नई दिल्ली: तमिलनाडु से भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के एक अधिकारी ने अपने ऊपर ‘हिंदी थोपे जाने’ का विरोध किया है क्योंकि वो ‘हिंदी की एबीसीडी’ भी नहीं जानते.
बी बालमुरगन ने, जो पिछले साल से जीएसटी के चेन्नई आउटर कमिश्नरेट के हिंदी सेल में तैनात हैं, केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने लिखा है- ‘मेरा विनम्र विचार है कि हिंदी सेल में तैनात अधिकारी को हिंदी पढ़नी और लिखनी आनी चाहिए और हिंदी सेल में तैनात किए जाने से पहले उसे हिंदी सेल में काम करने की इच्छा ज़ाहिर करनी चाहिए’.
सीबीआईसी सभी आईआरएस (कस्टम्स) अधिकारियों की काडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी है. हिंदी भाषा प्रकोष्ठ हिंदी के कार्यान्वयन पर एक त्रैमासिक सांख्यिकीय रिपोर्ट तैयार करता है और आधिकारिक काम में हिंदी के इस्तेमाल की निगरानी के लिए हर तिमाही पर समीक्षा बैठकें करता है.
9 अगस्त को लिखे अपने पत्र में 2003 बैच के अधिकारी बालमुरगन ने लिखा- ‘हिंदी सेल में काम करने का मतलब है फाइल नोटिंग्स और आधिकारिक कम्यूनिकेशन में आधिकारिक भाषा के तौर पर हिंदी के इस्तेमाल की निगरानी करना और उसे बढ़ावा देना.
अपने पत्र में, जो दिप्रिंट ने देखा है, उन्होंने लिखा, ‘मेरी हिंदी सेल में काम करने में रूचि नहीं है. मुझे हिंदी सेल में तैनात करना और कुछ नहीं बस मुझपर हिंदी थोपना है. ये ऐसा ही है जैसे किसी ब्राह्मण को बाइबिल या क़ुरान देकर उससे ईसाइयत या इस्लाम का प्रचार करने को कहा जाए’.
उन्होंने आगे कहा, ‘मेरा सीबीआईसी अध्यक्ष से अनुरोध है कि वो सीबीआईसी में तमाम विभागाध्यक्षों को निर्देश दें कि हिंदी सेल में उन्हीं अधिकारियों को तैनात करें जो हिंदी जानते हों और जो हिंदी सेल में काम करना चाहते हों’.
दिप्रिंट ने लिखित संदेशों और कॉल्स के ज़रिए, चेन्नई आउटर कमिश्नरेट में जीएसटी और सेंट्रल एक्साइज़ कमिश्नर से संपर्क कर उनकी टिप्पणी लेनी चाही कि जब बालमुगरन को हिंदी नहीं आती तो उन्हें हिंदी सेल में क्यों तैनात किया गया है. लेकिन इस रिपोर्ट के छपने तक उनका कोई जवाब नहीं मिला है.
लेकिन सीबीआईसी के एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा कि पत्र मिल गया है लेकिन उसे अभी प्रोसेस किया जाना है.
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‘ये कैसे उचित है?’
दिप्रिंट से बात करते हुए बालमुरगन ने कहा, ‘हम कागज़ात पर साइन कर देते हैं, बिना ये जाने कि उनमें क्या लिखा है क्योंकि कम से कम 50 प्रतिशत संचार हिंदी में होता है. ये कितना उचित है?’
उन्होंने कहा कि वो हिंदी थोपे जाने की राजनीति में नहीं पड़ना चाहते लेकिन किसी अधिकारी को ऐसी स्थिति में डालना उचित नहीं है. उन्होंने आगे कहा, ‘मैं सीबीआईसी के जवाब का इंतज़ार कर रहा हूं’.
बालमुरगन ने ये भी कहा कि उनका परिवार हिंदी जानता है लेकिन उन्हें इस बात के लिए दंडित नहीं किया जा सकता कि वो ये भाषा नहीं जानते या इसे सीखने में उनकी दिलचस्पी नहीं है.
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