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Wednesday, 13 November, 2024
होमदेशराम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष बोले — ‘अगर 3 मंदिर मुक्त हो गए, तो हम अन्य की तरफ देखेंगे भी नहीं’

राम मंदिर ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष बोले — ‘अगर 3 मंदिर मुक्त हो गए, तो हम अन्य की तरफ देखेंगे भी नहीं’

गोविंद देव गिरी महाराज का इशारा ज्ञानवापी, कृष्ण जन्मभूमि स्थलों की ओर था. उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमान उन विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा छोड़े गए ‘घावों’ को भरने में मदद कर सकते हैं जिन्होंने हिंदुओं के पूजा स्थलों को ध्वस्त कर दिया था.

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नई दिल्ली: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने सोमवार को कहा कि अगर “हमारे तीन मंदिर मुक्त हो जाते हैं” — अयोध्या में राम जन्मभूमि, वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि, तो हिंदू अन्य पूजा स्थलों पर नज़र नहीं डालेंगे जहां उनका मानना ​​है कि एक बार मंदिर था.

उन्होंने यह टिप्पणी पुणे के पास आलंदी में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान की, जहां गोविंद देव गिरि महाराज के 75वें जन्मदिन समारोह के हिस्से के रूप में 4-11 फरवरी तक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.

उन्होंने कहा, “तीन मंदिर मुक्त होने पर हम अन्य मंदिरों पर ध्यान देने की इच्छा भी नहीं करते हैं क्योंकि हम लोगों को भविष्य काल में जीना है भूत काल में नहीं, देश का भविष्य अच्छा होना चाहिए, इसलिए यदि समझदारी के साथ ये तीन मंदिर हम लोगों को मिल जाते हैं हम सारी अन्य बातें भूल जाएंगे.”

गोविंद देव गिरि महाराज ने मुगल सम्राटों के शासनकाल के दौरान देश के कुछ हिस्सों में मंदिरों के विध्वंस के बाद छोड़े गए “घावों” के बारे में भी बात की और भारतीय मुसलमानों से इन घटनाओं से जुड़े दर्द को समझने का आग्रह किया. उन्होंने यहां तक सुझाव दिया कि इन विवादों को शांतिपूर्वक सुलझाने से देश में भाईचारा और एकता मजबूत हो सकती है.

उन्होंने कहा, “हाथ जोड़कर, मैं आपसे इन तीन मंदिरों (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) को सौंपने का अनुरोध करता हूं क्योंकि ये आक्रमणकारियों द्वारा हम पर किए गए हमलों के सबसे बड़े निशान हैं. अगर मुस्लिम पक्ष शांति से इस दर्द को ठीक कर सकते हैं, तो इससे भाईचारा सुधारने में मदद मिलेगी.”

इस बीच, ज्ञानवापी परिसर पर प्रतिद्वंद्वी दावों को लेकर विवाद तेज़ होने के साथ, लोकसभा सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को घोषणा की कि मुस्लिम पक्ष किसी भी मस्जिद पर अपना दावा नहीं छोड़ेगा और इन दावों को अदालतों में चुनौती देगा.

हिंदू वादी अपने दावे को सही ठहराने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वेक्षण रिपोर्ट का हवाला देते हैं कि ज्ञानवापी मस्जिद एक भव्य हिंदू मंदिर के अवशेषों पर बनाई गई थी. वाराणसी जिला अदालत ने पिछले हफ्ते 17वीं सदी की मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की अनुमति मांगने वाले हिंदू वादी की याचिका को स्वीकार कर लिया. मुस्लिम वादी पक्ष द्वारा संपर्क किए जाने पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.

ओवैसी ने कहा, “अगर कल, हम राष्ट्रपति भवन की खुदाई शुरू करेंगे, तो हमें कुछ न कुछ ज़रूर मिलेगा. हम सैकड़ों साल से इस स्थान पर नमाज़ अदा करते आ रहे हैं. हम कोई मस्जिद नहीं देने वाले, बहुत हो गया. हम अदालतों में लड़ेंगे. अगर दूसरा पक्ष 6 दिसंबर को ऐसा करना चाहता है तो हम देखेंगे कि क्या होता है. हम एक बार धोखा खा चुके हैं. हम दोबारा धोखा नहीं खाएंगे. ज्ञानवापी में हम नमाज़ पढ़ते रहे हैं. बाबरी मस्जिद मामले में तर्क यह था कि आप (मुसलमान) वहां नमाज़ नहीं अदा कर रहे हैं. यहां हम लगातार नमाज़ अदा कर रहे हैं. वास्तव में, 1993 के बाद से कोई पूजा नहीं की गई है.”

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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