नयी दिल्ली, पांच जून (भाषा) ‘इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस’ (आईबीसीए) के महानिदेशक एस. पी. यादव को भारत में ‘बंगाल टाइगर’ की आबादी को विलुप्ति के कगार से बचाने में उत्कृष्ट योगदान देने के लिए प्रतिष्ठित ‘क्रिस्टल कॉम्पस अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है।
इस पुरस्कार को आमतौर पर ‘भूगोल का ऑस्कर’ कहा जाता है जिसे 2012 में रूसी भूगोल सोसायटी द्वारा स्थापित किया गया था और यह भूगोल, पारिस्थितिकी तथा प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धियों को मान्यता देता है।
यादव को यह पुरस्कार 29 मई को ‘मास्को इंटरनेशनल हाउस ऑफ म्यूजिक’ में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया।
भारत सरकार ने 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ की शुरुआत की थी जब शिकार और मानव-वन्यजीव संघर्ष के चलते ‘बंगाल टाइगर’ के अस्तित्व पर गंभीर खतरा मंडरा रहा था।
इस परियोजना की शुरुआत नौ बाघ अभयारण्यों के साथ हुई थी, जो कुल 18,278 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले थे। वर्तमान में यह 58 बाघ अभयारण्यों तक विस्तारित हो चुका है, जो 84,488 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र तक फैला हुआ है।
आज भारत में दुनिया की सबसे बड़ी वन्य बाघ आबादी है।
अखिल भारतीय बाघ आकलन 2022 के अनुसार, देश में बाघों की न्यूनतम संख्या 3,682 दर्ज की गई है, जो 2018 में 2,967 थी। भारत में बाघों की आबादी सालाना छह प्रतिशत की दर से बढ़ रही है।
रूसी विज्ञान अकादमी के वरिष्ठ वैज्ञानिक व्याचेस्लाव रोज़नोव ने यादव को पुरस्कार प्रदान करते हुए कहा कि उन्होंने न केवल भारत में ‘बंगाल टाइगर’ की आबादी को पुनर्स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी बाघ संरक्षण को बढ़ावा देने का कार्य किया।
पुरस्कार प्राप्त करने के बाद यादव ने कहा, ‘यह पुरस्कार हमारी सरकार की उपलब्धियों को मान्यता देता है जिसने इस परियोजना का समर्थन किया, उन संस्थानों को सम्मान देता है जिनसे हम सक्रिय रूप से सहयोग करते हैं और उन हजारों लोगों की मेहनत को सलाम करता है जो इस नेक कार्य में लगे हुए हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ के सफल होने और विश्वभर में वन्यजीव संरक्षण का मॉडल बनने का मुख्य कारण भारत सरकार का निरंतर समर्थन रहा है।
भाषा राखी नरेश
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