गुरुग्राम: हरियाणा की एक अखिल भारतीय सेवा (आईएएस) की अधिकारी द्वारा पंचकुला में 14 एकड़ ज़मीन की बिक्री और खरीद पर 20 साल पुरानी रोक हटने के तीन महीने बाद, उनके पति, राज्य सूचना आयुक्त (एसआईसी) और उनके बेटे ने पांच एकड़ ज़मीन खरीदने का सौदा किया.
हालांकि, हरियाणा के मुख्य सचिव (सीएस) टीवीएसएन प्रसाद ने कानूनी विसंगतियों को उजागर करते हुए पिछले सप्ताह बिक्री कार्यों के पंजीकरण पर रोक लगा दी.
हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के निर्देशों के तहत बुधवार को फुलिया द्वारा रोक हटाने की जांच के लिए एक पैनल का गठन किया. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अमनीत पी. कुमार जांच समिति की अध्यक्षता करेंगी जिसमें आईएएस अधिकारी टी.एल. सत्यप्रकाश, उप जिला अटॉर्नी सुखराम और सेवानिवृत्त हरियाणा सिविल सेवा अधिकारी आर.के. गर्ग राजस्व मामलों के विशेषज्ञ भी शामिल होंगे.
14 एकड़ ज़मीन का भूखंड, मूल रूप से पंचकुला के सात गांवों में राजा सरदार भगवंत सिंह के स्वामित्व वाली 1,396 एकड़ से अधिक भूमि का हिस्सा है. इसका अनुमानित बाज़ार मूल्य 70 करोड़ रुपये से अधिक है.
पिछले साल सितंबर में अंबाला आयुक्त रेनू फुलिया को अर्ध-न्यायिक आदेश द्वारा 14 एकड़ ज़मीन की बिक्री और खरीद पर 20 साल पुराने रोक को हटाने में सिर्फ 12 कार्य दिवस लगे.
तीन महीने बाद, उनके पति सत्यवीर सिंह फुलिया, जो कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं और अब एसआईसी पर पर नियुक्त हैं और उनके बेटे नीलांचल ने 42.5 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से 2.12 करोड़ रुपये में पांच एकड़ ज़मीन खरीदने का सौदा किया.
दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए गए पंचकुला के प्रमुख संपत्ति सलाहकार अशोक पवार ने ज़मीन की बाज़ार दर 5-6 करोड़ रुपये प्रति एकड़ बताई, जिसका मतलब है कि पांच एकड़ का मूल्य 25-30 करोड़ रुपये है.
मंगलवार को दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, रेनू फुलिया ने कहा कि जब उन्होंने 20 साल पहले जारी रोक को हटाने का आदेश लिखा था, तब उनके परिवार का पांच एकड़ ज़मीन खरीदने का कोई इरादा नहीं था.
विक्रेताओं और खरीदारों द्वारा ज़मीन खरीदे जाने के पंजीकरण के लिए पंचकुला में एक तहसीलदार से संपर्क करने के एक दिन बाद, मुख्य सचिव प्रसाद, जो राजस्व और आपदा प्रबंधन के अतिरिक्त मुख्य सचिव का प्रभार संभालते हैं, ने 29 मार्च को सभी पंचकुला तहसीलदारों को सभी के बिक्री कार्यों को पंजीकृत करने से रोक दिया. भूमि का स्वामित्व मूल रूप से तत्कालीन राजा के कानूनी उत्तराधिकारियों के पास था.
प्रसाद ने कानूनी विसंगतियों को उजागर करते हुए आदेश पारित किया, जिसे उन्होंने तब देखा जब पंचकुला के डिप्टी कमिश्नर (डीसी) सुशील सरवन ने बिक्री कार्यों के पंजीकरण में उनका मार्गदर्शन मांगा क्योंकि राजस्व अधिकारियों ने अभी तक पूर्ववर्ती राजा की ज़मीन के सरप्लस क्षेत्र पर फैसला नहीं लिया था.
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आयुक्त ने क्या कहा
दिप्रिंट से बात करते हुए, रेनू फुलिया ने कहा, “मैंने 13 सितंबर, 2023 को आदेश पारित किया कि अपीलकर्ताओं को पूरी तरह से कानूनी आधार पर अपनी ज़मीन बेचने की अनुमति दी जाए क्योंकि मुझे यह एक स्वीकार्य क्षेत्र लगा. इस ज़मीन की खरीद के लिए हमारी बातचीत अक्टूबर और नवंबर में शुरू हुई थी.”
आयुक्त ने कहा, “आखिरकार, सौदा 45.25 लाख रुपये प्रति एकड़ पर हुआ और मेरे परिवार ने दिसंबर 2023 में विक्रेताओं को 50 लाख रुपये बयाना पहले दे दिया था. प्रचलित कलेक्टर दरों के अनुसार, हमने पांच एकड़ ज़मीन के लिए 2.25 करोड़ रुपये पर स्टांप शुल्क भी दिया है.”
आदेश सुनाने में जल्दबाजी के बारे में पूछे जाने पर फुलिया ने कहा कि फैसले में देरी करने का कोई कारण नहीं था क्योंकि अपीलकर्ता की दलील कानूनी आधार पर मजबूत थी.
उन्होंने कहा कि उनके पति ने मुख्य सूचना आयुक्त को भी ज़मीन की खरीद के बारे में विधिवत सूचित किया था और उन्होंने सेवा नियमों के अनुसार, अपने पति और बेटे के नाम पर ज़मीन खरीदने के लिए सरकार से अनुमति भी मांगी थी.
राज्य सिविल सेवाओं से पदोन्नत होकर, 2003 बैच की आईएएस अधिकारी फुलिया 1 सितंबर, 2021 से अंबाला डिवीजन की आयुक्त हैं. उस क्षमता में उन्होंने अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर और पंचकुला कलेक्टरों के आदेशों के खिलाफ अपील पर फैसला लिया जाना शामिल है.
6 जनवरी, 2024 को, उन्हें करनाल, पानीपत और कैथल में अपील पर फैसला लेने की शक्ति के साथ करनाल डिवीजन के आयुक्त का प्रभार भी दिया गया.
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आखिर मामला था क्या?
दिप्रिंट द्वारा प्राप्त मामले के रिकॉर्ड के अनुसार, पंचकुला के बीड फिरोज़दी गांव में 14 एकड़ ज़मीन की बिक्री और खरीद पर रोक आदेश को हटाने के लिए 28 अगस्त, 2023 को फुलिया के समक्ष एक अपील दायर की गई थी. पंचकुला कलेक्टर ने सितंबर 2003 में स्थगन आदेश पारित किया था.
मालिक पृथ्वी राज छाबड़ा, उनकी बहन और हरियाणा के पूर्व आईएएस अधिकारी शशि गुलाटी और सुनील कुमार ने उस ज़मीन के संबंध में अपील दायर की, जिसे 2000 और 2002 के बीच राजा के कानूनी उत्तराधिकारियों से खरीदा गया था.
अपीलकर्ताओं ने तर्क दिया कि इसी तरह के एक मामले में तत्कालीन पंचकुला के उपायुक्त आलोक निगम ने 20 अप्रैल, 2004 को एक आदेश पारित किया था, जिसमें कहा गया था कि राजस्व रिकॉर्ड में ज़मीन के एक भूखंड के मालिक के रूप में दिखाए गए व्यक्ति द्वारा स्थानांतरण पर कोई रोक नहीं हो सकती है.
उनके मामले में अपीलकर्ताओं ने शिकायत की, राजस्व अधिकारियों ने एक अपीलकर्ता सुनील कुमार द्वारा दूसरे अपीलकर्ता छाबड़ा के पक्ष में निष्पादित हिब्बानामा (गिफ्ट डीड) को राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज करने से भी इनकार कर दिया.
13 सितंबर 2023 को, अपील दायर करने के 12 कार्य दिवसों के भीतर, फुलिया ने अपीलकर्ताओं के पक्ष में मामले का फैसला किया.
अन्य बातों के अलावा, उनके आदेश में कहा गया कि राजस्व रिकॉर्ड से पता चलता है कि अपीलकर्ताओं ने भगवंत सिंह के कानूनी उत्तराधिकारियों से 14 एकड़ ज़मीन खरीदी थी. चूंकि, वे ज़मीन के पूर्ण मालिक थे, इसलिए उन्हें उक्त ज़मीन को आगे हस्तांतरित करने से नहीं रोका जा सकता.
आदेश में आगे कहा गया है कि रिकॉर्ड से पता चलता है कि ज़मीन को कभी भी अधिशेष घोषित नहीं किया गया था या सरकार के पास निहित नहीं किया गया था.
इसलिए, फुलिया ने राजस्व अधिकारियों को अपीलकर्ता द्वारा निष्पादित हस्तांतरण दस्तावेजों को पंजीकृत करने और राजस्व रिकॉर्ड में परिवर्तन दर्ज करने का आदेश दिया.
उन्होंने पंचकुला के डीसी सरवन को उन राजस्व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया, जिन्होंने सुनील कुमार द्वारा निष्पादित हिब्बानामा को रिकॉर्ड करने से इनकार कर दिया था.
महीनों बाद, फुलिया के पति और बेटे ने छाबड़ा और गुलाटी के साथ पांच एकड़ (800 मरला) ज़मीन खरीदने का सौदा किया.
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सीएस ने सेल डीड रजिस्ट्रेशन क्यों रोका?
28 जुलाई को, छाबड़ा और गुलाटी ने अपनी लगभग 12 एकड़ जमीन 5.26 करोड़ रुपये में हस्तांतरित करने के लिए पंचकुला में तहसीलदार से संपर्क किया.
इसमें से पांच एकड़ ज़मीन फुलिया के पति सत्यवीर सिंह फुलिया और उनके बेटे नीलांचल को, तीन एकड़ (480 मरला) चंडीगढ़ के मनीमाजरा के एसके जुनेजा को और चार एकड़ से थोड़ी कम (कुल 634 मरला) कुरूक्षेत्र के एक सेवानिवृत्त भारतीय वन सेवा अधिकारी की पत्नी उषा रानी को हस्तांतरित की जानी थी.
अगले दिन, पंचकुला के डीसी सुशील सारवान ने मुख्य सचिव प्रसाद को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा, जब तहसीलदार ने उनसे इस आशंका से संपर्क किया कि सेल (बिक्री) डीड के पंजीकरण से ज़मीन के ऐसे और हस्तांतरणों का पिटारा खुल सकता है, जिससे राज्य के हित खतरे में पड़ सकते हैं, क्योंकि अधिकारियों को अभी भी तत्कालीन राजा की ज़मीन में अधिशेष क्षेत्र के मुद्दे पर फैसला नहीं लिया था.
डीसी ने तहसीलदार की चिंताओं का हवाला देते हुए प्रसाद को पत्र लिखा, “2 फरवरी, 2023 को जारी पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश के अनुपालन में, कलेक्टर, पंचकुला ने कानून के अनुसार अधिशेष ज़मीन को फिर से निर्धारित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. आयुक्त के आदेश के अनुसार, रोक को रद्द करने के परिणामस्वरूप, बहुत सारे बिक्री कार्य जल्द ही प्रस्तुत किए जाने की संभावना है, जिसके कारण तीसरे पक्ष के हितों के निर्माण और सरकारी हितों को खतरे में डालने की संभावना है.”
न्यायमूर्ति विनोद एस. भारद्वाज, जिन्होंने 2 फरवरी 2023 को हाई कोर्ट का आदेश जारी किया, ने कलेक्टर को पुनर्निर्धारण को शीघ्रता से पूरा करने का निर्देश दिया, ज्यादा से ज्यादा एक साल के भीतर.
29 मार्च को प्रसाद ने सभी पंजीकरण अधिकारियों को किसी भी बिक्री कार्य को पंजीकृत करने से रोक दिया, यह कहते हुए कि “सेल डीड को पंजीकृत करना उचित नहीं है क्योंकि एसडीएम, पंचकुला जो कलेक्टर की शक्तियों का प्रयोग करते हैं, उन्हें हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार अनुमेय क्षेत्र को फिर से निर्धारित करना होगा. (पीए) मालिकों, किरायेदारों के अनुमत क्षेत्र (टीपीए) और राजस्व सम्पदा में अधिशेष क्षेत्र (एसए) जहां राजा भगवंत सिंह के पास ज़मीन थी.”
एक राजस्व अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हरियाणा भूमि स्वामित्व सुरक्षा अधिनियम, 1953 और हरियाणा भूमि स्वामित्व सीमा अधिनियम, 1972, के पारित होने के बाद, ज़मीन के मालिक के पास कितना क्षेत्र हो सकता है, इसकी सीमा तय कर दी गई, जिसे अनुमेय क्षेत्र (पीए) कहा जाता है. अधिनियमों में आगे वो क्षेत्र निर्धारित किया गया है जिसे किरायेदारों को सौंपा जा सकता है — टीपीए. पीए और टीपीए के बाद बचा हुआ क्षेत्र अधिशेष क्षेत्र (एसए) है. ऐसी ज़मीन का मालिकाना हक सरकार के पास रहता है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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