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Thursday, 14 August, 2025
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आईआईएम संशोधन विधेयक: प्रबंधन संस्थानों की स्वायत्तता को लेकर छिड़ी बहस

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नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) केंद्र के एक नए संशोधन विधेयक में प्रस्तावित किया गया है कि राष्ट्रपति भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) के विजिटर होंगे और उन्हें उनके कामकाज का ऑडिट करने, जांच का आदेश देने और निदेशक नियुक्त करने के साथ-साथ उन्हें हटाने का अधिकार होगा, जिससे इस प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान की ‘स्वायत्तता’ को लेकर बहस शुरू हो गई है।

मणिपुर हिंसा पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच आईआईएम अधिनियम 2017 में संशोधन से संबंधित एक विधेयक पिछले शुक्रवार को लोकसभा में पेश किया गया था।

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) यथासंभव सख्त नियंत्रण बनाए रखना चाहता है और ‘वैचारिक शुद्धता’ सुनिश्चित करना चाहता है, जबकि आईआईएम केवल जवाबदेही तय करने के बजाय संशोधन से स्वायत्तता छिन जाने को लेकर चिंतित हैं।

कांग्रेस महासचिव एवं सांसद जयराम रमेश ने कहा, ‘‘आईआईएम को 2017 में अधिक स्वायत्तता दी गई थी और इस कानून को संसद में व्यापक समर्थन मिला था। हालांकि, छह साल बाद मोदी सरकार ने खुद जो पेश किया था, उसे उलट रही है। स्पष्ट रूप से, स्वायत्तता इस सरकार को नापसन्द है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पीएमओ अब गुणवत्ता, विचार की स्वतंत्रता और कार्यक्रमों के संचालन में लचीलेपन के सभी विचारों को दरकिनार करते हुए यथासंभव सख्त नियंत्रण बनाए रखना और वैचारिक ‘शुद्धता’ सुनिश्चित करना चाहता है।’’

भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023 के अनुसार, भारत के राष्ट्रपति प्रत्येक संस्थान के विजिटर होंगे।

विधेयक में कहा गया है, ‘‘विज़िटर किसी भी संस्थान के काम और प्रगति की समीक्षा करने, उसके मामलों की जांच करने और विज़िटर द्वारा निर्देशित तरीके से रिपोर्ट करने के लिए एक या एक से अधिक व्यक्तियों को नियुक्त कर सकते हैं। बोर्ड विज़िटर को उस संस्थान के खिलाफ उचित समझे जाने वाली जांच की सिफारिश भी कर सकता है, जो अधिनियम के प्रावधानों और उद्देश्यों के अनुसार काम नहीं कर रहा है।’’

आईआईएम इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या यह विधेयक जवाबदेही तय करने के नाम पर उनकी स्वायत्तता को कम कर देगा।

एक शीर्ष आईआईएम के निदेशक ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, ‘‘जवाबदेही तय करने के अन्य तरीके भी हो सकते हैं। यह स्वायत्तता पर सीधा हमला होगा। प्रबंधन संस्थान के कामकाज को नियंत्रित करने वाले एक स्वतंत्र बोर्ड की अवधारणा एक वैश्विक मॉडल है, जो हर जगह सफल रही है… यह भारत में भी काम कर सकती है।’’

एक अन्य आईआईएम के निदेशक ने भी इसी बात को दोहराते हुए कहा कि आईआईएम में विजिटर की अवधारणा पेश करना ‘‘सरकार के लिए सीधे नियंत्रण स्थापित करने का एक तरीका है।’’

हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि आईआईएम सार्वजनिक संस्थान हैं और विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि वे निजी ‘जागीर’ में तब्दील न हो जाएं।

कौशल विकास मंत्रालय में नीति विश्लेषक अतुल कुमार ने कहा, ‘‘आईआईएम सार्वजनिक संस्थान हैं, जो भारत के लोगों के प्रति (संसद के माध्यम से) जवाबदेह हैं। उन्हें निजी जागीर नहीं बनना चाहिए। विधेयक में निदेशकों और बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को लेकर जो प्रावधान किए गए हैं, उन पर कड़ी नजर रखी जानी चाहिए।’’

आईआईएम में विजिटर की अवधारणा का उल्लेख पहली बार 2015 में मौजूदा कानून के मसौदे में किया गया था। हालांकि, आईआईएम ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि यह ‘उनकी स्वायत्त शक्तियों पर प्रश्नचिह्न लगाएगा’, बाद में इसे अंतिम विधेयक से हटा दिया गया था।

भारत के राष्ट्रपति सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों और आईआईटी के विजिटर होते हैं और उनके कुलपतियों तथा निदेशकों की नियुक्ति करते हैं।

जनवरी 2018 में लागू हुए आईआईएम अधिनियम के तहत इन प्रबंधन संस्थानों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की गई थी। इसके तहत प्रत्येक संस्थान के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में 19 सदस्य होते हैं, जिनमें केंद्र और राज्य सरकारों से केवल एक-एक प्रतिनिधि शामिल होते हैं।

बोर्ड अपने शेष 17 सदस्यों को प्रतिष्ठित व्यक्तियों, संकाय सदस्यों और पूर्व छात्रों में से नामित करता है। बोर्ड नए निदेशकों और अध्यक्षों की नियुक्ति के लिए खोज समिति भी नियुक्त करता है और यदि वह खोज समिति की सिफारिशों से सहमत होता है, तो नियुक्तियां करता है।

हालांकि, संशोधन विधेयक के अनुसार, निदेशक की नियुक्ति के लिए खोज-सह-चयन समिति में एक विजिटर द्वारा नामित व्यक्ति होगा।

आईआईएम अधिनियम बनने से पहले, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, जिसे अब शिक्षा मंत्रालय का नाम दे दिया गया है, आईआईएम के निदेशकों, अध्यक्षों और बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति करता था।

शिक्षा मंत्रालय ने पिछले साल संस्थानों से कहा था कि वह अध्यक्षों की नियुक्ति में शामिल खोज-सह-चयन समितियों के गठन के लिए एक नयी प्रक्रिया पर काम कर रहा है। इसने संस्थानों के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स से प्रक्रिया को अंतिम रूप दिए जाने तक अपने अध्यक्षों के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए कहा था।

भाषा अमित दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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