा नहीं होती।’’

भाषा रंजन पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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