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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअर्थजगत5 क्षेत्रों में अवैध कारोबार से भारत को 16 लाख नौकरी, 58 हजार करोड़ रुपये के टैक्स का घाटा: फिक्की

5 क्षेत्रों में अवैध कारोबार से भारत को 16 लाख नौकरी, 58 हजार करोड़ रुपये के टैक्स का घाटा: फिक्की

फिक्की कास्कैड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2019-20 में मोबाइल फोन, शराब, तंबाकू और एफएमसीजी उत्पादों के करीब 2.6 लाख करोड़ रुपये का अवैध कारोबार होने का अनुमान लगाया गया है.

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नई दिल्ली: फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (फिक्की) की ओर से गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 में पांच प्रमुख उद्योगों में अवैध उत्पादों का कारोबार 2.6 लाख करोड़ रुपये का था.

कुल मिलाकर नकली सामानों से सरकारी खजाने को 58,521 करोड़ रुपये का कर घाटा हुआ है.

इलिसिट मार्केट: ए थ्रेट फॉर नेशनल इंटरेस्ट ‘ रिपोर्ट में देशभर के पांच प्रमुख उद्योगों- मोबाइल फोन, शराब, तंबाकू उत्पाद, फास्ट एंड मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) घरेलू और व्यक्तिगत सामान और एफएमसीजी पैकेज्ड फूड को सर्वे में शामिल किया था.

यह सर्वे दिल्ली के थिंक टैंक, थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट ने फिक्की की कमेटी अगेंस्ट स्मगलिंग एंड कॉउन्टरफेइट एक्टिविटीज डिस्ट्रॉयिंग द इकोनॉमी (कास्कैड) के लिए किया था. यह रिपोर्ट मूल्यांकन और टैक्स के होने वाले नुकसान के अलावा, इसकी वजह से रोजगार में आने वाले कमी की भी गणना करती है. साथ ही रिपोर्ट में इस मसले को हल करने के लिए संभावित कदमों की सिफारिश भी की गई.

क्या है गैर-कानूनी व्यापार? इसकी गणना कैसे की जाती है?

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रिपोर्ट के मुताबिक, ‘व्यापार के अधिकृत चैनलों के बाहर बेचे गए सभी सामानों को अवैध कारोबार की कैटेगरी में रखा जाता है. इसके अलावा, इसमें आर्टिसनल- नियामक ढांचे के बाहर उत्पादित घरेलू उत्पाद और एक्सपायर्ड उत्पादों की फिर से बेचे जाने को भी शामिल किया जाता है.’

संगठित मामलों पर डेटा की कमी ने इस मूल्यांकन को ‘बेहद चुनौतीपूर्ण’ बना दिया था, लेकिन लेखक ने ‘मांग और आपूर्ति’ में मौजूद अंतर पर भरोसा करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की.

उनके डेटा स्रोतों में सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, प्राइवेट फाइनल कंजप्शन एक्सपेंडिचर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आने वाले डायरेक्टर जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस शामिल रहे.

रिसर्च से पता चला कि पांच उद्योगों में से हर एक में, उपभोक्ताओं ने संगठित बाजारों की आपूर्ति की तुलना में अधिक खपत की. और ऐसा अवैध वस्तुओं की सप्लाई के कारण ही संभव था. अवैध खपत के हिस्से की गणना प्रत्येक उत्पाद पर किए गए अंतिम उपभोग व्यय के साथ मांग आपूर्ति बेमेल को विभाजित करके की गई थी.


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एफएमसीजी उत्पादों पर अवैध कारोबार का बोलबाला

2.6 लाख करोड़ रुपये के गैर-कानूनी व्यापार में से लगभग 2 लाख करोड़ रुपये का कारोबार एफएमसीजी क्षेत्र में दर्ज किया गया.

एफएमसीजी पैकेज्ड फूड आइटम्स (जैसे कन्फेक्शनरी, डेयरी प्रोडक्ट्स, नॉन-अल्कोहलिक बेवरेज) का अवैध कारोबार 1.42 लाख करोड़ रुपये का था. लेखकों का अनुमान है कि यह राशि बाजार का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा है.

एफएमसीजी घरेलू और व्यक्तिगत सामानों (त्वचा की देखभाल, ओरल हाइजीन, हेयर केयर, फेब्रिक केयर आदि) का अवैध व्यापार 55,530 करोड़ रुपये का था. इसकी तुलना में पैकेज्ड एफएमसीजी सामानों की गैर-कानूनी कारोबार में हिस्सेदारी काफी ज्यादा थी. बाजार पर कब्जा करने के मामले में देखा जाए तो इन अवैध सामानों ने बाजार हिस्सेदारी के लगभग 34.25 फीसदी हिस्से पर कब्जा किया हुआ था. यह मार्किट शेयर सर्वे किए गए पांच उद्योगों में सबसे ज्यादा था.

शराब का अवैध कारोबार 23,466 करोड़ रुपये का था. इसके बाद अवैध तंबाकू उत्पादों का 22,930 करोड़ रुपये और मोबाइल फोन का 15,884 करोड़ रुपये का कारोबार रहा.

रिपोर्ट में कहा गया है कि एफएमसीजी (घरेलू और व्यक्तिगत) बाजार हिस्सेदारी के मामले में चार्ट में सबसे ऊपर है क्योंकि ब्रांडेड उत्पादों की कीमत काफी ज्यादा होती है और इस तरह का समान ग्राहकों को काफी सस्ते में मिल जाता है.

रिपोर्ट बताती है ‘स्थापित ब्रांड और प्रीमियम उत्पादों पर अक्सर सबसे ज्यादा मार पड़ती है. क्योंकि एक जैसे दिखने वाले प्रोडक्ट सस्ते दामों पर मिल जाते हैं और ट्रेडमार्क को अक्सर गलत वर्तनी से बदल दिया जाता है, जिससे असल और नकल प्रोडेक्ट में अंतर करना मुश्किल हो जाता है.’

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint
चित्रण: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ इसी तरह से एफएमसीजी (पैकेज्ड फूड) के नकली उत्पादों के पीछे का कारण एग्रो या फूड बेस्ड छोटे और लघु उद्योगों के लिए औद्योगिक लाइसेंस की जरूरत का न होना हो सकता है.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नकली उत्पाद ज्यादातर अनियमित बाजारों में और कम वेतन वाले श्रमिकों द्वारा बनाए जाते हैं. कम आईपीआर (इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट) जरूरतें और अपर्याप्त एनफोर्समेंट मैकेनिज्म बड़े अनौपचारिक बाजारों के साथ मिलकर, अवैध बाजार में वृद्धि का कारण बनते हैं.’

रिपोर्ट के अनुसार, अवैध व्यापार के कारण कुल 15.96 लाख रोजगार के अवसर खो गए, जिनमें से लगभग 11 लाख अकेले एफएमसीजी क्षेत्र में थे. इन नंबरों की गणना नोबेल अर्थशास्त्र पुरस्कार विजेता वासिली लियोन्टीफ के इनपुट-आउटपुट मॉडल से की गई थी.

इसी मॉडल का इस्तेमाल करते हुए लेखक यह गणना करने में सक्षम थे कि अगर अवैध व्यापार के जरिए बिकने वाली चीजें औपचारिक चैनलों के तहत आती तो सरकार इन उत्पादों से कितना अधिक राजस्व (करों में) अर्जित कर सकती थी. ये आंकड़े वर्ष 2019-20 के लिए 58,521 करोड़ रुपये थे.

Graphics: Ramandeep Kaur | ThePrint
चित्रण: रमनदीप कौर | दिप्रिंट

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आगे का रास्ता

रिपोर्ट में अवैध व्यापार पर अंकुश लगाने के लिए कई दिशाओं में जरूरी विभिन्न नीतिगत कदमों उठाए जाने की भी सिफारिश करती है.

लेखक रिपोर्ट के ‘वे अहेड’ चैप्टर में घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत करने, टैरिफ को युक्तिसंगत बनाने से लेकर टैक्स आर्बिट्रेज को कम करने, पुलिस की निगरानी और कड़ी सजा तक दस-सूत्रीय एजेंडे का सुझाव देते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अपराधियों के मन में कानून का डर पैदा करने के लिए, न सिर्फ कड़ाई से उनके पीछे लगना है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि सिस्टम उन्हें पर्याप्त सजा के बिना छोड़े नहीं.’

फिक्की के अध्यक्ष संजीव मेहता ने कहा, ‘भारत को अवैध व्यापार से मुक्त करने के लिए विभिन्न हितधारकों के बीच मजबूत सहयोग और इनोवेटिव कदम उठाए जाने की जरूरत है. तस्करी और जालसाजी हर जगह है, उद्योग, सरकार और समाज सीधे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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