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Monday, 6 May, 2024
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रेगुलेशन या ‘पिछले दरवाज़े से नियंत्रण लेना’? — हरियाणा स्पोर्ट्स एसोसिएशन विधेयक में क्या-क्या है

इस हफ्ते विधानसभा द्वारा पारित विधेयक में राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर खेल पंजीकरण परिषद स्थापित करने का प्रस्ताव है, मानदंडों का पालन करने पर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है.

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गुरुग्राम: हरियाणा विधानसभा ने बुधवार को एक विधेयक पारित किया जिसमें प्रस्ताव है कि ये राज्य में खेल संघों को रेगुलेट करने की कोशिश करेगा — एक ऐसा कदम जिसे मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा इन निकायों पर नियंत्रण लेने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

हरियाणा राज्य खेल संघ (पंजीकरण और विनियमन) विधेयक, 2024, रिकॉर्ड के रखरखाव और नियामकों को अपेक्षित जानकारी प्रस्तुत करने के अलावा, सभी खेल निकायों के अनिवार्य पंजीकरण और उनके द्वारा आयोजित ट्रायल और चैंपियनशिप सहित उनकी गतिविधियों के विनियमन का प्रावधान करता है. विधेयक के प्रावधानों में उल्लंघन करने पर इसे दंडनीय अपराध माना जाएगा और तीन से छह महीने की कैद और जुर्माना लगाया जाएगा, जो 50,000 रुपये से कम नहीं होगा और उसे एक लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है.

जब बिल बुधवार को विधानसभा में चर्चा के लिए आया, तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला खड़े हुए और एक सुझाव दिया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इसे पारित होने से पहले बिल में शामिल किया जा सकता है.

चौटाला ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को संबोधित करते हुए कहा, जो उस समय अध्यक्ष थे, “उपाध्यक्ष महोदय. ऐसा लगता है कि इस बिल का मसौदा तैयार करने वाले ने किसी पुराने दस्तावेज़ से कुछ चीज़ें कॉपी करके चिपका दी हैं. 2022 में लाए गए राष्ट्रीय खेल संहिता में खेल संघ के कार्यकाल को चार साल तक निर्धारित किया गया है, जबकि इस विधेयक के खंड 11 (4) में खेल संघ के पंजीकरण को चार से तीन साल तक चलाने का प्रावधान है, जो पहले खेल संघों का कार्यकाल होता था. मेरा सुझाव है कि चूंकि, सभी खेल संघों को राष्ट्रीय खेल संहिता का पालन करना है, इसलिए हमें इसे सही करना चाहिए.”

खट्टर ने जवाब देते हुए कहा कि यह अच्छा है कि इस तथ्य को सदन के ध्यान में लाया गया. हालांकि, उन्होंने कहा कि तीन साल के लिए पंजीकृत खेल संघ उसके बाद नवीनीकरण के लिए आवेदन कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि अगले सत्र में इस प्रावधान में संशोधन किया जा सकता है.

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बाद में बजट सत्र के आखिरी दिन बुधवार को विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.

हालांकि, खेल प्रशासक इस कानून को राज्य के खेल संघों पर नियंत्रण लेने के लिए खट्टर सरकार के प्रयास के रूप में देखते हैं, जो उनका कहना है कि यह ओलंपिक चार्टर की भावना के खिलाफ है.

भारतीय मुक्केबाजी महासंघ के पूर्व उपाध्यक्ष और हरियाणा ओलंपिक संघ के पूर्व कोषाध्यक्ष भूपिंदर सिंह ने कहा कि ओलंपिक चार्टर खेल संघों के कामकाज में किसी भी सरकारी हस्तक्षेप पर सख्ती से रोक लगाता है.

सिंह ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया, “ओलंपिक आंदोलन के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के मामले ओलंपिक चार्टर नामक दस्तावेज़ द्वारा शासित होते हैं. यह विशेष रूप से खेल संघों के संचालन में सरकार के किसी भी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है. इस बिल के जरिए सरकार पिछले दरवाज़े से खेल संस्थाओं पर नियंत्रण करना चाहती है. इससे खिलाड़ियों के हित खतरे में पड़ सकते हैं.”


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बिल में क्या-क्या प्रावधान है

बिल के उद्देश्यों और कारणों के बारे में बिल के बयान में उल्लिखित खेल विभाग भी संभालने वाले खट्टर के एक बयान में कहा गया है कि कानून के पीछे का विचार राज्य और जिला स्तर पर काम करने वाले खेल संघों को खेल और खिलाड़ियों के हितों के लिए हानिकारक अनुचित गतिविधियों में शामिल होने से रोकना है.

बिल पर खट्टर के बयान में लिखा है, “ऐसे खेल संघ न तो उचित रिकॉर्ड रखते हैं और न ही उचित पारदर्शिता रखते हैं. राज्य सरकार इस संबंध में किसी विशिष्ट कानून के अभाव में ऐसे मामलों को विनियमित करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य महसूस करती है.”

इसमें कहा गया है कि विधेयक का प्राथमिक उद्देश्य राज्य में खेल भावना को बढ़ावा देते हुए खिलाड़ियों और खेल के हितों की रक्षा करना है.

यह कानून इन खेल संघों के कामकाज के पंजीकरण और विनियमन की निगरानी के लिए राज्य और क्षेत्रीय स्तर पर नियामक निकाय स्थापित करने का प्रयास करता है. इसके अलावा, इन नियामक निकायों के पास निष्पक्ष प्रथाओं का पालन सुनिश्चित करने के लिए खेल संघों और उनके पदाधिकारियों के खिलाफ शिकायतों पर गौर करने का अधिकार होगा.

बिल पंजीकरण न कराने और पंजीकरण रद्द करने के परिणामों को भी निर्दिष्ट करता है.

इसके अलावा, यह राज्य और जिला-स्तरीय खेल संघों के दायित्वों को परिभाषित करता है. इनमें चैंपियनशिप आयोजित करना, प्रशिक्षण सुविधाएं स्थापित करना, रिकॉर्ड बनाए रखना और अपेक्षित खुलासे करना शामिल है.

यह विधेयक हरियाणा में सभी खेल संघों के लिए एक निर्धारित अवधि के भीतर पंजीकरण कराना अनिवार्य बनाता है. एक बार पंजीकृत होने के बाद, एसोसिएशन उपसर्ग के रूप में “हरियाणा” और जिला-स्तरीय एसोसिएशन, अपने संबंधित जिले के नाम का उपयोग करने के हकदार होंगे.

पंजीकृत जिला स्तरीय संघों को राज्य चैंपियनशिप में भाग लेने का अधिकार होगा जबकि पंजीकृत राज्य स्तरीय संघों को राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने का अधिकार होगा.

हरियाणा राज्य खेल पंजीकरण परिषद

विधेयक की धारा-3 में राज्य सरकार को आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचना द्वारा हरियाणा राज्य खेल पंजीकरण परिषद स्थापित करने का प्रावधान है.

परिषद में सरकार द्वारा नामित एक अध्यक्ष होगा. इसके सदस्यों में ‘राज्य का एक खिलाड़ी जिसने अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में देश का प्रतिनिधित्व किया हो’ या ‘ऐसा व्यक्ति जिसके पास प्रशासन या कानून में कम से कम 25 वर्षों का विशेष ज्ञान या अनुभव हो’ होगा.

राज्य खेल विभाग के निदेशक परिषद के सदस्य सचिव होंगे और दो सदस्यों को पंजीकृत राज्य खेल संघों से चुना जाएगा, बशर्ते कि वे तत्काल अगला चुनाव लड़ने के लिए पात्र न हों.

सरकार परिषद में एक पदाधिकारी को भी नामांकित करेगी जो कानून का जानकार हो या जिसने कम से कम सात साल तक कानून का अभ्यास किया हो और दूसरा, जिसने कम से कम तीन आयोजनों में राज्य और देश का प्रतिनिधित्व किया हो.

हरियाणा राज्य खेल पंजीकरण परिषद में निहित शक्तियां हरियाणा राज्य खेल संघ (पंजीकरण और विनियमन), विधेयक 2024 की धारा-4 में वर्णित हैं. इनमें राज्य स्तर पर खेल संघों को पंजीकृत करना और पंजीकरण, खेल प्रशासन और अनुचित प्रथाओं से संबंधित मामलों को विनियमित करना शामिल है.

परिषद प्रस्तावित कानून के तहत विधिवत पंजीकृत राज्य-स्तरीय खेल संघों के एक रजिस्टर को बनाए रखने और शिकायतों की जांच करने या राज्य-स्तरीय संघों के खिलाफ कथित चूक या कमीशन के कृत्यों की स्वत: जांच करने के लिए भी जिम्मेदार होगी.

इसके अलावा, परिषद के पास खेल से संबंधित अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाने की सिफारिश करने और प्रतिस्पर्धी खेलों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने की शक्ति होगी. यह क्षेत्रीय खेल पंजीकरण परिषदों के कार्यों की भी निगरानी करेगा.

हरियाणा राज्य खेल पंजीकरण परिषद की तर्ज पर, विधेयक की धारा 5 में प्रत्येक क्षेत्र में एक क्षेत्रीय खेल पंजीकरण परिषद की स्थापना का प्रावधान है, जिसका अध्यक्ष संभागीय आयुक्त स्तर से नीचे का अधिकारी नहीं होगा और क्षेत्र से एक उपायुक्त रोटेशन के आधार पर सदस्य होगा.

क्षेत्रीय परिषद के पदाधिकारियों में उस जिले का एक जिला खेल अधिकारी शामिल होगा जहां क्षेत्रीय परिषद का कार्यालय स्थित है, राज्य-स्तरीय खेल संघों से दो पदाधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा और अन्य दो को जिला-स्तरीय खेल संघों द्वारा चुना जाएगा. क्षेत्रीय परिषद के सदस्यों में उस क्षेत्र के दो ‘प्रख्यात खिलाड़ी’ भी शामिल होंगे जिन्होंने राज्य और देश का प्रतिनिधित्व किया है और उन्हें राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा.

क्षेत्रीय परिषदों की शक्तियां काफी हद तक राज्य परिषद के समान होंगी.

विधेयक में प्रावधान है कि अगर हरियाणा खेल पंजीकरण परिषद को लगता है कि राज्य स्तरीय खेल संघ खेलों को बढ़ावा देने के लिए अनिवार्य किए गए किसी भी दायित्व का पालन करने में विफल रहा है, तो “वह सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद, जुर्माना लगाएं जो 5 लाख रुपये से कम नहीं होगा, लेकिन जिसे 10 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है या लिखित रूप में दर्ज किए जाने वाले कारणों से पंजीकरण रद्द कर दिया जाएगा.”

एक बार पंजीकरण रद्द हो जाने के बाद, कोई भी खेल संघ “हरियाणा” का उपयोग करने या अपने नाम के हिस्से के रूप में किसी जिले का नाम इस्तेमाल करने या कोई खेल परीक्षण या टूर्नामेंट आयोजित करने का हकदार नहीं होगा.

एक अन्य प्रावधान में लिखा है कि उल्लंघन के मामले में एसोसिएशन के सभी सदस्य संयुक्त रूप से और अलग-अलग अपराध के लिए उत्तरदायी होंगे.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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