अलवर: राजस्थान की महिला और बाल विकास राज्यमंत्री ममता भूपेश के साथ आए अन्य सामाजिक संस्थाओं के लोग अजय को न घबराने और न डरने की बात कहते हुए निकल जाते हैं. सविता से घूंघट कराकर उसके साथ फोटो खिंचवाते हैं. पत्रकारों और नेताओं-मंत्रियों से लगातार तीन दिन से घिरा अजय-सविता का परिवार चाय-पानी की व्यवस्था करने में लगा हुआ है. सविता के साथ उनके पति के सामने 26 अप्रैल को उनके गांव लालवड़ी से महज एक किलोमीटर दूर इसी इलाके के गुर्जर समुदाय के 5 लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया.
यहां के विधायक कांतिलाल मीणा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पत्र लिखकर आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग भी की थी. पीड़ित परिवार दलित समुदाय से है. पीड़ित परिवार ने विधायक की मदद से ही 30 अप्रैल को अलवर के एसपी से सारे घटनाक्रम की जानकारी दी और 2 मई को एफआईआर दर्ज कराई गई. उस दिन सविता का मेडिकल नहीं हो पाया क्योंकि सरकारी अस्पताल में महिला डॉक्टर नहीं थी. 3 मई को सविता का मेडिकल हुआ. रिपोर्ट के बारे में अभी पीड़ित परिवार को कोई जानकारी नहीं है. 9 मई यानि आज सविता और अजय का बयान लिया गया है.
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गौरतलब है कि राजस्थान में 29 अप्रैल और 6 मई को मतदान हुआ था. पुलिस पर आरोप लगे कि पोलिंग के चलते इस मामले को लंबा खींचा गया. राजस्थान भाजपा के नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का इस्तीफा मांग रहे हैं लेकिन गहलोत सरकार के कई मंत्री पीड़ित परिवार से मिल रहे हैं और इस मामले को राजनीतिक न बनाने की बातें कह रहे हैं. 8 मई को भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आज़ाद भी थानागाज़ी गए और धरना प्रदर्शन में शामिल हुए. पिछले चार दिन से मीणा समुदाय के लोग सक्रिय हैं और आरोपियों को फांसी देने की मांग पर अड़े हैं. अशोक गहलोत की इस्तीफे की बातें उठते ही पुलिस सकते में आ गई है. 10 दिन से ढील दिए हुए इस मामले में कल से लेकर आज तक पांचों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
क्या हुआ था उस दिन?
‘मैं सविता को उसके घर से बाइक पर बैठा कर मेन सड़क पर चला ही था कि पीछे से दो बाइकों आ रहे लोगों ने हमारी बाइक के पीछे अपनी बाइक लगी दी..’
पीड़िता के पति 21 वर्षीय अजय आगे बताते हैं, ‘मैं जयपुर से आया था. हमारे घर में शादी थी. उसी सिलसिले में मैं सविता को कुछ सामान खरीदवाने तालवृक्ष मार्केट ले जा रहा था.’
रेतीले टीलों और अरावली की एक पहाड़ी के पास बसे इस गांव की कच्ची सड़क से जैसे ही अजय और सविता पक्की सड़क पर चढ़े, उनके पीछे आ रही दो बाइकों ने उनको डराने धमकाने का कोशिश की. घर से करीब एक किलोमीटर दूर ही दोनों बाइकों पर सवार लड़कों ने उनकी बाइक के आगे अपनी बाइकें लगा दी. आपसी बहस चल ही रही थी कि वो अजय और उनकी पत्नी को रेतीले टीलों के अंदर घसीटते हुए ले गये. बाद में तीनों बाइकों को सड़क से नीचे उतार लिया गया.
अजय ने दिप्रिंट को बताया, ‘फिर वो सविता के साथ बदतमीज़ी करने लगे. मैंने जी जान लगाकर रोकने की कोशिश की तो उन्होंने मुझे बुरी तरह मारना शुरू कर दिया. उन्होंने सविता के कपड़े उतारने की बात कही. सविता के अंतर्वस्त्र फाड़ दिए. हम दोनों को पूरी तरह नंगा कर दिया. इस दौरान वो बार-बार तस्वीरें खींचते रहे. सविता के साथ लगभग 3 घंटे तक पांचों ने बलात्कार किया. दो-दो बार. एक पति के तौर पर कैसा महसूस होता है मैं बता भी नहीं सकता. उन्होंने सविता की तस्वीरें हर एंगल से खींची. सब कुछ करने के बाद मेरे से दो हज़ार रुपए भी छीने. सविता की चांदी की चैन भी ले ली. लेकिन बाद में लौटा दी.’
हम दोनों रोते रहे. कहते रहे कि ये तस्वीरें मत खींचों. हम शादीशुदा हैं. चाहें तो आप हमारे घर वालों से बात कर लो. जब वो लोग चलने लगे तो उन्होंने मेरा नंबर ले लिया. उनमें से एक ने शराब पी रखी थी. मैंने उससे कहा कि वो अपना नंबर दे दे. यह सोच कर कि इनके फोन से ये सारी तस्वीरें और वीडियो डिलीट करा दूंगा.’
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‘उसके बाद मैं बाइक चलाकर लाने की हालत में भी नहीं था. थोड़ी देर बाद मैं और सविता जैसे-तैसे वहां से निकले. मैंने उको वापस उसके घर छोड़ दिया और खुद अपने घर आ गया. मेरी पीठ पर लठों के निशान थे. मैं कभी शर्ट पहनकर नहीं सोता लेकिन उस दिन घर वालों के डर से मैंने शर्ट नहीं निकाली.’
‘अब ये गम तो तभी जाएगा जब हम मर जाएंगे’
सविता ने घर पहुंचते ही अपनी मां को सारी बात बताई. उसकी मां को सबसे ज़्यादा धक्का बेटी के वीडियो वायरल होने से लगा है. दिप्रिंट को वो बताती हैं, ‘जब मैंने वो वीडियो कुछ क्षण ही देखा तो बेहोश हो गई थी. घर और परिवार की औरतों ने ये वीडियो नहीं देखे हैं.’ सविता की छोटी बहनें ही घर का कामकाज देख रही हैं. बाकी मोहल्ले की महिलाएं हिम्मत बंधाने आती हैं. सविता की मां ने चारपाई पकड़ ली है. कोई आता है तो उठ-बैठती हैं. वो कहती हैं, ‘हमारी बच्ची तो डर गई. पांच-पांच आदमी थे. अब ये गम तो हम मरेंगे तो हमारे साथ ही जाएगा. एक तो भगवान ने इतनी छोरियां दे दीं. छोरियां दीं तो ये भी दिया. इसके पिताजी में तो गम घर कर गया है.’
रेवती जो कि पीड़िता की चाची हैं का कहना है, ‘हमतो पति को भी मना कर देते हैं लेकिन वो पांच-पांच मर्द थे. या छोटी बालक. मर नहीं जाती. अपने मर्द के सामने ये सब हो जावै तो के नजर मिला लयो. सविता के मायके वाले आश्वस्त हैं, घर तो आछा है उणका. अपने वहीं ले गए अब उसको. सविता की सास कहती हैं, अब अपणे घर से ही बाहरवीं करवाएंगे. गांव ना भेजां. यहीं पढ़वा देंगे. हमनै तो इसलिए ससुराल में ना रखी ताकि अपनी बाहरवीं पूरी करके आजाए.’
जब हम द्वारपुरा गांव पहुंचे और पूछा कि अजय का घर कहां है तो पहले तो गांव वालों ने कहा कि पता नहीं. फिर इस मामले का जिक्र किया तो कुछ लोगों में से एक ने कहा- अच्छा वो कांड वाला. फिर हाथ के इशारे से बताया कि उधर जाओ. जिस तरह से ये वीडियो इस पूरे इलाके में आग की तरह फैला है. उस हिसाब से अजय और उनके परिवार वालों को बदनामी का डर जायज़ है.
26 अप्रैल को हुए इस मामले को पुलिस तक जाते-जाते 4 दिन कैसे लगे? इस सवाल पर अजय कहते हैं, ‘शुरुआती तीन दिन तक तो मैं खुद ही धमकियों ने निपटता रहा. उन्होंने पैसे मांगने शुरू किए कि वीडियो वायरल करा देंगे. तीन दिन बाद मैंने अपने रिश्तेदारी के भाई को सारी बात बताई. उसने मेरे सगे भाइयों को बताया. इन लोगों ने उन नंबरों पर फोन करके राजीनामे की बात कही कि आप वीडियोज़ डिलीट कर दो, हम पैसे दे देंगे. लेकिन जब मामला हाथ से जाने लगा तो हम पुलिस के पास गए.’
ससुराल पक्ष और पति सविता के साथ खड़े हैं
सविता की शादी तीन साल पहले द्वारापुर के अजय से हुई थी. उसके पिता मिस्त्री का काम करते हैं. वह छह बहनें और दो भाई हैं. दलित समुदाय से आने वाली सविता की उम्र 19 साल है. बाकी तीन बहनोंं के साथ ही उनकी शादी भी थानागाजी के नज़दीक द्वारपुरा गांव के एक ही परिवार में हुई थी. बाकी दो बहनों को एक-एक बच्चा भी हो गया है. ग्याहरवीं के इम्तिहान देकर बाहरवीं में दाखिला लेने वाली थी.
सविता के ससुराल पक्ष से एक औरत बताती हैं, ‘हमारे जेठ के बेटे का ब्याह है 18 मई को. 21 वर्षाीय अजय जयपुर में पढ़ाई करता है. वो घर आया हुआ था. हम सविता को बाहरवीं के बाद ससुराल ही लाने वाले थे. उसका गौना हो चुका था. ब्याह शादी में और जब अजय छुट्टी पर आता था तो वो आती थी. बाकी पूरे साल अपने मायके में ही रहती है.’
अजय अपने घर के चौबारे में पत्रकारों से बार-बार कह रहे हैं कि उन्हें चेहरा नहीं दिखाना है. घर के बड़े लोगों का इंटरव्यू ले लें. लेकिन कुछ चैनलों द्वारा अजय की पहचान उजागर करने से परिवार के लिए मुश्किलें और बढ़ गई हैं. अजय का डर है कि उसे जयपुर वापस पढ़ाई करने जाना है और तस्वीरें चैनल पर आने से उनका यूनिवर्सिटी में पढ़ना मुश्किल होगा.
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‘इस गैंग को मिली है भाजपा पार्टी की शह’
थानागाज़ी क्षेत्र के कालाखोरा गांव की महिलाएं बताती हैं, ‘आरोपियों में से एक हंसराज तो पहले से ही इस तरह की घटनाओंं में संलिप्त रहा है. उसे एक मंत्री का संरक्षण प्राप्त हैं.’
मंत्री का नाम पूछने पर वो कहती हैं, ‘भड़ाना है. हमारी ही जात का है. जिस इलाके में उस बेचारी के साथ ये घटना हुई है गांव की महिलाएं भी उधर नहीं जाती हैं.’
सोनी नाम की महिला कहती हैं, ‘उधर तो आदमी भी मार के गेर (फेंक) तो भी न पता चाले. हम तो न जावे उधर की तरफ.’
इस इलाके की छात्र राजनीति में सक्रिय कृष्ण का आरोप है कि इन पांचों को भाजपा की शह है. भाजपा सरकार में खाद्य मंत्री रहे हेम सिंह भड़ाना पर ऐसे कई गैंग पाले रखने के आरोप हैं. आरोप तो ये भी है कि इन लड़कों पर केस होने पर मामले रफा-दफा भी करवाए जाते हैं. हेम सिंह भड़ाना के बेटों पर मारपीट और छेड़खानी के आरोप लगे हुए हैं. हेम सिंह भड़ाना पर खुद मारपीट के आरोप लगे हैं. इस इलाके ज्यादातर लोगों का कहना है कि हेम सिंह ने ऐसे अपराधियों को शह दी हुई है.
पुलिस द्वारा मामले में की जांच में तत्परता न दिखाने पर अजय के परिवार ने खुद ही आरोपियों के गांव-नाम पता लगाए तो उनके सामने भी ये पक्ष आया. अजय के बड़े भाई ने साफ तौर कहा है, ‘ये पांचों लड़के भाजपा नेता हेम सिंह भड़ाना की गैंग के हैं. इसीलिए इनकी इतनी हिम्मत बढ़ी हुई है कि ये किसी के घर से आधा किलोमीटर दूर भी गैंगरेप करके उसे वायरल कराने की हिम्मत रखते हैं. इन सबके क्रिमिनल बैकग्राउंड हैं. इसीलिए पुलिस भी शुरू में इस मामले में ढील दे रही थी.’
एक तरफ गांवों में लोग दबी आवाज में कह रहे हैं कि इन लड़कों के गैंग को भाजपा नेता भड़ाना का संरक्षण प्राप्त है, वहीं दूसरी ओर भाजपा के अन्य नेता पीड़ित परिवार से मिल भी रहे हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. 9 मई को जयपुर में राजस्थान बीजेपी नेता राजेंद्र राठौड़ ने धरना प्रदर्शन किया है. राठौड़ का कहना है, ‘प्रशासन ने मामले को दबाने की कोशिश की है. पूरे राज्य में ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं लेकिन राजस्थान सरकार रक्षक नहीं भक्षक बनती जा रही है. मामले को दबाने के आदेश किसके थे, इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए.’
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आरोपियों के घर पर लगे हैं ताले
हंसराज और बाकी आरोपियों के घर दिप्रिंट बात करने के लिए पहुंचा तो वहां ज्यादातर घरों में ताले लगे मिले. किसी घर में भैंसो की सामने चारा डाला गया था तो कुछ धूप में बंधी थीं. पड़ोसियों ने बताया कि बार-बार पुलिस आ रही है तो सब छुपे बैठे हैं. हंसराज के घर में एक छोटी बच्ची हैंडपंप से पानी भरती मिली लेकिन उसने नहीं बताया कि घर वाले कहां गए हैं.
गौरतलब है कि इस मामले में अलवर पुलिस ने धारा 147, 149, 323, 341, 354B, 376 (D) और एससी-एसटी एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की है. अजय के बड़े भाई बताते हैं, ‘वीडियो में कुछ लड़कों की शक्लें दिख रही थीं. उसी आधार पर हमने तहकीकात की. इस गैंग का लीडर छोटेलाल है. ये नवालपुरा गांव का है. इस पर पेट्रोल पंप जलाने, सब्जी वालों को मारने-पीटने और मर्डर के आरोप लगे हुए हैं. दूसरा हंसराज है. ये कालाखोरा गांव का है. तीसरा कोटपुतली के पाथरेड़ी गांव का इंद्राराज है. बाकी बचे दो बढ़ाणा की ढाणी के आस-पास के गांवों के हैं. एक का नाम अशोक है और एक का महेश. ये चारों ही गुर्जर लड़के हैं. इस गैंग ने लोगों को काफी परेशान कर रखा है.’
आरोपियों के ही एक गांव कालाखोरा के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘इन सबको यहां के मंत्री हेम सिंह भड़ाना ने पाल रखा है. उसकी शह में ही ये दंबग बनकर घूम रहे हैं. यहां पुलिस एकदम बेशर्म है. इस इलाके में पिछले छह-सात महीने में चार-पांच गैंगरेप हो चुके हैं लेकिन पुलिस ने मामले दर्ज तक करने में बेशर्मी दिखाई है.’
इस इलाके में लगातार हो रहे हैं गैंग रेप
इस गैंगरेप ने राजस्थान में विरोध का माहौल तैयार कर दिया है. थानागाज़ी और अलवर में हज़ारों की संख्या में विरोध-प्रदर्शन होने लगे हैं. कल थानागाज़ी में हुए धरना-प्रदर्शन में इस इलाके के डूमेड़ा गांव की एक 14 साल की पीड़िता भी शामिल हुई. सोनू के साथ आए उनके भाई ने बताया, फरवरी में पड़ोस के ही मीणा समुदाय के तीन लड़कों ने गैंगरेप किया था. सोनू बाथरूम के लिए बाहर निकली थी. उसे सरसों के खेतों में घसीट कर ले जाया गया और सामूहिक बलात्कार किया गया. पुलिस ने पहले तो एफआईआर दर्ज करने में देरी की. बाद में मामले मे सिर्फ एक लड़के को ही गिरफ्तार किया गया, बाकी दोनों लड़के महीने दो महीने गांव में आकर पीड़िता के परिवार को धमका कर जाते हैं. पुलिस ने परिवार की सुरक्षा का कोई इंतज़ाम नहीं किया. परिवार के लोग झोले में एफआईआर लिए जगह-जगह धक्के खा रहे हैं. पीड़िता उस घटना के बाद सदमे में है और बोलना भी बंद कर चुकी है.
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एक खास पैटर्न में हो रहे हैं गैंगरेप
यहां एक खास पैटर्न में गैंगरेप हो रहे हैं. कोई एक लड़का किसी लड़की को प्रेम-प्रसंग में फांसता है और विश्वास जीतने के बाद उसके साथ अपने दोस्तों से भी रेप कराता है. इस बात की तस्दीक सविता के गांव की एक महिला भी करती हैं. वो कहती हैं, ‘ये तभी से होता आ रहा है. हमने देखा है कि इस तरह के लड़के एक लड़की को फंसाते हैं. बाद में उसे अपने दोस्तों के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने पर मजबूर करते हैं. इसलिए लड़कियों को पहले ही सिखा दिया जाता है कि लड़कों से बात भी नहीं करनी है.’
इस तरह का गैंगरेप सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि संपूर्ण ग्रामीण भारत हो रहा है. यूपी-बिहार से इस तरह की कई वीडियो पिछले कुछ सालों से सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रही हैं. पिछले साल रेवाड़ी गैंगरेप में भी इस तरह का पैटर्न नज़र आया था. लड़कों के गैंग गांव से स्कूल पढ़ने जा रहीं या खेतों में जा रहीं लड़कियों को अपना निशाना बनाते हैं. लोकल अखबार आज भी ‘शौच करने गई लड़की के साथ दुष्कर्म’ की खबरों से भरे पड़े रहते हैं.
(पीड़ित और उसके पति का नाम बदल दिया गया है.)