छत्रपति संभाजीनगर, 10 अगस्त (भाषा) भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने वकील बनने की चाहत रखने वाले लोगों को सलाह दी है कि वे विरोधियों के अपमान को नजरअंदाज करें, क्योंकि इससे उन्हें मुकदमे जीतने में मदद नहीं मिलेगी।
उन्होंने कहा कि वे सेवानिवृत्ति के बाद भी इसी सिद्धांत का पालन कर रहे हैं।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने शनिवार को यहां विष्णुपंत एडवांट व्याख्यान श्रृंखला के दौरान विधि छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि वकालत एक तनावपूर्ण पेशा है और वकीलों की मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को व्यवस्थित तरीके से दूर किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि वकीलों को अपनी पहचान को ‘‘हर चीज से पहले न्याय के सुविधादाता’’ के रूप में पुनः स्थापित करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि नैतिकता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सफलता का कोई ‘‘शॉर्टकट’’ नहीं है और कानून के छात्रों को आजीवन सीखने वाला और स्वतंत्र विचारक होना चाहिए।
कानून के दिग्गज जानकार और अनुभवी अधिवक्ता फली नरीमन की वकीलों को दी गई सलाह का हवाला देते हुए पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अपनी राय के प्रति हमेशा ईमानदार और जिम्मेदार रहें।
विधि छात्रों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने कानून और तथ्यों को गहराई से जानें तथा ध्यान रखें कि आप अपने मामले को पुराने फैसलों के जरिये सही ठहराने की कोशिश में न भटक जाएं।
भाषा शफीक देवेंद्र
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