इंफाल: मंगलवार दोपहर 12 बजे, इंफाल घाटी पूरी तरह से खाली थी, सभी शटर बंद थे, चौराहे अवरुद्ध थे और हर आने-जाने वाली गाड़ी की गहन जांच की जा रही थी. ये 48 घंटे का सख्त ‘कर्फ्यू’ पुलिस द्वारा नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों द्वारा लगाया गया था.
उनका मकसद, 16 सितंबर को अत्याधुनिक हथियारों के साथ पुलिस की वर्दी में घूमते पकड़े गए पांच मैतेई लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना था.
पुलिस ने वर्दी में घूमने वालों को हिरासत में ले लिया, जो स्थानीय लोगों को पसंद नहीं आया और उन्होंने हिंसक विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. एक सशस्त्र भीड़ ने इंफाल पूर्व के पोरोम्पैट पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया, जहां लोगों को हिरासत में लिया गया था और मांग की कि उन्हें रिहा किया जाए. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने केंद्रीय बलों के साथ मिलकर आंसू गैस के गोले दागे.
अगले दिन भीड़ फिर से पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गई और उन लोगों की रिहाई की मांग करने लगी. उन्होंने पुलिस को धमकी भी दी कि ऐसा न करने पर इंफाल को पूरी तरह जला दिया जाएगा.
मणिपुर 3 मई से जातीय हिंसा में फंसा हुआ है. तब से, 200 से अधिक लोग मारे गए हैं, 1,200 से अधिक लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं और 50,000 से अधिक लोग अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए हैं. कानून-व्यवस्था बहाल करने की चुनौती लगातार बनी हुई है.
इतने बड़े पैमाने पर हिंसा और 6,500 से ज्यादा मामले दर्ज होने के बीच केवल 280 गिरफ्तारियां हुई हैं. अधिकांश मामलों में जांच में कोई प्रगति नहीं हुई है, स्थानीय लोगों के प्रतिरोध और विरोध के कारण बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे पहले से ही अनिश्चित स्थिति और खराब हो गई है.
पुलिस के मुताबिक, इस स्तर पर आरोपी को गिरफ्तार करना और अदालत में पेश करना मुश्किल है. घाटी और पहाड़ी दोनों क्षेत्रों में, समुदाय के नेतृत्व वाली सशस्त्र भीड़ अक्सर गिरफ्तारी के दौरान हस्तक्षेप करती है, जिससे गिरफ्तार किए गए लोगों को रिहा करने के लिए पुलिस को मजबूर होना पड़ता है. पुलिस सूत्रों ने कहा कि कुछ मामलों में, ये भीड़ आरोपियों की पेशी के दौरान अदालत कक्ष या न्यायाधीशों के आवास के बाहर भी दिखाई देती है.
एक पुलिस सूत्र ने कहा, “अगर हम कोई गिरफ्तारी करते हैं, तो उस व्यक्ति के समुदाय से भीड़ इकट्ठा हो जाती है और हमें घेर लेती है, जिससे हमें आरोपी को छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ता है. वे हिंसक हो जाते हैं और हमें काम नहीं करने देते. गिरफ्तारी करना बेहद मुश्किल है.” “यह 48 घंटे का बंद जो आप इंफाल में देख रहे हैं, वह पुलिस द्वारा लगाया गया कर्फ्यू नहीं है, बल्कि मीरा पैबी समूहों द्वारा लगाया गया है.”
यह भी एक बड़ा कारण है कि पुलिस बड़ी संख्या में लूटे गए हथियारों को बरामद नहीं कर पाई है. चार महीने से अधिक समय बीत चुका है जब 200 से अधिक एके-47, 406 कार्बाइन, 551 इंसास राइफलें, 250 मशीनगन और 6.5 लाख से अधिक गोला-बारूद पुलिस शस्त्रागारों और स्टेशनों से लूटे गए थे और यह मुख्य रूप से मैतेई-प्रभुत्व वाली इम्फाल घाटी में किया गया.
हालांकि, कोई ठोस बरामदगी नहीं हुई है, जिससे स्थानीय लोगों के हाथों में एक महत्वपूर्ण शस्त्रागार रह गया है और हिंसा का चक्र और तेज हो गया है. पुलिस आंकड़ों के अनुसार, चुराए गए 5,668 अत्याधुनिक स्वचालित हथियारों में से अब तक केवल 1,331 ही बरामद किए गए हैं.
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‘हमारी बात नहीं सुनी गई तो बहुत हिंसा होगी’
इंफाल पश्चिम के सिंगजामेई चिंगमाखोंग में, पारंपरिक मणिपुरी साड़ी और टोपी पहने महिलाओं ने लाठी लहराते हुए मोर्चा संभाल लिया है. वे हर गुजरने वाले वाहन को रोकते हैं, उसकी व्यापक जांच करते हैं और चालक को वैकल्पिक मार्ग लेने का निर्देश देते हैं.
आसपास का एक अन्य समूह अपनी अगली कार्रवाई पर चर्चा करने में व्यस्त है और वे कॉल करना शुरू कर देते हैं. मीरा पैबी कहती हैं, “हमारी मांग बहुत सरल है, हमारे लोगों को रिहा करो. वे निर्दोष हैं. अभी, हम शांतिपूर्ण बंद कर रहे हैं, लेकिन अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो बहुत हिंसा होगी. हम वाहनों, पुलिस स्टेशनों और अन्य चीजों को आग लगा देंगे.”
पांच लोगों की गिरफ्तारी के बाद घाटी के निवासियों ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण और अनुचित होने का आरोप लगाना शुरू कर दिया है. उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए लोग ग्राम रक्षा समिति के सदस्य थे, जो कुकियों के खिलाफ अपने समुदाय की रक्षा कर रहे थे.
लिसिला कहती हैं, “इन लोगों ने कुकियों से हमारी रक्षा के लिए वर्दी पहनी और हथियार उठाए जो लगातार हम पर हमला कर रहे हैं. पुलिस उन्हें सलाखों के पीछे कैसे डाल सकती है? उन्होंने न सिर्फ मामला दर्ज किया बल्कि उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया. हम यह अन्याय नहीं होने देंगे.”
उनकी दोस्त, अयिंग देवी उनसे सहमत है, “ये लोग निर्दोष हैं. वे आम लोग हैं. यदि कुकी के पास अपनी सेनाएं हो सकती हैं, तो हमारे पास क्यों नहीं? यह हमारी अपनी रक्षा के लिए है.”
एक अन्य प्रदर्शनकारी मुन्ना, जो एकल नाम से जाना जाता है, मांग पूरी न होने पर हिंसा करने की धमकी देता है. “हम पुलिस को हमारे लोगों को इस तरह हिरासत में नहीं लेने देंगे. यह कैसे उचित है? हम एक आह्वान करेंगे और अगर उन्होंने इन पांच लोगों को नहीं छोड़ा तो घाटी का प्रत्येक व्यक्ति सड़क पर होगा. और फिर, हम देखेंगे कि पुलिस भीड़ को कैसे नियंत्रित करती है.”
सीबीआई के लिए चुनौती
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यहां तक कि सौंपे गए 27 मामलों की जांच के लिए इंफाल घाटी में तैनात सीबीआई टीमों को भी स्थानीय लोगों के छिटपुट विरोध प्रदर्शन और नाकाबंदी के कारण इधर-उधर जाने में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
जब टीम पिछले महीने इंफाल पूर्व के पांगेई में मणिपुर पुलिस प्रशिक्षण केंद्र गई थी, जहां से भीड़ ने एसएलआर, इंसास, एलएमजी, 303 राइफल, कार्बाइन, साथ ही ग्रेनेड, आंसू गैस के गोले और हजारों राउंड हथियार लूट लिए थे. सूत्रों से पता चला कि 27 मई को गोला-बारूद के कारण, उन्हें लोगों ने घेर लिया और वापस लौटने के लिए मजबूर किया.
एक पुलिस सूत्र ने कहा, “मेइतियों ने सोचा कि सीबीआई आसपास के गांवों से गिरफ्तारियां करना शुरू कर देगी, इसलिए उन्होंने टीम को घेर लिया और उन्हें वापस लौटने के लिए मजबूर कर दिया. एक अन्य घटना में, मैतेई लोगों ने बिष्णुपुर के पास उस स्थान पर विरोध स्वरूप धरना दिया, जहां टीम जांच के लिए गई थी, जिससे उनके काम में बाधा उत्पन्न हुई.”
यह सुनिश्चित करने के लिए कि काम सुचारू रूप से चले, पुलिस सीबीआई टीमों को सुरक्षा प्रदान कर रही है. सूत्र ने कहा, “हम उनके साथ अपनी टीमें भेजते हैं. प्रत्येक टीम से स्थानीय पुलिस इकाइयां जुड़ी हुई हैं. शुरुआत में दिक्कतें थीं और अब भी, कभी-कभी भीड़ को संभालना पड़ता है, लेकिन टीमें काम कर रही हैं और हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि प्रक्रिया सुचारू रहे.”
मणिपुर में जातीय झड़पों के सिलसिले में दर्ज 27 एफआईआर की जांच सीबीआई ने अपने हाथ में ले ली है. एजेंसी के एक सूत्र ने पुष्टि की, इनमें महिलाओं के खिलाफ अपराध के 19 मामले, भीड़ द्वारा लूटे गए शस्त्रागार से संबंधित तीन, हत्या के दो, दंगा और हत्या, अपहरण और आपराधिक साजिश के एक-एक मामले शामिल हैं.
सूत्र ने बताया कि विभिन्न सीबीआई इकाइयों से 29 महिलाओं सहित 53 अधिकारियों की एक टीम इंफाल में तैनात है और एसपी रैंक के अधिकारी जांच की देखरेख और निगरानी कर रहे हैं.
केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला के विशेषज्ञों के साथ सीबीआई की टीमों ने अपराध स्थलों का दौरा करना शुरू कर दिया है और संदिग्धों से पूछताछ शुरू हो गई है. हालांकि, अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
सीबीआई के एक सूत्र ने कहा, “स्थिति गिरफ़्तारी के लिए अनुकूल नहीं है. टीमें सबूत इकट्ठा करने, बयान दर्ज करने और संदिग्धों से पूछताछ करने के लिए काम कर रही हैं. काम पूरे जोरों पर है.”
(संपादन: अलमिना खातून)
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