(माणिक गुप्ता)
नयी दिल्ली, 12 मई (भाषा) हाल ही में अपनी दूसरी पुस्तक ‘ए बुक ऑफ बुक्स’ का विमोचन करने वाली अभिनेत्री सोनाली बेंद्रे का कहना है कि उनके मन में लेखकों के लिए ‘बहुत अधिक सम्मान’ है और जब तक वह कम से कम 20 किताबें नहीं लिख लेतीं तब तक वह खुद को लेखक नहीं कहेंगी।
‘दिलजले’, ‘मेजर साब’, ‘सरफरोश’, ‘जख्म’ और ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर बेंद्रे ने कहा कि मशहूर होने के नाते उन्हें लिखने और सार्थक बातचीत में शामिल होने का ‘विशेषाधिकार’ मिलता है, हालांकि वह अभी भी खुद को मुख्य रूप से एक अभिनेत्री के रूप में ही देखती हैं।
बेंद्रे ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘मैं खुद को लेखक तभी कहूंगी जब मैं 20 किताबें लिख लूंगी। उससे पहले में खुद को लेखक नहीं कह सकती। मेरे मन में लेखकों के लिए बहुत सम्मान है – वे क्या करते हैं, वे किस तरह लिखते हैं, एक लेखक किस तरह आपको कहीं ले जाता है, वे किस तरह आपको सोचने पर मजबूर करते हैं; यह सब केवल एक लेखक ही कर सकता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मैंने कभी भी खुद को लेखक के रूप में नहीं सोचा। मैंने हमेशा खुद को एक अभिनेत्री के रूप में देखा है, लेकिन यह एक रचनात्मक क्षेत्र है। मैं एक रचनात्मक महिला हूं और आप अपनी रचनात्मकता को कई तरीकों से व्यक्त कर सकते हैं।’’
किताबों के प्रति अभिनेत्री के जुनून ने उन्हें ‘सोनाली बुक क्लब’ शुरू करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने 2015 में ‘द मॉडर्न गुरुकुल : माई एक्सपेरिमेंट विद पैरेंटिंग’ के साथ अपने लेखन की शुरुआत की।
उनकी नवीनतम किताब ‘ए बुक ऑफ बुक्स’ ऐसी पुस्तक है जो पढ़ने के शौकीनों के साथ पढ़ने की कम इच्छा रखने वाले सभी तरह के लोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह पुस्तक पढ़ने के महत्व, विशेषकर युवावस्था से ही पढ़ना शुरू करने के महत्व पर प्रकाश डालती है।
रोहिना थापर द्वारा रचित यह पुस्तक हर वर्ग के पाठकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुझाव देती है कि बच्चों को क्या पढ़ना चाहिए, युवाओं और वयस्कों को क्या पढ़ना चाहिए।
भाषा यासिर मनीषा
मनीषा
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