गुवाहाटी, 13 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ज्ञान-आधारित समाज तथा देश की समस्याओं के प्रौद्योगिकी आधारित समाधान के महत्व को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बृहस्पतिवार को जोर दिया, साथ ही इस संदर्भ में उच्च शिक्षण संस्थानों की भूमिका को भी रेखांकित किया।
मुर्मू भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी से केंद्र और राज्य की विभिन्न परियोजनाओं का डिजिटल तरीके से उद्घाटन करने और आधारशिला रखने के बाद बोल रही थीं।
इन परियोजनाओं में राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन के तहत सुपर कंप्यूटर ‘परम कामरूप’ का उद्घाटन और आईआईटी-गुवाहाटी में उच्च शक्ति वाले माइक्रोवेव घटकों के डिजाइन और विकास के लिए एक प्रयोगशाला शामिल है।
मुर्मू ने धुबरी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल का भी डिजिटल तरीके से उद्घाटन किया और उसी कार्यक्रम में असम के डिब्रूगढ़ और मध्य प्रदेश के जबलपुर में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के क्षेत्रीय संस्थानों की आधारशिला रखी।
राष्ट्रपति ने आईआईटी-गुवाहाटी की उपलब्धियों की सराहना करते हुए इस क्षेत्र में संस्थान की भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर में एकमात्र आईआईटी होने के नाते, इसे इस क्षेत्र में अन्य संस्थानों को संवारने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए, ताकि वे हमारी सीमाओं को मजबूत करने के लिए राज्य सरकार और रक्षा बलों के साथ मिलकर काम कर सकें और क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए तकनीकी समाधान प्रदान कर सकें।’’
मुर्मू ने पूर्वोत्तर क्षेत्र के लोगों को ज्ञान-आधारित समाज बनाने में अग्रणी भूमिका निभाने के लिए भी आह्वान किया।
राष्ट्रपति ने भारत में अनुसंधान की सदियों पुरानी परंपरा का भी उल्लेख किया और वर्तमान समय में इसे आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुर्मू ने कहा कि प्रौद्योगिकी का लाभ समाज के दूर-दराज के कोने-कोने तक पहुंचना चाहिए।
कार्यक्रम में असम के राज्यपाल जगदीश मुखी, मुख्यमंत्री हिमंत विश्व सरमा, केंद्रीय मंत्री भारती प्रवीण पवार और आईआईटी-गुवाहाटी के निदेशक टीजी सीताराम और अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
राष्ट्रपति असम के दो-दिवसीय दौरे पर हैं, जिसका समापन शुक्रवार को होगा।
भाषा
सुरेश दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.