मुंबई, 20 अगस्त (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को मुंबई की एक अदालत में कहा कि धन शोधन के एक मामले में गिरफ्तार वसई-विरार के पूर्व नगर निगम प्रमुख अनिल पवार और तीन अन्य आरोपियों ने धोखाधड़ी करने के लिए प्रशासनिक शक्तियों और वित्तीय प्रणाली का जानबूझकर दुरुपयोग किया।
ईडी ने विशेष अदालत को बताया कि ‘‘हवाला और अंगड़िया’’ चैनल का इस्तेमाल न केवल महाराष्ट्र में, बल्कि अन्य राज्यों में भी अपराध की आय को सफेद करने के लिए किया गया था। इसके बाद अदालत ने दो रियल एस्टेट डेवलपर सहित चारों को उनकी गिरफ्तारी के एक हफ्ते बाद जेल भेज दिया।
हवाला प्रणाली एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन हस्तांतरित करने के एक अनौपचारिक माध्यम को संदर्भित करती है। भारत में हवाला संचालन को अवैध नकद लेनदेन माना जाता है। अंगड़िया पारंपरिक कूरियर होते हैं जो शुल्क लेकर नकदी, हीरे और आभूषण हस्तांतरित करने की सेवाएं प्रदान करते हैं।
आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी पवार के अलावा, वसई-विरार शहर नगर निगम (वीवीसीएमसी) के नगर योजनाकार वाई शिवा रेड्डी और दो बिल्डर – सीताराम गुप्ता और अरुण गुप्ता – वसई-विरार में अवैध इमारतों के निर्माण से जुड़े मामले में आरोपी हैं। यह शहर मुंबई के बाहरी इलाके में पालघर जिले से सटा हुआ है।
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायाधीश राजू रोटे के समक्ष चारों आरोपियों को पेश किया गया, जिन्होंने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
13 अगस्त को गिरफ्तार किए गए आरोपी 20 अगस्त तक ईडी की हिरासत में थे।
संघीय जांच एजेंसी ने कहा कि उनकी न्यायिक हिरासत ‘‘जांच की विश्वसनीयता की रक्षा के लिए जरूरी है, जो अब भी एक महत्वपूर्ण चरण में है।’’
जांच एजेंसी ने अदालत के समक्ष दलील दी कि अभियुक्तों ने ‘‘अधिकारियों, वास्तुकारों, बिल्डर और अन्य लोगों के एक सुगठित गिरोह के जरिए धोखाधड़ी’’ को अंजाम देने की क्षमता प्रदर्शित की है।
ईडी ने कहा, ‘‘आरोपियों ने एक बड़े पैमाने की धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए प्रशासनिक शक्तियों एवं वित्तीय प्रणाली का जानबूझकर और सुनियोजित दुरुपयोग किया है।’’
वित्तीय अपराध निरोधक एजेंसी ने अपराध की प्रकृति और चारों आरोपियों द्वारा इस्तेमाल किए गए तरीकों का हवाला देते हुए कहा कि उनके तरीकों से संकेत मिलता है कि ‘‘उनके पास जांच में बाधा डालने, डिजिटल एवं दस्तावेजी सबूतों से छेड़छाड़ करने और प्रमुख गवाहों को प्रभावित करने के साधन और मकसद हैं।’’
एजेंसी ने दलील दी कि वह इस मामले में अपराध से अर्जित और शोधित धन की सटीक मात्रा का पता लगाने की प्रक्रिया में है।
ईडी ने आरोप लगाया कि अपराध की आय का धनशोधन केवल महाराष्ट्र में ही नहीं किया गया, बल्कि आरोपियों का अंतरराज्यीय और सीमा पार से भी संबंध है।
यह मामला वीवीसीएमसी (वसई-विरार शहर महानगरपालिका) के अधिकार क्षेत्र में सरकारी और निजी भूमि पर आवासीय-सह-व्यावसायिक भवनों के अवैध निर्माण से संबंधित है।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि वसई-विरार की स्वीकृत विकास योजना के अनुसार, मलजल शोधन संयंत्र और ‘डंपिंग ग्राउंड’ के लिए आरक्षित निजी और सरकारी भूमि पर 41 अवैध इमारतों का निर्माण किया गया।
भाषा सिम्मी नरेश
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