श्रीनगर, 30 जून (भाषा) प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि भारतीय न्यायपालिका के पार्श्व कार्यालयों में किये गये कार्यों के बारे में बहुत कम पता चल पाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन कार्यों को भी रेखांकित करना महत्वपूर्ण है।
सीजेआई यहां शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआईसीसी) में ‘19वीं विधिक सेवा प्राधिकरण बैठक’ में उद्घाटन भाषण दे रहे थे।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, ‘‘न्यायपालिका एक खराब संप्रेषक रही है, क्योंकि हमें लगता है कि हमें ‘मार्केटिंग’ की जरूरत नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह न्यायिक प्रक्रिया में देरी से भी पता चलता है, क्योंकि भारतीय न्यायपालिका के पार्श्व कार्यालयों में किए गए कार्यों के बारे में बहुत कम पता चल पाता है। यह महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय न्यायपालिका के पार्श्व कार्यालयों में किए जाने वाले कार्यों को भी रेखांकित करें, क्योंकि वह हमारी न्यायपालिका की रीढ़ है।’’
सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका अपने द्वारा दिए गए फैसलों से जानी जाती है या कभी-कभी उन फैसलों से जानी जाती है, जो वह नहीं देती है।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय लोक अदालत ने इस वर्ष अब तक 3.6 करोड़ मामलों का निपटारा किया है। सीजेआई ने कहा, ‘एडीआर तंत्र न्याय तक पहुंच में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’
सीजेआई ने यह भी कहा कि देश की कानूनी सेवाओं में अविश्वास के कई कारण हैं। उन्होंने कहा, ‘अविश्वास का एक कारण जटिल न्यायिक प्रक्रिया और न्यायिक देरी है। विधिक सेवा प्राधिकरणों को लोगों को वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।’
भाषा सुरेश सुभाष
सुभाष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.