(सुदीप्त चौधरी)
कोलकाता, 16 फरवरी (भाषा) पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने बजट सत्र के पहले दिन विधानसभा में अपने अभिभाषण को लेकर आलोचनाओं को रविवार को खारिज कर दिया और कहा कि उनका संबोधन राज्य सरकार की नीतियों का प्रतिबिंब था, न कि राजभवन का नीतिगत बयान।
दस फरवरी को बोस के अभिभाषण के तुरंत बाद विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा था कि यह राज्य सरकार द्वारा शुरू में उन्हें उपलब्ध कराए गए अभिभाषण की प्रति का संशोधित संस्करण है।
बोस ने यहां राजभवन में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘राज्यपाल का अभिभाषण उनका नीति वक्तव्य नहीं है, बल्कि राज्य सरकार का नीति वक्तव्य है। इस प्रकार सरकार का नीति वक्तव्य मंत्रिपरिषद की सलाह के आधार पर दिया जाना चाहिए। वे जो भी पारित करते हैं, वह सरकार की नीति होती है, जिसे राज्य के प्रमुख के रूप में राज्यपाल द्वारा सदन में प्रसारित किया जाना चाहिए।’’
उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्यपाल (अपने अभिभाषण में) वही पढ़ते हैं जो मंत्रिपरिषद ने लिखा है।
बोस ने कहा, ‘‘मैंने सोचा कि कुछ अनावश्यक संदर्भों को हटाया जा सकता है। लेकिन, उन पर अपने विचार थोपने के बजाय, मैंने सरकार को बताया कि ये ऐसे बदलाव हैं जो किए जा सकते हैं। उन्होंने उन्हें सहजता से स्वीकार कर लिया। इसलिए, आम सहमति बन गई। राज्यपाल की भूमिका टकराव को बढ़ाना नहीं, बल्कि आम सहमति बनाना है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक पूर्व नौकरशाह के तौर पर मैंने कई राज्यपालों के अभिभाषण तैयार किए हैं। और उनमें से किसी में भी कोई विवादास्पद टिप्पणी या कटाक्ष शामिल नहीं था।’’
राज्य सरकार के सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया कि मंत्रिमंडल ने 4 फरवरी को हुई अपनी बैठक में संविधान के अनुच्छेद 163(1) के अनुसार बोस के अभिभाषण को मंजूरी दी थी और इसे राजभवन भेज दिया था।
एक सूत्र ने बताया, ‘‘अभिभाषण प्राप्त होने पर राज्यपाल ने कुछ बदलावों का संकेत दिया था जिसे अभिभाषण में शामिल कर दिया गया।’’
अपने अभिभाषण के दौरान विधानसभा में विपक्ष द्वारा उठाई गई कुछ आपत्तियों का जिक्र करते हुए बोस ने कहा कि उन्होंने ‘‘दो बार रुककर उनकी बातें सुनीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब विपक्ष ने अभिभाषण के दौरान किये गये कुछ उल्लेखों पर आपत्ति की तो मैंने धैर्यपूर्वक उनकी बात सुनी और फिर आगे बढ़ा।’’
यह पूछे जाने पर कि उनके अभिभाषण में आर जी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु चिकित्सक से बलात्कार और हत्या मामले का उल्लेख क्यों नहीं किया गया, बोस ने कहा कि मंत्रिपरिषद ने अपने विवेक से इस घटना को अभिभाषण में शामिल नहीं करने का फैसला किया।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को उठाया। मैंने अभिभाषण आगे पढ़ने से पहले उनकी बात सुनी। इसका मतलब है कि इस बारे में विपक्ष की नाराजगी भी सदन के रिकॉर्ड में है।’’
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.